जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। इजरायल और भारत के बीच जल्द अब तक की सबसे बड़ी डील होने वाली है। इस डील के अनुसार भारत डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का हब बनेगा। इजरायल भारत में कई तरह के हाई टेक हथियार से लेकर ड्रोन सिस्टम का निर्माण करेगा। इससे दुश्मन देश पाकिस्तान समेत तुर्की को न केवल करारा जवाब मिलेगा बल्कि एशिया में नया शक्ति समीकरण भी बनेगा।
एशिया में बनेगा नया शक्ति समीकरण
भारत दशकों से डिफेंस सेक्टर में रूस समेत अन्य देशों पर निर्भर रहा है। बता दें कि रूस ने भारत को फाइटर जेट से लेकर पनडुब्बियां, टैंक और मिसाइलों की सप्लाई की है। मोदी सरकार आते ही रक्षा क्षेत्र में भारतीय युग ने करवट ली है। पिछले कुछ सालों में भारत ने रूस समेत अन्य देशों पर अपनी निर्भरता कम की है। भारत ने अब इजरायल और फ्रांस जैसे देशों के साथ अपने रक्षा संबंध मजबूत किए हैं। इससे एशिया महाद्वीप में शक्ति के नए समीकरण बनने लगे हैं। इसी क्रम में भारत और इजरायल अपने रक्षा संबंध को उस स्तर पर ले जा रहे हैं, जहां कोई ग्राहक या विक्रेता नहीं होता है। यानि, दोनों देशों के बीच पारंपरिक तौर पर हथियारों की खरीद बिक्री वाला रिश्ता बहुत जल्द पीछे छूटने वाला है।
एडवांस हथियार प्लेटफॉर्म शामिल
रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल अब अपनी डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को भारत में शिफ्ट करने की संभावनाओं पर काम कर रहा है। यानि इजरायल अपने हथियार मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाएगा। इसके तहत हाई टेक ड्रोन समेत कई दूसरे एडवांस हथियार प्लेटफॉर्म शामिल हैं। बता दें कि पिछले महीने भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इजरायल का दौरा किया था। इस दौरान तेल में भारत-इजरायल जॉइंट वर्किंग ग्रुप की मीटिंग हुई थी। यहां दोनों देशों ने डिफेंस सहयोग पर एक नए एमओयू पर साइन किए। जिसका मकसद एडवांस हथियारों का ज्वाइंट डेवलपमेंट, डिफेंस सिस्टम के को-प्रोडक्शन और एआई और साइबर, ट्रेनिंग समेत अन्य एडवांस्ड टेक्नोलॉजी शेयरिंग के जरिए आपसी संबंधों को गहरा करना है।
बराक-8 जैसे एडवांस डिफेंस सिस्टम शामिल
रिपोर्ट में तेल अवीव में भारतीय दूतावास के हवाले से और इजरायली सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर की पुष्टि की गई है। खबर के अनुसार दोनों सरकारें, इजरायल के इनोवेशन इकोसिस्टम को भारत की इंजीनियरिंग ताकत के साथ मिलाकर मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड डिफेंस प्रोडक्ट्स बनाने पर काम कर रही हैं। भारतीय दूतावास के एक सीनियर डिप्लोमैट ने कहा कि यह बदलाव अगले छह महीने से एक साल में दिखने लगेगा। भारत के लिए ये एक एतिहासिक मौका होगा। बता दें कि पिछले कुछ सालों में इजरायल ने भारत को कई क्रिटिकल डिफेंस टेक्नोलॉजी दी हैं। वहीं बराक-8 जैसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम और एडवांस इजरायली ड्रोन भी भारत में ही बनते हैं।
दोनों देशों के लिए फायदेमंद
इजरायल और भारत की डील के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद रहगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि इजरायल एक छोटा देश है और उसे डर लगा रहता है, कि दुश्मन उसके डिफेंस फैक्ट्रियों को युद्ध में निशाना बना सकते हैं। ऐसे में वो भारत जैसे विश्वसनीय भागीदार पर भरोसा कर रहा है। इससे भारत में हथियारों का प्रोडक्शन होगा और इजरायल को हथियारों की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा भारत ने भी अपनी डिफेंस नीति को काफी हद तक बदल दिया है। भारत अब सिर्फ हथियार खरीदना नहीं चाहता है, बल्कि भारत का फोकस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और मेक इन इंडिया हथियारों के उत्पादन पर फोकस है। भारत अब हथियारों का लोकल प्रोडक्शन चाहता है। भारत में जो प्रोजेक्ट्स पहले से चल रहे हैं, उनमें जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलों का ज्वाइंट प्रोडक्शन शामिल हैं। इसके अलावा स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियों की मैन्युफैक्चरिंग और भारत की आर्म्ड फोर्सेज में टद-9इ ड्रोन्स का इंटीग्रेशन शामिल है। यानि भारत अब हथियारों को सीधे खरीदने के बजाए उसे भारत में बनाने पर जोर दे रहा है। इससे भविष्य में भारत खुद एडवांस हथियारों को डेवलप कर सके और फिर उसका निर्यात कर सके। ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश डिफेंस सिस्टम इसका उदाहरण है।





