जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले में 26 सैलानियों की क्रूरता के साथ की हत्या के जवाब में भारत के आॅपरेशन सिंदूर में सैन्य ताकत के साथ प्रौद्योगिकी श्रेष्ठता की धमक देखने को मिली। आपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक नई रणनीति, नया आत्मविश्वास और भारत की नई सैन्य नीति की घोषणा है। यह शंखनाद है कि अब भारत सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति के साथ आतंक के ठिकानों पर सर्जिकल प्रहार करेगा। यह आपरेशन हमेशा याद किया जाएगा। इस आपरेशन की कामयाबी ने दुनिया भर के देशों को स्पष्ट संदेश दिया कि अब परमाणु बम होने का दंभ भरने वाले पाकिस्तान की करतूतों को किसी हाल में सहन नहीं करेगा। चीन और तुर्की के हथियारों की पोल खुलने समेत अन्य पहलुओं पर पढ़िए विश्लेषात्मक रिपोर्ट।
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1971 के बाद सबसे बड़ा हमला
भारत ने 7 मई सुबह डेढ़ बजे पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त करते हुए आॅपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। भारत की यह एक सुनियोजित, सीमित और सटीक सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य स्पष्ट था, आतंकवाद को उसी की जमीन पर कुचलना। इस आॅपरेशन को सिंदूर नाम देना भारत की सांस्कृतिक और भावनात्मक सोच को दर्शाता है। योजनाबद्ध और सटीक तरीके से किए गए इस आपरेशन में भारतीय सैन्य बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों ने 9 लांच पैड तबाह किए। ये आतंकी कैंप भारत में खूनी खेल खलने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। यह सिर्फ आतंकी कैंपों पर हमला नहीं था, बल्कि 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के अंदर भारत की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई थी। बता दें कि पंजाब पाकिस्तान का राजनीतिक और सैन्य गढ़ है। पाकिस्तान में अलगाववादी आंदोलनों के पीछे पंजाबी प्रभुत्व को बड़ी वजह बताया जाता है। इसके पहले उरी और पुलवामा हमले के जवाब में की गई कार्रवाई में भी भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को निशाना नहीं बनाया था। आपरेशन सिंदूर में 9 जगहों को निशाना बनाने के पीछे बड़ी रणनीति थी। ये ठिकाने आतंक का गढ़ माने जाते हैं। इनमें से चार पंजाब के बहावलपुर, सियालकोट और शेखूपुरा जिलों में थे। भारत के खिलाफ जेहाद का युद्ध छेड़े हुए जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा दोनों का मुख्यालय पंजाब प्रांत में ही है।
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आतंक की गढ़ थी 9 जगहें
1. बहावलपुर : यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किमी दूर स्थित है। यहां जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था, जिसे भारतीय सेनाओं ने ध्वस्त कर दिया।
2. मुरीदके : ये आतंकी ठिकाना इंटरनेशनल बॉर्डर से 30 किमी दूर स्थित है। यहां लश्कर-ए-तैयबा का शिविर था, जो कि 26/11 मुंबई हमले से जुड़ा था।
3. गुलपुर- ये आतंकी ठिकाना (पुंछ-राजौरी) से 35 किलोमीटर दूर स्थित है।
4. लश्कर कैंप सवाई : ये आतंकी ठिकाना पीओके तंगधार सेक्टर के अंदर 30 किलोमीटर दूर स्थित है।
5. बिलाल कैंप : जैश-ए-मोहम्मद का लॉन्चपैड, ये ठिकाना आतंकियों को सीमा पार भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
6. कोटली : यह एलओसी से 15 किलोमीटर दूर स्थित लश्कर का शिविर. था। यह 50 से अधिक आतंकियों की क्षमता वाला ठिकाना था।
7. बरनाला कैंप : ये आतंकी ठिकाना एलओसी से 10 किमी दूर स्थित था।
8. सरजाल कैंप : यह सांबा-कठुआ के सामने इंटरनेशनल बॉर्डर से 8 किमी दूर स्थित जैश का प्रशिक्षण केंद्र था।
9 मेहमूना कैंप : ये सियालकोट के पास स्थित है। यह हिज्बुल मुजाहिदीन का प्रशिक्षण शिविर था और इंटरनेशनल बॉर्डर से 15 किमी दूरी पर स्थित था।
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25 मिनट के अंदर आतंकी ढांचे ध्वस्त
आपरेशन सिंदूर ने एक बेहद बड़े भौगोलिक क्षेत्र में आतंकी ढांचे को ध्वस्त किया गया। यह हमला भारतीय सैन्य बलों की शानदार सैन्य क्षमता का नमूना था। 970 किलोमीटर क्षेत्र में फैले 9 आतंकी कैंपों को 25 मिनट के अंदर निशाना बनाकर भारत ने अपनी क्षमता दिखाई है। आॅपरेशन 1.05 मिनट पर शुरू हुआ और 1.30 मिनट पर पूरा हुआ। इस दौरान भारतीय बलों ने स्कैल्प क्रूज मिसाइलों और हैमर गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया।
100 से ज्यादा आतंकी ढेर
आॅपरेशन सिंदूर में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह करने की कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। यह भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले आतंकी बलों के लिए बड़ा झटका था। बहावलपुर में भारतीय हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और उसके चार सहयोगी भी मारे गए। इसके पहले के भारतीय सैन्य अभियानों में किसी खास आतंकवादी समूह को निशाने पर रखकर कार्रवाई की गई, लेकिन आपरेशन सिंदूर में कई आतंकी संगठनों को निशाने पर लिया गया। इस बार केवल पहलगाम ही नहीं, बल्कि भारत पर कई दूसरे हमलों के जिम्मेदार आतंकी समूहों के कैंपों को भी तबाह किया गया।
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संयुक्त आपरेशन में कामयाबी
न्यूज एजेंसियों के मुताबिक, आपरेशन सिंदूर एक संयुक्त आॅपरेशन था। इसमें वायुसेना, थलसेना और नौसेना की लक्ष्य को सटीक तरीके से भेदने वाली हथियार प्रणालियों यानी प्रीसिशन स्ट्राइक वेपन्स का इस्तेमाल किया गया। हमले में लॉयटरिंग म्यूनिशंस यानी घातक ड्रोन शामिल थे। हमला कहां होना है, इसके बारे में भारत की खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी। वहीं, हमले को भारतीय सरजमीं से ही अंजाम दिया गया। इसका खुलासा थलसेना के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन यानी एडीजीपी के एक्स हैंडल के जरिए हुआ। इस हैंडल के जरिए सेना ने पहले रात 1:28 बजे 64 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया, जिस पर लिखा था- प्रहाराय सन्निहिता:, जयाय प्रशिक्षिता:। यानी हमले को तैयार और जीत के लिए प्रशिक्षित। इसके बाद रात 1:51 बजे दूसरा पोस्ट जारी हुआ, जिसमें आपरेशन सिंदूर की तस्वीर के साथ लिखा था- इंसाफ पूरा हुआ, जय हिंद।
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आपरेशन सिंदूर ही नाम क्यों?
22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम स्थित पर्यटक स्थल पर आतंकियों ने गोलियां बरसाई थीं। इन आतंकियों ने लोगों से धर्म पूछा था। हिंदू पुरुषों को अलग किया और उनके परिवार के सामने उन्हें गोली मार दी। हमले में कई महिलाओं ने अपने पति को खोया। इनमें से कुछ महिलाओं की कुछ ही दिन पहले शादी हुई थी और वे पति के साथ पर्यटन के लिए पहलगाम आईं थीं। इस हमले में जिन महिलाओं के माथे का सिंदूर छिन गया, उन्हीं के सम्मान में एक संदेश देने के लिए भारत ने इस कार्रवाई को आपरेशन सिंदूर नाम दिया।
सेना ने लोइटरिंग म्यूनिशंस का किया इस्तेमाल
सेना ने सटीक हमला करने वाली हथियार प्रणाली का इस्तेमाल किया। इसमें लोइटरिंग म्यूनिशंस यानी कामिकाजे ड्रोंस या सुसाइड ड्रोंस भी शामिल थे। ये ऐसे हथियार हैं, जो सटीक निशाना लगाने से पहले लक्ष्यों के आसपास मंडराते हैं। यूएवी की निगरानी क्षमताओं और मिसाइलों की घातक सटीकता को साथ लाने से यह हथियार दुश्मनों काल साबित होता है। पारंपरिक मिसाइलों के उलट यह सिर्फ पहले से तय किए गए लक्ष्य का पीछा नहीं करते, बल्कि, वे सही समय का इंतजार करते हैं, लक्ष्य के आसपास मंडराते हैं, ट्रैक करते हैं और फिर हमला करते हैं। ऐसे हथियार है, जो एक ही आॅपरेशन में खुफिया जानकारी भी इकट्ठा करते हैं और भारी तबाही मचाते हैं।
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आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
भारतीय वायुसेना ने इस आपरेशन के तहत अत्याधुनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए बहावलपुर, मुजफ्फराबाद, कोटली, मुरीदके, बाघ और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की कुछ आतंक-प्रवण लोकेशनों पर हमलाकर पूरी दुनिया को यह दिखा दिया है कि आतंकवाद से निपटने के लिए उसे अब किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने को तैयार है।
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सुनियोजित रणनीति का कमाल
इस आपरेशन की योजना और क्रियान्वयन अत्यंत गोपनीय और तकनीकी रूप से उन्नत स्तर पर हुई। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने 22 अप्रैल के हमले के बाद जिस तेजी से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों की पहचान की और सेना के साथ समन्वय किया, वह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की परिपक्वता का प्रमाण है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में स्पष्ट किया गया है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल आतंकवाद के अड्डों को निशाना बनाना था, न कि पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों या नागरिक आबादी को। इस आपरेशन के दौरान भारत ने कुल 24 मिसाइलें दागी, जिनमें से अधिकांश लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों पर सटीकता से गिरी।
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नाकारता रहा पाक
पाकिस्तान का स्थानीय मीडिया और प्रशासन पहले इस हमले को नकारते रहे, फिर अलग-अलग बयान देकर भ्रम फैलाने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना के आईएसपीआर प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने दावा किया कि भारत ने 6 अलग-अलग स्थानों पर मिसाइलें दागी, जिनमें 8 नागरिकों की मौत हुई। वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जियो टीवी पर दावा किया कि भारत ने अपने ही हवाई क्षेत्र से हमला किया और मिसाइलें रिहायशी इलाकों पर गिरी। पाकिस्तान के दावे आपस में ही विरोधाभासी हैं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वे न तो इस हमले के लिए तैयार थे और न ही उनके पास इसकी ठोस जानकारी थी। वहीं, भारत ने इस आपरेशन के तुरंत बाद अमेरिका को इस कार्रवाई की जानकारी दी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिकी एनएसए और विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बात कर उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान की संप्रभुता के विरुद्ध। भारतीय दूतावास ने अमेरिका में बयान जारी कर बताया कि भारत ने किसी भी पाकिस्तानी नागरिक, सैन्य या आर्थिक ठिकानों को निशाना नहीं बनाया, केवल उन्हीं आतंकी शिविरों पर हमला किया गया, जो भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे।
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पीएम मोदी कर रहे थे निगरानी
गौरतलब है कि पहलगाम हमले में मारे गए 25 भारतीयों और 1 नेपाली नागरिक की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र से वादा किया था कि आतंकियों और उनके संरक्षकों को दंड मिलेगा। आपरेशन सिंदूर उस वादे को पूरा करने का ऐतिहासिक उदाहरण बन गया। इस आपरेशन के पूरे समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी निगरानी कर रहे थे। उन्होंने सेना को पूर्ण स्वतंत्रता दी थी और इस आपरेशन की बारीकियों पर लगातार नजर बनाए रखी। आपरेशन पूरा होने के बाद भारतीय सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जस्टिस इज सर्व्ड यानी न्याय हो गया लिखा जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत माता की जय के नारे के साथ इस कार्रवाई को राष्ट्र के प्रति समर्पित किया था।
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रॉ ने दी थी 21 ठिकानों की लिस्ट
भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने इस अभियान के लिए 21 आतंकी ठिकानों की एक सूची तैयार की थी। यह पूरी कार्रवाई कोई अचानक फैसला नहीं थी। 3 मई को एक उच्चस्तरीय बैठक में इस आपरेशन की रूपरेखा तैयार की गई थी। रणनीति, लक्ष्य और टाईमिंग तय कर ली गई थी कि इस बार वार आतंकी संगठनों की रीढ़ पर होगा। आपरेशन सिंदूर एक ऐसी सैन्य कार्रवाई थी, जो तकनीक, खुफिया जानकारी और सैन्य समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण बनी। कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी शिविरों पर कई हमलों को दिखाते हुए वीडियो प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई नपी तुली, जिम्मेदारी भरा और गैर उकसावे वाला रही।