जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अफ्रीका महाद्वीप पर आए अब तक के सभी सर्वे अब सच साबित होने लगे हैं। यह महाद्वीप अब दो हिस्सों में बंटना शुरू हो चुका है। इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द ही यहां एक नया महासागर जन्म ले लेगा। यहां 6000 किलोमीटर लंबी दरार अब नजरों के सामने आ चुकी है।
सच साबित हुआ अंदेशा
वैज्ञानिकों ने सर्वे में जिस बात का अंदेशा जताया था अब वह सच साबित होने लगा है। अफ्रीका महाद्वीप एक असाधारण जियो-लॉजिकल घटना का अनुभव कर रहा है। इस घटना ने दुनियाभर के भूगर्भ वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। वैज्ञानिकों ने महसूस किया है कि टेक्टोनिक फोर्स ने अफ्रीका भू-भाग को चीरना शुरू कर दिया है। हैरान करने वाली बात ये है कि अब ये दिखने लगा है कि अफ्रीका महाद्वीप के टूटने के साथ बीच में एक नये महासागर का निर्माण शुरू हो गया है। ये पूर्वी अफ्रीका में हो रहा है। बता दें कि इससे पहले आए सर्वे में यह दरार 3500 किलोमीटर लंबी थी। अब यह दरार 6000 वर्ग किलोमीटर हो चुकी है।
तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों की जगह
जिस जगह धरती फट रही है वहां तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं और धीरे-धीरे अलग हो रही हैं। रिसर्चर वैज्ञानिक डॉक्टर रोसालिया नेवे ने एविडेंस नेटवर्क में इस बारे में लेख लिखा है। इसमें उन्होंने बताया कि पूर्वी अफ्रीका में महाद्वीप के टूटने के निशान दिखने लगे हैं। उन्होंने इस विभाजन को ग्रेट रिफ्ट वैली कहा है। यह उत्तर से दक्षिण तक करीब 6,000 किलोमीटर तक फैली हुई है। इस क्षेत्र में धरती की सतह धीरे-धीरे फट रही है। साथ ही नीचे से उठती हुई गर्म मैग्मा परतें इस प्रक्रिया को और तेज कर रही हैं। डॉक्टर रोसालिया नेवे का मानना है कि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे हुई। किलिमंजारो जैसे विशाल ज्वालामुखी पर्वत इस भूगर्भीय कहानी के सबूत हैं।
अलग हो रहा पर्वी अफ्रीका का इलाका
वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वी अफ्रीका का यह इलाका तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों का संगम है। इनमें पहली सोमालियन प्लेट है। वहीं दूसरी अफ्रीकन और तीसरी अरेबियन प्लेट है। यह भू-स्थितियां महाद्वीपीय जांच और शोध के लिए एक शानदार परिस्थितियां बना रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार सोमालियन प्लेट हर साल कुछ मिलीमीटर की गति से पूर्व दिशा की तरफ खिसक रही है। जिससे धरती की परत धीरे-धीरे खिंच रही है। सैटेलाइट और जीपीएस तकनीक से की जा रही निगरानी में यह साबित हुआ है कि मौजूदा समय में यह प्रोसेस लगातार हो रहा है। ये विभाजन धरती की सतह को खींचकर पतला कर रहा है। कुछ दिनों के बाद इसके टूटने की रफ्तार काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। जब ये प्रक्रिया तेज होगी तो कुछ सेकंड्स या मिनट में यह पूरा इलाका पृथक हो जाएगा।
तेजी से टूटेगा धरती की परत
वैज्ञानिकों का आकलन है कि जब यह परत पूरी तरह टूट जाएगी, तो समुद्र का पानी इस दरार में भर जाएगा। इससे एक नया महासागर जन्म लेगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह नया सागर अफार क्षेत्र से लेकर केन्या और तंजानिया की सीमा तक फैलेगा। जिससे हॉर्न आॅफ अफ्रीका एक विशाल द्वीप में बदल जाएगा। साल 2005 में इथियोपिया में आए भूकंपीय घटनाक्रम ने वैज्ञानिकों को झकझोर करके रख दिया था। यहां कुछ ही मिनटों में 60 किलोमीटर लंबी दरार बन गई थी। जमीन लगभग दो मीटर तक अलग हो गई थी। वैज्ञानिक इसलिए हैरान थे क्योंकि इतनी बड़ी दरार बनने में कई सदियों का समय लग जाता है। इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि जब ये प्रक्रिया तेज होगी तो पलक झपकने से भी कम समय में यह इलाका दो टुकड़ों में बंट जाएगा।




