हुसैन जैदी फाइल्स पॉडकास्ट में चौंकाने वाला खुलासा

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। मंडी का नाम सुनते ही हमारे मन में ऐसी जगह का विचार आता है जहां अनाज और सब्जी बिकती है। अब हुसैन जैदी फाइल्स पॉडकास्ट में किया गया खुलासा इस धारणा को बदल देगा। इस पॉडकास्ट के अनुसार दुनिया में कई ऐसी मंडी लगती हैंं, जहां महिलाएं बेची जाती हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनकी कीमत महज 4 हजार होती है। यहां बिकने के बाद इन महिलाओं की जिंदगी नर्क बन जाती है।

लव जिहाद में फंसाई जाती हैं लड़कियां


हुसैन जैदी फाइल्स पॉडकास्ट में किया गया खुलासा उन युवतियों और महिलाओं के लिए सबक है जो लव जिहाद में फंस जाती हैं। दुनिया के सबसे क्रूर आतंकी संगठन आईएसआईएस की जन्नत में महिलाओं को नर्क जैसा जीवन जीना पड़ता है। भारतीय लड़कियां सोशल मीडिया के जाल में फंसकर बेची जाती हैं। मशहूर क्राइम जर्नलिस्ट हुसैन जैदी के इस एपिसोड में रिसर्चर करिश्मा ने इराक, सीरिया, खोरासान और अफगानिस्तान की छिपी हुई महिलाओं की नीलामी मंडियों का खौफनाक राज खोला है। करिश्मा दो बार इराक जा चुकी हैं और एनजीओ-पुलिस के साथ काम करती हैं। उनके अनुसार ये मंडियां गुप्त जगहों पर लगती हैं। जहां लाल-नीली कालीन बिछाकर मर्द इकट्ठा होते हैं। महिलाओं को बालों से घसीटकर लाया जाता है। इसके बाद स्टेज पर खड़ा कर उनकी बोली लगाई जाती है।

लगाई जाती है कम कीमत


सबसे चौंकाने वाली बात इनकी कीमत है। इन लड़कियों को महज 50 डॉलर यानी करीब 4,250 रुपये में बेच दिया जाता है। ये रेट वर्जिन लड़कियों का होता है। वहीं गैर-कुंवारी के लिए कीमत दो हजार तक कम कर दी जाती है। करिश्मा ने खुलासा किया कि भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी लड़कियां विशेष रूप से निशाने पर हैं। सोशल मीडिया पर भावनात्मक कमजोरी का फायदा उठाकर लड़कियों को ललचाया जाता है। दिल टूटने के नाम पर दोस्ती की जाती है। फर्जी प्यार का वादा किया जाता है। जैसे ही सामने वाले लड़के को पता चलता कि ये लड़की इमोशनली कमजोर है, तो उसका ब्रेनवॉश शुरू हो जाता है। स्कॉलरशिप, पढ़ाई का खर्च या शादी का लालच दिखाकर भारत से लड़कियों को एक्सपोर्ट किया जाता है। विदेश पहुंचकर या तो उन्हें बेच दिया जाता या सुसाइड बॉम्बर बनाया जाता है। करिशमा के अनुसार आईएसआईएस का मानना है कि भारतीय महिलाओं की नस्ल कमजोर है। वो लड़ाई नहीं लड़ सकती हैं। ऐसे में सिर्फ बम बांधकर उड़ा सकती हैं। वहीं अरब महिलाओं को फाइटर बनाया जाता है। बता दें कि फिल्म द केरला स्टोरी में भी कुछ ऐसे ही खुलासे हुए थे।
भर्ती नहीं, बल्कि ट्रैफिकिंग 

इस रिसर्च से साफ है कि यह भर्ती नहीं, बल्कि ट्रैफिकिंग है। 2014 में अबू बकर अल-बगदादी के नेतृत्व में आईएसआईएस ने महिलाओं को टारगेट करना शुरू किया था। भारत में 2015 से लेकर 2023 तक कई महिलाएं और युवक इनके गैंग में शामिल किए गए थे। ये लड़कियां कश्मीर, यूपी, महाराष्ट्र, साउथ इंडिया से लाई गई थी। 2024 में इसमें उछाल आया। जनवरी में 28, फरवरी में 37, मार्च में 36 और अप्रैल में 68 लड़कियां इस गैंग में शामिल हुईं थी।