अमेरिका ने बनाया पहला ए आई वॉर शिप, कांपेंगे दुश्मन देश 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका ने पहला ए आई वॉर शिप बनाया है। यह समंदर में दुश्मन को भुट्टे की तरह भून देगा। इसकी आहट सुनकर ताइवान पर कब्जे की कोशिश में जुटा चीन भी कांप उठा है। यह 44 टन वजनी समुद्री युद्धपोत बेहद खतरनाक बताया जा रहा है। दक्षिण चीन सागर और येलो सागर में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। चीन का सैन्य निर्माण और किम जोंग उन की अमेरिका को धमकियां चिंता बढ़ा रही हैं। ब्रिटेन ने चीन की गतिविधियों पर चिंता जताई है। ट्रंप की संभावित चीन यात्रा और अमेरिका-दक्षिण कोरिया का युद्धाभ्यास तनाव को और बढ़ा रहे हैं। यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। 

चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियां

महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियों के बीच बड़ी खबर आई है। अमेरिका ने चीन के आक्रामक रवैए को तोड़ने के लिए नया युद्धपोत तैयार किया है। अमेरिका ने दुनिया का पहला 44 टन वजनी एआई  संचालित युद्धपोत बना लिया है। यह बिना रुके 1,150 मील की दूरी तय कर सकता है। अमेरिका के इस क्रांतिकारी युद्धपोत में ऐसी क्षमताएं हैं जो पहले कभी नहीं देखी गईं। यह टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों और नेवल स्ट्राइक मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता से लैस है। संयुक्त राज्य अमेरिका के अगली पीढ़ी के युद्धपोत का नाम एयरकैट बंगाल एम.सी है। अमेरिका का नया एआई वॉरशिप 36 मीटर लंबा है। 

वॉरशिप की सरफेस इफेक्ट गति

साथ ही सरफेस इफेक्ट शिप गति, भारी पेलोड क्षमताओं और स्वायत्त नेविगेशन से लैस है। यूरेका नेवल क्राफ्ट के अनुसार एयरकैट बंगाल एम.सी 44 टन पेलोड ले जाने की अपनी क्षमता के कारण सबसे अलग है। अपने आकार के बावजूद, यह पोत पेलोड के आधार पर 50 नॉट से अधिक की गति तक पहुंच सकता है, और इसकी सीमा 1,000 समुद्री मील है। आस्ट्रेलियाई समुद्री स्वायत्तता विशेषज्ञ ग्रीनरूम रोबोटिक्स और ईएसएनए के साथ साझेदारी में यूरेका नेवल क्राफ्ट ने इसे बनाया है। इसे बनाने वाली कंपनी यूरेका नेवल क्राफ्ट के सीईओ बो जार्डाइन ने मौजूदा जहाजों की आलोचना करते हुए उन्हें पुराना, सुस्त और महंगा बताया है। 

एआई युद्धपोत पर रिपोर्ट


अमरिकी एआई युद्धपोत पर इंडियन डिफेंस रिव्यू की रिपोर्ट में भी इसकी जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार गति, शक्ति और स्वायत्तता के लिए इसका निर्माण किया गया है। यह 44 टन का जहाज नौसेना युद्ध की दशा और दिशा को हमेशा के लिए बदल सकता है। आने वाले समय में ऐसे ही जहाजों की डिमांड होगी। यह दुनियाभर के देशों को आर्कर्षित करने वाला है। भारत भी इस दिशा में काम शुरू कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार युद्धपातों को एआई से लैस करने पर दुश्मन देश पर सटीकता से हमला होगा। बिना समय गंवाए यह दूसरे देश के युद्धपोत पर हमला कर उसे नष्ट भी कर देगा। इस एआई युद्धपोत को बेहतर मारक क्षमता और गतिशीलता बनाए रखने वाले जहाजों की निर्माण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके आने से दुनिया भर के देश महंगे युद्धपोत और चालक दल वाले जहाजों पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम करने की शुरुआत करेंगे। 

साउथ चाइना सी में जंग का खतरा


बता दें कि  साउथ चाइना सी और येलो सी में जंग का खतरा मंडरा रहा है। दावा है कि मिडिल ईस्ट और यूरोप के बाद एशिया में युद्ध का नया फ्रंट खुल सकता है। नंबर 1 पर साउथ चाइना सी है, जहां चीन, ताइवान और फिलीपिंस के खिलाफ युद्ध छेड़ सकता है। दूसरे नंबर पर येलो सी है, जहां किम जोंग दक्षिण कोरिया पर हमला कर सकते हैं। ऐसे में अमेरिका का यह युद्धपोत चीन पर नकेल कसने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है।