जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के दो दिवसीय भारत दौरेपर दुनिया की नजरें टिकी हैं। पुतिन का भारत दौरा पिछली यात्रा के मुकाबले काफी अहम माना जा रहा है। इस बार दोनों देशों के बीच रक्षा समेत कई बड़े समझौते होने वाले हैं। इन समझौतों से दुश्मन और पड़ोसी देशों की नींद गायब होने वाली है।
सच्ची दोस्ती का रूस ने परिचय
दर्जनों बार रूस ने सच्ची दोस्ती का परिचय दिया है। जब-जब अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत को रूस की मदद चाहिए थी, रूस ने खुलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का साथ दिया। पिछले 7 दशक में कई ऐसे मौके आए जब दोनों ने दुनिया को दिखा दिया कि उनकी दोस्ती मजबूत है। आज भी दोनों देशों का एक ही राग है। कोई कुछ करे या कहे हम ये दोस्ती नहीं तोड़ेंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यह पहली यात्रा है। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार से लेकर कई रक्षा समझौते होने वाले हैं। इन समझौतों का दुनिया के कई देशों पर सीधा असर होगा। बता दें कि रूसी राष्ट्रपति का यह दौरा चार साल के अंतराल के बाद हो रहा है। वे आखिरी बार वे 2021 में भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने नई दिल्ली आए थे।
संघर्ष के चलते रूस पर प्रतिबंध
यूक्रेन के साथ संघर्ष के चलते रूस पर पश्चिमी देशों ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इसके चलते रूस के पास अब व्यापार के लिहाज से बेहद कम मित्र देश बचे हैं। कुछ देश भारत-रूस के बीच संबंधों में अवरोध पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, इसके बावजूद भारत-रूस अपना द्विपक्षीय व्यापार अगले पांच साल में 100 अरब डॉलर तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। रूस ने कुछ समय पहले ही अपने और भारत के व्यापार को बाहरी देशों के प्रभाव से बचाने के लिए एक तंत्र खड़ा करने की बात कही थी। इसके तहत क्रेमलिन एक ऐसा आर्किटेक्चर बनाने वाला है, जिससे दोनों देश सिर्फ अपनी मुद्राओं में ही लेन-देन करेंगे। इसमें डॉलर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस तंत्र से डालर कमजोर हो जाएगा। इससे अमेरिका परेशान है।
दोनों देशों के अधिकारियों ने की बात
पुतिन की यात्रा से पहले दोनों देशों के अधिकारी रक्षा, कृषि, शिपिंग और मुक्त व्यापार जैसे मुद्दों पर बातचीत कर चुके हैं। रूस भारत के साथ नागरिक परमाणु ऊर्जा सहयोग भी बढ़ाना चाहता है। रूसी प्रतिनिधिमंडल में देश के सबसे बड़े बैंक स्बेरबैंक और हथियार निर्यातक रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के प्रमुख भी शामिल हैं। स्बेरबैंक भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में रुपये के माध्यम से निवेश करने में रुचि दिखा रहा है। रूस चाहता है कि भारत उसकी तेल कंपनियों को तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति में मदद करे, क्योंकि प्रतिबंधों के चलते कई आपूर्तिकर्ता उपलब्ध नहीं हैं। जबकि भारत रूस के सखालिन-1 प्रोजेक्ट में अपनी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बहाल कराने की कोशिश कर रहा है।
भारत को दिया उन्नत लड़ाकू विमान
रूस ने भारत को अपना उन्नत लड़ाकू विमान एसयू-57 भी आफर किया है, जो इस यात्रा की बातचीत में शामिल होने की उम्मीद है। भारत एस-400 की अतिरिक्त इकाइयां और एस-500 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने पर विचार कर रहा है। रूस के डिप्टी पीएम यूरी बोर ने संकेत दिया है कि भारत शायद सबसे पहले यह सिस्टम पाने वाला देश बनेगा। बता दें कि एस-500 की मारक क्षमता 500 से 600 किलोमीटर तक है। यह 180 से 200 किलोमीटर ऊंचाई पर भी टार्गेट को हिट कर सकता है। यह लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज और यहां तक कि हाइपरसोनिक हथियारों को भी इंटरसेप्ट कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अगर भारत को एस-500 मिलता है तो चीन पर भी निर्णायक रणनीतिक बढ़त मिल जाएगी। इसका कारण है कि जहां एस-400 की पहुंच 400 किलोमीटर तक सीमित है, वहीं एस-500 की पहुंच 600 किलोमीटर तक है। पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात को सिर्फ डिफेंस डील तक सीमित नहीं देखा जा रहा। इसे वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इसे वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।





