जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने ताकत के मोर्चे पर चीन को पीछे छोड़ दिया है। डब्ल्यूडीएमएमए की ताजा रिपोर्ट के अनुसार आइएएफ अब अमेरिका और रूस के बाद दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना बन गई है। यह रैंकिंग सिर्फ विमानों की संख्या से नहीं बल्कि सेना की पावर से बनती है। वहीं चीन ने इस सूची पर सवाल उठाया है।
ताकत के मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि
वायुसेना ने ताकत के मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। चीन को पीछे छोड़ते हुए इंडियन एयर फोर्स दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना बन गई है। वर्ल्ड डायरेक्टरी आफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट यानी डब्ल्यूडीएमएमए ने यह ताजा रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वायुसेना यानी आइएएफ अब दुनिया में सिर्फ अमेरिका और रूस से पीछे है। बता दें कि चीन के पास भले ही भारत से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं, लेकिन आइएएफ ज्यादा आधुनिक और मिशन को अंजाम देने के लिए तैयार है। भारत की ताकत आधुनिक ट्रेनिंग, तेज प्रतिक्रिया और सटीक हमलों में है। ऑपरेशन सिंदूर में भी भारतीय वायुसेना ने अपनी यह क्षमता साबित की है।
डब्ल्यूडीएमएमए ने जारी की रैकिंग
बता दें कि डब्ल्यूडीएमएमए हर साल दुनिया भर की वायुसेनाओं की ताकत को आंकती है। यह रैंकिंग सिर्फ विमानों की संख्या से नहीं बनती है। इसमें लड़ाकू ताकत, रक्षा क्षमता, लाजिस्टक सपोर्ट, ट्रेनिंग और तकनीकी आधुनिकता भी मायने रखती है। अमेरिका 242 अंकों के साथ नंबर एक पर है। इसी तरह 114 अंकों के साथ दूसरे नंबर पर रूस कायम है। वहीं 70 अंको के साथ भारत ने तीसरा स्थान हासिल किया है। चीन को सूचीन में 64 और जापान को 58 अंक मिले हैं। चीन अपनी वायुसेना को अपग्रेड करने और एडवांस टेक्नोलाजी विकसित करने पर अरबों डॉलर खर्च कर रहा है। वहीं भारत सिर्फ मशीनों पर नहीं, पायलटों की ट्रेनिंग और युद्ध की तैयारी पर भी ध्यान देता है। भारत की वायुसेना के ताकतवर होने का कारण बेहतर ट्रेनिंग, तेज प्रतिक्रिया देने की क्षमता, सटीक हमला करने की ताकत है। भारत की तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल भी इसे ताकतवर बनाता है। यही साझेदारी युद्ध के समय काम आती है। रूस के पास ज्यादा विमान हैं, लेकिन फिर भी वह यूक्रेन पर हवाई प्रभुत्व नहीं बना पाया। दूसरी ओर इजरायल ने 2025 में सिर्फ चार दिन में ईरान के वायुक्षेत्र में दबदबा बना लिया था, क्योंकि उसकी योजना और तकनीक बेहतर थी। आॅपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने चीन और अमेरिका के लड़ाकू विमानों को ध्वस्त कर दिया था। डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एलओसी पर पाकिस्तान के 100 से अधिक सैनिक मारे गए थे। साथ ही 12 विमान तबाह हो गए थे। यह भारत की ताकत को दर्शाता है।
तीसरी शक्ति बनने पर तिलमिलया चीन
दूसरी ओर भारत को तीसरा स्थान मिलने पर चीन तिलमिला गया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने बकायदा एक लेख लिखा है। जिसका शीर्षक रखा गया है सेनाओं की रैंकिंग कागजों पर नहीं बल्कि वास्तविक क्षमताओं के आधार पर होनी चाहिए। अतिशयोक्ति के कारण होने वाली संभावित गलत गणनाओं से किसी को भी लाभ नहीं होगा। चीनी सैन्य मामलों के विशेषज्ञ झांग जुनशे ने कहा कि इस तथाकथित रैंकिंग को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेनाओं की वास्तविक युद्ध क्षमताएं ही सार्थक तुलना का आधार होती हैं, न कि उनकी कागजी ताकत।
झांग ने चेतावनी दी कि इस तरह की प्रचारित तुलना से गलतफहमी और सामरिक जोखिम बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ अमेरिकी और भारतीय मीडिया इस बहस को हवा देकर चीन-भारत प्रतिस्पर्धा को और भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, जो किसी के भी हित में नहीं है।