फिर न्यूक्लियर टेस्ट करेगा अमेरिका, चीन-रूस के रवैये से लिया फैसला

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप के आदेश पर 30 साल बाद अमेरिका फिर न्यूक्लियर टेस्ट करने जा रहा है। यह बम दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर बताया जा रहा है। इस परीक्षण के बाद अमेरिका के पास इतने परमाणु हथियार हो जाएंगे कि वह पूरे विश्व को 150 बार खत्म कर देगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने किया दावा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया को चौंकाते हुए नया आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका फिर से न्यूक्लियर टेस्ट यानी परमाणु परीक्षण शुरू करेगा। ट्रंप ने कहा कि जब रूस, चीन और उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगातार काम कर रहे हैं, तो अमेरिका पीछे नहीं रह सकता। ट्रंप ने कहा कि हमारे पास इतनी ताकत है कि हम दुनिया को 150 बार तबाह कर सकते हैं। रूस-चीन के पास बहुत हथियार हैं। फिर भी हम अकेले देश हैं जो टेस्ट नहीं कर रहे हैं। अब ऐसे नहीं चलेगा। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अमेरिका अब सिर्फ संयम दिखाने की नीति नहीं अपना सकता। इससे दुश्मन देशों के हौंसले बुलंद हो जाएंगे।
ट्रंप ने फैसले का किया बचाव

डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरव्यू के दौरान अपने फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास किसी भी अन्य देश से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। मुझे लगता है कि हमें परमाणु निरस्त्रीकरण के बारे में कुछ करना चाहिए। मैंने राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दोनों के साथ इस पर चर्चा की। इस पर दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने सही जवाब नहीं दिया। ऐसे में अमेरिका के लिए यह परमाणु कार्यक्रमों को बढ़ाना जरूरी हो जाता है। बता दें कि ट्रंप ने करीब 30 सालों के बाद अमेरिका को फिर से परमाणु हथियारों की रेस में उस वक्त उतारा है, जब रूस ने अपनी असीमित-दूरी वाली बुरेवेस्टनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। ये परमाणु ऊर्जा से चलने वाली मिसाइल है, जो 15 घंटे से ज्यादा वक्त तक उड़ान भर सकती है। बता दें कि पिछले हफ्ते दक्षिण कोरिया के वुसान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ट्रंप के बीच मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने अमेरिकी अधिकारियों को तत्काल परमाणु परीक्षण कार्यक्रम शुरू करने के आदेश दिया था।
सबसे खतरनाक बम था जार बॉम्बा 

बता दें कि दुनिया का सबसे खतरनाक बम जार बॉम्बा था। इसकी क्षमता 50 मेगाटन थी। यह 50 मिलियन टन पारंपरिक विस्फोटकों के बराबर है। तुलना के लिए बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम केवल 15-21 किलोटन के थे। जब इसका परीक्षण किया गया तो विस्फोट से आग का गोला बना जो पांच मील चौड़ा था और मशरूम जैसा बादल 60 किलोमीटर यानी 37 मील तक वायुमंडल में फैल गया। यह जब फटा तो उसके 100 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ तबाह हो गया। 160 किलोमीटर की दूरी तक इमारतें ढह गईं और 275 किलोमीटर तक रेडिएशन को महसूस किया जा सकता था। इसके विस्फोट से इतनी तेज रोशनी निकली कि 1,000 किलोमीटर दूर से भी इसे देखा जा सकता था। इसने इतनी गर्मी पैदा की कि विस्फोट स्थल से 100 किलोमीटर दूर तक भी थर्ड-डिग्री बर्न हो सकता था। जार बॉम्बा के परीक्षण ने वातावरण में भारी मात्रा में रेडियोधर्मी पदार्थ छोड़े, जिससे पर्यावरण पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।