भारत ने बनाई एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन, खुलेगा अंतरिक्ष का रहस्य

नई दिल्ली। भारत ने एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन बनाने में सफलता पाई है। इस उपलब्धि को अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। निर्माण के साथ ही इस दूरबीन की पूरी दुनिया में चर्चा शुरू हो गई है। आखिर यह इतनी खास क्यों है आइये इसकी खासियत के बारे में बताते हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र यानी बीएआरसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड और अन्य साझेदारों के सहयोग से इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का निर्माण किया है। पूर्ण रूप से स्वदेशी इस दूरबीन का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया है। इस मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट वेधशाला को बीएआरसी की मदद से स्थापित किया गया है। इस वेधशाला को परमाणु ऊर्जा विभाग की 70वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान स्थापित किया गया। परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने दूरबीन निर्माण को लेकर सामूहिक प्रयास की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह वेधशाला भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जो ब्रह्मांडीय-किरण अनुसंधान में देश को वैश्विक स्तर पर और आगे ले जाएगी। इस दूरबीन से वैज्ञानिकों को उच्च ऊर्जा वाली गामा किरणों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। साथ ही ब्रह्मांड की सर्वाधिक ऊर्जावान घटनाओं को गहराई से समझने का मार्ग प्रशस्त होगा। इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन को 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। जो वैश्विक स्तर पर सबसे ऊंचा है। जहां से यह उच्च-ऊर्जा गामा किरणों का निरीक्षण करेगी। इसके अलावा यह ब्रह्मांड में सबसे ऊर्जावान घटनाओं, जैसे सुपरनोवा, ब्लैक होल और गामा-रे विस्फोटों को समझने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगी। साथ ही यह वैश्विक वेधशालाओं का पूरक भी होगी, जिससे मल्टीमैसेंजर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी। डॉ. मोहंती के अनुसार, दूरबीन के माध्यम से वैज्ञानिक उन घटनाओं का अध्ययन कर सकेंगे जो अभी तक समझ से परे थीं। इससे अंतरिक्ष विज्ञान और ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को उजागर करने में भी बड़ी मदद मिलेगी। डॉ. मोहंती का का कहना है कि यह परियोजना ना केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, बल्कि लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सहयोग प्रदान करेगी।