800 साल पुराने हिंदू मंदिर को लेकर दो देशों में भयंकर युद्ध

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 800 साल पुराने हिंदू मंदिर को लेकर दो देशों में भयंकर जंग छिड़ गई है।  ये देश थाईलैंड-कंबोडिया है। दानों के बीच दूसरे दिन भी जंग जारी है। आज तड़के कंबोडिया के सिएम रीप राज्य पर थाईलैंड की वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने हमला किया। इसके बाद बौद्ध भिक्षुओं के एक समूह को वहां से भागना पड़ा। इस जंग पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। 
दुनिया के लिए युद्धों का साल बना 2025 

2025 दुनिया के लिए युद्धों का साल बन गया है। कंबोडिया-थाईलैंड युद्ध इस साल का पांचवां बड़ा संघर्ष है। जो प्रीह विहार और ता मुएन थोम मंदिरों के पास सीमा विवाद से शुरू हुआ। इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान युद्ध, यूक्रेन-रूस, इजरायल-हमास, सूडान गृहयुद्ध और ईरान-पाकिस्तान तनाव ने दुनिया को हिलाकर रख दिया। अब भारत के पड़ोसी थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक दशक से भी ज्यादा समय से चल रहा सीमा विवाद आखिरकार भीषण युद्ध में बदल गया है। दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ अब तक का सबसे खतरनाक युद्ध लड़ रहे हैं, जिसमें कम से कम 50 लोग मारे गए हैं। इससे पहले मई के अंत में एक कंबोडियाई सैनिक की झड़प में मौत के बाद तनाव बढ़ गया। इसके बाद से ही दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक और जवाबी कार्रवाई जारी थी। अब यह विवाद एक बार फिर विवाद गहरा गया है। जंग के पहले ही दिन थाईलैंड के 14 लोगों की मौत हो गई। दूसरे दिन यह आंकड़ा 46 हो गया।  
एफ-16 लड़ाकू विमानों से हमला

थाईलैंड भी एफ-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया को निशाना बना रहा है। विमान ने कंबोडिया के सैन्य ठिकाने तबाह कर दिए हैं। कंबोडिया के अनुसार प्रीह विहार मंदिर के नजदीक एक सड़क पर दो बम गिरे हैं। इस संघर्ष में दोनों देशों की सेनाओं ने भारी हथियारों, जैसे बीएम-21 रॉकेट लांचर, तोपखाने और जेटों से हमले किए। जिससे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रियाह विहार मंदिर को काफी क्षति पहुंची। 
दोनों देशों में है पुराना विवाद

बता दें कि कंबोडिया और थाईलैंड के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई क्षेत्रों को लेकर लंबे वक्त से विवाद चला आ रहा है। इसकी शुरूआत 1907 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाए गए नक्शों से हुई। जिन्हें थाईलैंड सही नहीं मानता। विवाद का केंद्र प्राचीन खमेर साम्राज्य के मंदिर प्रीह विहार और ता मुएन थोम हैं। जो खमेर साम्राज्य के दौरान डांगरेक पर्वतों की एक चट्टान पर बना 9वीं शताब्दी का एक हिंदू मंदिर है। ये शिव मंदिर है। ये मंदिर भौगोलिक रूप से थाईलैंड के निकट है। इस पर पर दोनों देश दावा करते हैं। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया, लेकिन थाईलैंड ने इस फैसले को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं दोनों देश


दक्षिण-पूर्व एशिया के ये दोनों छोटे रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। हजार साल पुराने प्रीह विहेयर मंदिर को लेकर उपजा ये विवाद अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहा। इस संघर्ष पर अब भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है। ये संघर्ष बड़े क्षेत्रीय संकट में बदल सकता है। इसका सीधा फायदा चीन को हो सकता है। बता दें कि कंबोडिया और थाईलैंड दोनों ही आसियान यानी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन के सदस्य हैं। आसियान की सबसे बड़ी ताकत उसकी क्षेत्रीय शांति और आपसी समझ है। अगर दो सदस्य देशों में टकराव बढ़ता है तो पूरे ब्लॉक की विश्वसनीयता और एकता पर सवाल उठेंगे। यहीं से दोनों जगहों पर बाहरी ताकतें एक्टिव हो सकती हैं। यह भारत के दृष्टिकोण से सही नहीं है।

चीन का कंबोडिया पर गहरा है प्रभाव


चीन ने कंबोडिया में रीम नेवल बेस विकसित किया है। यह अमेरिका और भारत दोनों के लिए चिंता का विषय है। कंबोडिया के सत्तारूढ़ नेता हुन सेन और अब हुन मानेट चीन के सबसे भरोसेमंद एशियाई साझेदार माने जाते है।  वहीं थाईलैंड में नई सरकार सैन्य और लोकतांत्रिक ताकतों के बीच संतुलन साधने में व्यस्त है। ऐसे में यह युद्ध गहराया तो चीन को थाईलैंड में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और आर्थिक निवेश के जरिए पकड़ मजबूत करने का मौका मिल सकता है। थाईलैंड पारंपरिक रूप से अमेरिका का सहयोगी रहा है। बीते सालों में थाई के चीन के साथ सैन्य और आर्थिक संबंध गहरे हुए हैं।  अब ये विवाद चीन के लिए अमेरिका और भारत के प्रभाव को कम करने का अवसर हो सकता है।