भारतीय नौसेना का ‘सी विजिल-2024’ अभ्यास शुरू, क्षमता परखने का मौका

नई दिल्ली। इंडियन नेवी को दुनिया के सबसे ताकतवर नौसेना में से एक माना जाता है। नौसेना के पास आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत जैसे शक्तिशाली विमान वाहक पोत मौजूद हैं, जो समुद्र में देश की शक्ति प्रक्षेपण क्षमता को बढ़ाते हैं। अपनी इसी क्षमता को परखने के लिए नौसेना आज से दो दिवसीय अभ्यास कर रही है। भारतीय नौसेना ने आज से ‘सी विजिल-2024’ अभ्यास की शुरुआत की है। अपनी समुद्री सुरक्षा की तैयारियों को धार देने के लिए यह अभ्यास पूरे देश में किया जा रहा है। नौसेना के अधिकारियों के अनुसार, दो दिवयीय राष्ट्रव्यापी इस अभ्यास में 16 केंद्रीय और राज्य एजेंसियां भाग ले रही हैं। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना, समुद्री व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित करना, और आपदा प्रबंधन में सहायता प्रदान करना है। नौसेना के अनुसार, इस अभ्यास में तटरक्षक बल, बंगाल पुलिस, राज्य मत्स्य विभाग, नौवहन, बंदरगाह और जलमार्ग विभाग, सेना-वायुसेना, सीआईएसएफ, बीएसएफ सहित राज्य एजेंसियां शामिल हैं। इसके अलावा, एनसीसी भी पहली बार इस अभ्यास में भाग ले रही है। बता दें कि सी विजिल अभ्यास 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद 2019 में शुरू किया गया था। यह इसका चौथा चरण है। यह अभ्यास बंदरगाहों, तेल रिग, केबल लैंडिंग प्वाइंट और तटीय आबादी की सुरक्षा सहित तटीय बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को मजबूत करने पर केंद्रित है। बंगाल में नौसेना के प्रभारी अधिकारी कमोडोर अजय यादव के अनुसार, पूरा अभ्यास नौसेना स्टेशन कोलकाता में संयुक्त समन्वय केंद्र से संचालित किया जा रहा है। इसमें भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक और अन्य एजेंसियों के कई जहाज और विमान अभ्यास में भाग ले रहे हैं। अभ्यास के प्रारंभिक चरण के दौरान एनओआईसी, बंगाल द्वारा विभिन्न समन्वय बैठकें की गर्इं। जिनमें विभिन्न एजेंसियों ने तालमेल बढ़ाने और संपूर्ण तटीय सुरक्षा के लिए भाग लिया।  नौसेना के अनुसार, इस अभ्यास में 11 हजार किलोमीटर से ज्यादा समुद्र तट और 2.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर के आर्थिक क्षेत्र को कवर किया जाएगा। यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह अभ्यास सभी समुद्री सुरक्षा एजेंसियों की वर्तमान तैयारियों का आकलन करने के लिए किया जा रहा है। साथ  ही यह उनकी ताकत और कमजोरियों की पहचान करने और राष्ट्र के समग्र समुद्री रक्षा ढांचे को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।