डीआरडीओ ने तैयार की देश की पहली हाई-मोबिलिटी गन, 2.5 मिनट में दागेगी 10 गोले 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में पहली हाई-मोबिलिटी गन बनकर तैयार हो चुकी है। इसे डीआरडीओ ने बनाया है। एटीएजीएस  गन 2.5 मिनट में 10 गोले दाग सकती है। इससे दुश्मन कही भी छिपा हो वह बच नहीं पाएगा। यह रेगिस्तान से लेकर बफीर्ली पहाड़ियों तक कहीं भी तैनात की जा सकती है। 
हैवी ट्रक पर 155 मिलीमीटर तोप तैनात


देश में पहली बार एक हैवी ट्रक पर 155 मिलीमीटर तोप को तैनात करने की तकनीक को विकसित किया गया है। डीआरडीओ की बनाई ये तकनीक सेना को शूट एंड स्कूट के लिए नई राह खोल देगी। इसे विदेशों में भी निर्यात किया जा सकता है। डीआरडीओ ने दुश्मन को करारा जवाब देने की तैयारी के तहत इसका निर्माण किया है। पुणे में मौजूद आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान एआरडीई ने भी इसमें सहयोग किया है। इसके अलावा प्राइवेट कंपनियां जैसे भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने भी सहयोग किया है। यह तोप 2.5 मिनट में 10 गोले दाग सकती है। खास बात यह है कि इसे रेगिस्तान से बफीर्ली चोटियों तक कहीं भी तैनात किया जा सकता है।
डीआरडीओ ने किया तैयार


बता दें कि एटीएजीएस तोप दुनिया की सबसे बेहतरीन तोप प्रणालियों में से एक है। यह 155 मिमी 52 कैलिबर की तोप है। इसे 2012 में डीआरडीओ के आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान यानी एआरडीई के लिए मंजूर किया गया था। एटीएजीएस की अधिकतम मारक दूरी 48 किलोमीटर है। इसमें 25 बमों की क्षमता वाला बैरल है और यह जोन सात में फायर कर सकती है। इसके अलावा यह सटीक निशाना लगा सकती है। इसे सभी मौसम और भूभागों में आसानी से तैनात किया जा सकता है। यह सेना के पास मौजूद गोला-बारूद दागने के लिए अनुकूल है। इसमें भारतीय सेना के आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के साथ जुड़ने की क्षमता है। एसीसीसीएस का उद्देश्य प्रक्षेप पथ गणना और संचार के क्षेत्रों में गोपनीयता के साथ फील्ड आर्टिलरी को स्वचालित करना है।
तोप में दो प्रमुख असेंबली 


इस तोप में दो प्रमुख असेंबली हैं। ऊपरी कैरिज और अंडरकैरिज। ऊपरी कैरिज में हथियार असेंबली है। इसमें बंदूक बैरल, ब्रीच और थूथन ब्रेक, रिकॉइल सिस्टम, क्रैडल, सैडल सिस्टम है। इसके अलावा इसमें एलिवेटिंग और ट्रैवर्सिंग मैकेनिज्म, लेयर स्टेशन, लोडर स्टेशन और गोला-बारूद हैंडलिंग शामिल है। इसमें अंडरकैरिज में संरचनात्मक, आॅटोमोटिव और सहायक सिस्टम शामिल हैं। इसे इलेक्ट्रिक ड्राइव के साथ जोड़ा गया है। यह शेल और चार्ज लोडिंग, रैमिंग और गन डिप्लॉयमेंट का आटोमैटिक संचालन कर सकता है। इससे फायरिंग क्षमता भी बढ़ती है।  एटीएजीएस स्वत: प्रणोदन क्षमता से लैस है। सहायक पावर यूनिट से जुड़ी इस क्षमता में एक आटोमोटिव सिस्टम, हाइड्रोलिक ट्रांसमिशन और एक्चुएशन मैकेनिज्म शामिल है। इससे एटीएजीएस को गतिशील, तैनाती और गन आॅटोमेशन की शक्ति मिली। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के फायर मोड में काम कर सकती है। इसमें कई निगरानी सिस्टम लगाए गए हैं। आॅप्ट्रॉनिक मोड के जरिये प्रत्यक्ष फायर मोड में तोप 1.5 किमी दूर तक के लक्ष्यों को भेद सकती है। इसमें एक डे कैमरा, थर्मल इमेजिंग और 2 किलोमीटर तक की पहचान सीमा और 10 किमी तक की पहचान सीमा के साथ एक लेजर रेंज फाइंडर शामिल है।
परखा गया रिकॉइल सिस्टम का डिजाइन 


रिकॉइल सिस्टम के डिजाइन और विश्वसनीयता को कम से कम 100 चक्रों के निरंतर रिकॉइल और रन आउट चक्रों को पूरा करके तैयार किया गया है। रिकॉइल सिस्टम का परीक्षण विशेष रूप से डिजाइन किए गए स्थिर और हाइड्रोलिक परीक्षण बेंच पर किया गया था। इसमें गतिशील स्थितियों का अनुकरण किया गया जिसके तहत बंदूक काम करेगी। . एटीएजीएस 2.5 मिनट के बहुत कम समय में एक लक्ष्य पर 10 गोले दाग सकती है। बर्स्ट फायर मोड में 60 सेकंड में पांच राउंड दाग सकती है। गोला-बारूद के प्रकार के आधार पर यह 48 किलोमीटर तक गोले दाग सकता है।  भारतीय सेना ने मार्च 2025 में 307 एटीएजीएस तोपों का आर्डर दिया है। इस आर्डर को भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के बीच 60 और 40 के अनुपात में बांटा गया है। यानी 60 प्रतिशत तोपें भारत फोर्ज बनाएगा और 40 प्रतिशत टाटा कंपनी। ये सभी तोपें पांच साल की अवधि में सेना को सौंपी जाएंगी।