जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। 10 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान में तहलका मचा दिया। जब कई ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेसों पर दागा गया तो पाकिस्तानी रनवे, बंकर और हैंगर सहित कई ठिकाने तबाह हो गए। यह बात भारत ही नहीं बल्कि दुनिया ने मानी। इस जंग में भारत ने 9-10 मई को पाकिस्तान की एयर पावर को नेस्तानाबूद कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान घुटने के बल आने का मजबूर हो गया।
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नकली को समझ लिया असली
पाकिस्तान बार-बार कहता रहा कि उसने राफेल को मार गिराया। यह बात सच है उसने भारत के लड़ाकू विमान को मार गिराया लेकिन यह असली नहीं बल्कि नकली यानी डमी था। यानी इस युद्ध में हथियारों की ताकत का ही नहीं बल्कि रणनीतिक कौशल का भी प्रदर्शन हुआ। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय एयरफोर्स ने 9-10 मई की रात को पाकिस्तान के 12 में से 11 एयर बेस को निशाना बनाया। लेकिन हमला करने से पहले हमारी वायु सेना ने नकली लड़ाकू विमानों का जाल बिछाया। पाकिस्तानी रडार को लगा कि असली विमान आ रहे हैं और उन्होंने अपने एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया। बस, यही उनकी सबसे बड़ी गलती थी। जैसे ही उनके डिफेंस सिस्टम की लोकेशन उजागर हुई, भारतीय सेना ने उन्हें आसानी से निशाना बना लिया।
ब्रह्मोस का बरपा कहर
ब्रह्मोस से पहले भारत ने ड्रोन हमले से पाकिस्तान की वायुरक्षाा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद ब्रह्मोस ने कहर बरपाना शुरू किया। भारतीय वायुसेना ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर, चुनियन, पसरूर और सियालकोट में सैन्य ठिकानों पर हमला किया। भारत ने पाकिस्तान पर 15 ब्रह्मोस मिसाइलें दागीं गईं थीं। सूत्रों का दावा है कि पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बनाया गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चार दिवसीय सैन्य संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और एयरबेस को निशाना बनाने में साफ बढ़त हासिल की। यह दावा प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में किया गया है, जो हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार,भारत के हमले काफी प्रभावी और बेहतर लक्षित थे। भारत द्वारा किए गए हमलों से पाकिस्तान की सैन्य सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है। दोनों देशों के बीच यह संघर्ष बीते पचास वर्षों में सबसे बड़ा था, जिसमें ड्रोन और मिसाइलों का व्यापक रूप से इस्तेमाल हुआ। इसमें कहा गया है कि से प्राप्त तस्वीरों से संकेत मिलता है कि हमले व्यापक थे, लेकिन नुकसान दावे के मुकाबले कहीं ज्यादा सीमित था।
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भोलारी एयरबेस पर हमला
सबसे महत्वपूर्ण हमलों में से एक कराची के निकट भोलारी एयर बेस पर किया गया हमला था, जहां सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों में विमान हैंगर को पहुंचा नुकसान दिखाई दिया। पाकिस्तान के कराची से करीब 100 मील दूर स्थित भोलारी एयरबेस पर भारत ने एयरक्राफ्ट हैंगर को टारगेट किया।
नूर खान एयरबेस: सबसे संवेदनशील लक्ष्य
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का सबसे संवेदनशील हमला नूर खान एयरबेस पर था, जो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास स्थित है। सेना के मुख्यालय व प्रधानमंत्री कार्यालय के करीब है। यही यूनिट पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा देखती है. यहां की सुविधाओं को भारत ने सटीक हथियारों से नुकसान पहुंचाया।
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सरगोधा और रहीम यार खान एयरबेस पर हमले
भारत ने यह भी दावा किया कि उसने पाकिस्तान के प्रमुख हवाई अड्डों को निशाना बनाया। जिसमें रहीम यार खान और सरगोधा बेस के रनवे सेक्शन भी शामिल हैं। सैटेलाइट इमेज ने इन दावों का समर्थन किया, जिसमें प्रभावित बुनियादी ढांचे को दिखाया गया। पाकिस्तान के सरगोधा एयरबेस की दो रनवे स्ट्रिप्स को भी भारतीय सेना ने सटीक हथियारों से निशाना बनाया।
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पाकिस्तान के दावे खोखले साबित
पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने भारत के उधमपुर एयरबेस को पूरी तरह तबाह कर दिया, लेकिन 12 मई की सैटेलाइट तस्वीरें उस दावे की पुष्टि नहीं करतीं और एयरबेस को बिना किसी क्षति के दिखाया गया है।
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ब्रह्मोस की विशेषता
ब्रह्मोस घातक मिसाइल को जमीन पर स्थित स्वायत्त मोबाइल लॉन्चर, जहाजों, पनडुब्बियों और यहां तक कि सुखोई-30 एमकेआई जैसे हवाई प्लेटफॉर्म से भी लांच किया जा सकता है। यह हर मौसम में हर तरह की स्थितियों में दिन-रात काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। ब्रह्मोस को बनाने वाली कंपनी, ब्रह्मोस एयरोस्पेस का दावा है कि ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि आपरेशन रेंज ज्यादा ही मानी जाती है। इसकी स्पीड 2.8 मैक है यानि आवाज की गति से भी ढाई गुना ज्यादा है। भारत ने हालांकि, ब्रह्मोस, के एक्सटेंडेड रेंज यानी 450-500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर ली है। माना जाता है कि दुनिया की कोई रडार और हथियार, मिसाइल सिस्टम उसे इंटरसेप्ट नहीं कर सकता है यानी एक बार ब्रह्मोस को दाग दिया तो ब्रह्मास्त्र की तरह इसे कोई नहीं रोक सकता है और अपने लक्ष्य पर ही जाकर गिरती है और टारगेट को तबाह करके ही दम लेती है।
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डीजीएमओ का बयान
12 मई को प्रेस वार्ता में सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने आपरेशन सिंदूर में विरासत और आधुनिक प्रणालियों के मिश्रण के उत्कृष्ट प्रदर्शन को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों पर सटीक हमले सीमा को पार किए बिना किए गए थे, इसलिए यह अनुमान लगाया गया था कि पाकिस्तान भी जवाबी कार्रवाई करेगा। सेना और वायु सेना ने इसका सामना करने के लिए पहले से ही तैयारी कर ली थी। सीमा पार से आने वाले खतरे से निपटने के लिए चार स्तरीय तैयारी की गई, जिसमें ड्रोन रोधी प्रणाली, कंधे से दागे जाने वाले हथियार और आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली शामिल थी। 9-10 मई की रात को जब पाकिस्तान की तरफ से हमले किए गए तब दुनिया के सामने इन प्रणालियों की श्रेष्ठता साबित हुई। रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, आपरेशन सिंदूर ने भारतीय रक्षा प्रणालियों की ओर से दुश्मन के प्रौद्योगिकियों को बेअसर करने के ठोस प्रमाण भी पेश किए। पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को भारत पर हमले करने की कोशिश की। चीन और तुर्किये से मिले हथियारों का प्रयोग कर अवंतीपुरा, श्रीनगर, अमृतसर, भुज समेत उत्तरी और पश्चिमी भारत में सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाना चाहा। लेकिन भारत की मजबूत वायु रक्षा प्रणाली ने सीमा पार से आए हर खतरे को आसमान में ही तिनके की तरफ बिखेर दिया। चीनी मूल के पीएल-15 मिसाइलों के टुकड़े मिले। तुर्किये निर्मित मानव रहित विमान (यूएवी) जिन्हें यिहा या यीहाव नाम दिया गया था, इनके टुकड़े भी पाए गए। इसके अलावा लंबी दूरी तक मार करने वाले रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और ड्रोन भी पाए गए। इन सभी को भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने आसमान में ही नष्ट कर दिया था।
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असाधारण तालमेल
सैन्य व नागरिक ठिकानों पर हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर एयर डिफेंस रडार व सिस्टम को निशाना बनाया। लाहौर में एक एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त कर दिया। इसके लिए वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग किया गया। आकाश जैसी स्वदेशी प्रणालियों ने भी असाधारण प्रदर्शन किया। वायु सेना की एकीकृत वायु कमान व नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) ने सेना, नौसेना व वायु सेना के संसाधनों को मिलाकर असाधारण तालमेल के साथ काम किया।
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इसरो का महत्वपूर्ण योगदान
आपरेशन सिंदूर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी अहम योगदान दिया। 11 मई को इसरो अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा था कि रणनीतिक उद्देश्य से कम से कम 10 उपग्रह चौबीसों घंटे काम कर रहे थे। मंत्रालय ने कहा था कि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्र को अपने उपग्रहों के माध्यम से सेवा करनी होगी और 7,000 किमी समुद्री तट क्षेत्रों व पूरे उत्तरी भाग की लगातार निगरानी करनी होगी।
10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति
चार दिनों तक चले इस गहन ड्रोन और मिसाइल संघर्ष के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में भारत की सैन्य रणनीति और सटीकता ने पाकिस्तान की युद्धक्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचाया। जिसकी पुष्टि अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सैटेलाइट डाटा से हुई है।
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टाइम लाइन
7 मई को पाकिस्तान व पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ सटीक हमले किए गए। भारतीय वायुसेना ने बहावलपुर, मुरीदके व मुजफ्फराबाद में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के नौ आतंकी अड्डों को पलक झपकते ही नेस्तनाबूद कर दिया।
8 मई को पाकिस्तान ने भारत के पश्चिमी राज्यों में बड़े पैमाने पर ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की। भारत के बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क, घरेलू आकाश मिसाइल और इस्त्राइली व रूसी रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों। को नाकाम किया। 9 मई को भारत ने छह पाकिस्तानी सैन्य एयरबेस व यूएबी समन्वय केंद्रों पर अतिरिक्त हमले किए। 10 मई को गोलीबारी में अस्थायी रोक लगाई गई। भारत ने इसे युद्धविराम नहीं बल्कि फायरिंग का विराम बताया। यह सिर्फ सामरिक सफलता नहीं थी। यह प्रत्यक्ष गोलीबारी के तहत सैद्धांतिक क्रियान्वयन था।