भारत के प्रहार से सब फेल

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। सीमा पार से किए गए हवाई हमलों का भारत ने सटीक जवाब देकर सिर्फपाकिस्तान को जवाब नहीं दिया बल्कि उसके दो दोस्तों की पोल खोल कर रख दी। चीनी और तुर्की हथियारों में कितना दम है यह दुनिया ने देख लिख। भारत ने सभी हमलों को बिना किसी क्षति के सफलतापूर्वक नष्ट किया। यह हमारी सैन्य रणनीति, निगरानी और हथियार प्रणाली की ताकत को दर्शाता है। भारत ने लॉन्ग रेंज ड्रोन से लेकर गाइडेड म्यूनिशन तक हर क्षेत्र में सैन्य आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की।
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भारत ने चौंकाया


11 मई को दिल्ली में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल ए.के. भारती ने एक ऐसी तस्वीर दिखाईं जिसने देश-विदेश में खलबली मचा दी। यह तस्वीर थी चीनी पीएल-15 मिसाइल की, जो जमीन पर लगभग सही-सलामत पाई गई। भारत की वायुसेना ने उसे हवा में ट्रैक कर नीचे गिरा दिया था। ये मिसाइल पाकिस्तान ने दागी थी। ये घटना उस चार दिनी संघर्ष का हिस्सा थी जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की नई इबारत लिख दी। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जिस मिसाइल को चीन ने दुनिया की सबसे एडवांस एयर-टू-एयर मिसाइल बताया था, वो आखिरकार भारत में यूं कैसे धूल चाटती पाई गई? जापान और फ्रांस जैसे देश इसके मलबे में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। कहा गया कि इसकी रेंज 200 किमी से भी ज्यादा है। वही इसकी स्पीड मैक 5 तक है। यानी इसकी स्पीड आवाज की स्पीड से 5 गुना तेज है। 
इन हथियारों ने फेल किया हमला


आपरेशन आपरेशन के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें भारत में निर्मित टेक्नोलॉजी और हथियारों का इस्तेमाल किया गया। भारत ने आकाश मिसाइल प्रणाली से लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित डी4 एंटी-ड्रोन प्रणाली तक विभिन्न प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल किया। भारत ने ड्रोन और मिसाइलों के हमले से बचने के लिए डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम का उपयोग किया। यह स्वदेशी रूप से विकसित ड्रोन डिटेक्शन और न्यूट्रलाइजेशन सिस्टम है, जिसका इस्तेमाल ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट करना है। 

सुखोई-30 एमकेआई ने निभाई अहम भूमिका


भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई विमान को एचएएल ने भारत में ही बनाया है। ये फाइटर जेट आपरेशन सिंदूर में बहुत अहम रहे। ये जेट एक ब्रह्मोस मिसाइल ले जा सकते हैं और हवा में ईंधन भरकर करीब 11 घंटे तक उड़ सकते हैं। सुखोई में ब्रह्मोस मिसाइल जोड़ने से भारत के हमला करने की ताकत कई गुना बढ़ गई।
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बराक-8 मिसाइल का भी हुआ इस्तेमाल


बराक-8 मिसाइल को भारत की डीआरडीओ और इजराइल की एक कंपनी ने मिलकर बनाया है। यह मिसाइल दुश्मन के विमान, ड्रोन, मिसाइल और बड़े हमलों को भी रोक सकती है। इसकी तेज रफ्तार, जल्दी जवाब देने की क्षमता और खास रडार सिस्टम इसे भारत की हवाई सुरक्षा का अहम हिस्सा बनाते हैं।

आईएसीएसएस सिस्टम अहम


पाकिस्तान के हमलों को रोकने मे भारत की हवाई सुरक्षा में आईएसीएसएस सस्टम बहुत मददगार साबित हुआ। यह सिस्टम भारतीय वायुसेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिलकर बनाया है। यह जमीन के नीचे बने एक गुप्त जगह से काम करता है। रडार, सेंसर, विमान से मिलने वाली जानकारी और खुफिया सूचनाओं को जोड़कर आसमान में क्या हो रहा है, उसकी पूरी तस्वीर दिखाता है। इससे दुश्मन के हमलों को जल्दी पहचानकर तुरंत जवाब दिया जा सकता है। इसी की मदद से पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को समय रहते रोका गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।

आकाशतीर से करारा जवाब


आकाशतीर एक मीडियम रेंज मिसाइल है जो जमीन से हवा में वार करती है। इसे भारत ने खुद बनाया है और अब यह भारतीय सेना और वायुसेना दोनों के पास है। आॅपरेशन सिंदूर के दौरान, आकाशतीर के नए वर्जन आकाश-एनजी ने कई ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में बड़ी मदद की। यह मिसाइस बहुत तेज उड़ती है और 30 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर ऊंचाई तक के लक्ष्य को मार सकती है।  इसमें जोरदार धमाका करने वाला वारहेड और स्मार्ट सेंसर लगे होते हैं। रडार, लॉन्चर और कंट्रोल सिस्टम- सब कुछ भारत में ही बना है। यह सिस्टम अब भारत की हवाई सुरक्षा का अहम हिस्सा बन गया है।
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मल्टीलेयर सिक्योरिटी सिस्टम


1- काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स
2- कंधे पर रखकर चलने वाले हथियार (शोल्डर फायरड वेपन्स)
3- पुरानी लेकिन प्रभावी एयर डिफेंस प्रणालियां
4- आधुनिक वायु रक्षा हथियार प्रणालियां

सेना के प्रवक्ता के अनुसार 9-10 मई की रात जब पाकिस्तान वायुसेना ने भारतीय एयरफील्ड्स और लॉजिस्टिक ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, तब इसी बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली ने उनकी कोशिश को पूरी तरह नाकाम कर दिया। ये प्रणालियां पिछले एक दशक में निरंतर सरकारी निवेश से विकसित की गई हैं और आॅपरेशन सिंदूर के दौरान फोर्स मल्टिप्लायर (बलवर्धक) साबित हुईं।