जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। जल्द ही भारतीय नौसेना को दो नए महाविनाशक युद्धपोत मिल जाएंगे। इनके नौसेना में शामिल होते ही समुद्री लुटेरों की रूह कांप जाएंगी। साथ ही चीन और पाकिस्तान की सामत आ जाएगी। दोनों देशों की हरकतों पर कड़ा एक्शन भी लिया जा सकेगा। दोनों युद्धपोतों का रूस में इंडियन नेवी ट्रायल कर रही है। भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए दो जहाज रूस में तैयार किए जा रहे हैं। ये तलवार क्लास के स्टील्थ फ्रिगेट जहाज हैं। 2.5 बिलियन डॉलर की लागत से इन्हें बनाया जा रहा है। ये दोनों युद्धपोत रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं। पहले शिपयार्ड का नाम आईएनएस तुशिल और दूसरे का आईएनएस तमाल है। दो स्टील्थ फ्रिगेट में से पहले आईएनएस तुशिल की स्वीकृति परीक्षण के लिए इंडियन नेवी के लगभग 200 कर्मी इस समय रूस में मौजूद हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पहला जहाज सितंबर के मध्य तक भारत में आ सकता है। रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया कि तमाल अगले साल की शुरूआत में भारत को सौंपा जा सकता है। दोनों जहाजों की डिलीवरी मूल रूप से 2022 के अंत में होनी थी। कोविड संकट और यूक्रेन युद्ध की शुरूआत के बाद भुगतान न हो पाने के कारण इसमें देरी हुई है। देरी का एक खास कारण यूक्रेन के जोर्या-मशप्रोएक्ट से गैस टरबाइन इंजन की खरीद थी। 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जे के बाद यूक्रेन से इंजन आयात करना बंद कर दिया था। भारत की ओर से इसे खरीद कर रूसी शिपयार्ड को हस्तांतरित करना था, जिसके लिए भी यूक्रेन की सहमति जरूरी थी। बता दें कि अब तक तलवार क्लास के 7 युद्धपोत बन चुके हैं। जिनमें 6 एक्टिव हैं। इसके अलावा चार नए जंगी जहाज बनाए जा रहे हैं। इनमें से दो रूस में और दो भारत में बनेंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि रूस के साथ समझौते के तहत गोवा शिपयार्ड में बनाए जा रहे दो युद्धपोत प्रगति पर हैं। 2018 में भारत ने चार तलवार श्रेणी के जहाजों के लिए रूस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता किया था। रूस में बन रहे दोनों जंगी जहाजों की लंबाई 410 फीट है। वह इसकी बीम 49 फीट और ड्रॉट 14 फीट है। ये युद्धपोत समुद्र में 59 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकते हैं। ये 4850 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं। दोनों युद्धपोतों पर 18 अधिकारियों के साथ 180 सैनिक 30 दिन तक समुद्र में तैनात रह सकते हैं। इनके मारक क्षमता की बात करें तो ये एक स्टील्थ युद्धपोत है। यानी इन्हें रडार से ट्रैक करना मुश्किल है। इसमें पानी के नीचे का शोर बेहद कम होता है, जिस कारण पनडुब्बियां इनका जल्दी पता नहीं लगा सकतीं। यह जहाज गैस टरबाइन इंजन के जरिए चलता है। जहाज खतरनाक हथियारों से लैस है। इसमें जमीन और हवा में मार करने वाली मिसाइल हैं। पनडुब्बी को खत्म करने के लिए इसमें टॉरपीडो ट्यूब भी लगाई गई हैं। ये जंगी जहाज इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से भी लैस हैं। साथ ही 4 केटी-216 डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं। इसमें मीडियम रेंज की मिसाइलें 8 इगला-1ई, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल क्लब तैनात किए जा सकते हैं। इसके अलावा 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप और जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात की जा सकती है। ये जहाज खतरनाक टॉरपीडो और नेवल गन से लैस हैं। इसमें एक 100 मिलिमीटर की ए-190 ई नेवल गन लगी है। इसके अलावा एक 76 एमएम की ओटो मेलारा नेवल गन लगी है। 2 एके-630 सीआईडब्लूएस और 2 काश्तान सीआईडब्लूएस गन लगी हैं। एक रॉकेट लॉन्चर भी तैनात की गई है। इन जंगी जहाजों को कामोव-28 या एक कामोव-31 अथवा ध्रुव हेलिकॉप्टर से लैस किया जा सकता है।
भारतीय नौसेना को मिलेंगे दो नए महाविनाशक युद्धपोत
19-Jul-2024