समुद्र में मिला 300 साल पुराना रहस्यमयी खजाना, काफी समय से थी तलाश

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत को 300 साल से जिस खजाने की तलाश थी आखिरकार वैज्ञानकों ने उसे खोज निकाला। इस  रहस्यमयी खजाने की चमक ऐसी कि खोजकर्ताओं की भी आंखें फटी रह गईं। इसकी कीमत 101 मिलियन पाउंड यानी लगभग 11.74 अरब रुपये आकी जा रही है। 
भारतीय पुरातत्वविदों को बड़ी सफलता 

समंदर के भीतर भारतीय पुरातत्वविदों को बड़ी सफलता मिली है। टीम ने समंदर के अंदर पड़े 300 साल पुराने जहाज के मलबे को खोज निकाला है। बताया जा रहा है कि इस जहाज के मलबे में बेशकीमती खजाना मौजूद है। इसकी कीमत 101 मिलियन पाउंड यानी लगभग 11.74 अरब रुपये आकी जा रही है। नोसा सेन्होरा डो काबो का यह जहाज 1721 में मेडागास्कर के पास समुद्री डाकुओं के एक बड़े हमले में डूब गया था। पुर्तगाली जहाज भारत के गोवा से माल लेकर लिस्बन जा रहा था, तभी उस पर समुद्री डाकुओं ने हमला बोल दिया था। बता दें कि 1721 में जब यह हमला हुआ था उस समय गोवा पर पुर्तगाल का शासन हुआ करता था।
अरबों रुपये के खजाने के साथ थे 200 गुलाम 

पुरातत्वविदों ने ऐसा अनुमान लगाया है कि भारत से जा रहे इस जहाज पर अरबों रुपये के खजाने के साथ 200 गुलाम भी थे। जिनके बारे में आज तक पता नहीं चला है कि उनका क्या हुआ था? इस जहाज के बारे में इतिहासकारों ने भी अपना मत रखा है। उनका मानना है कि नोसा सेन्होरा डो काबो पुर्तगाली साम्राज्य का जहाज था। यह भारी हथियारों से लैस था। ऐसे में इस पर कब्जा होना और फिर डुबो दिया जाना पुर्तगाली साम्राज्य के लिए बदनामी की वजह बन गया था। दूसरी ओर इस जहाज के बारे में ब्रिटिश मीडिया आउटलेट द सन में भी एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस खजाने से भरे जहाज पर 8 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल 1721 के बीच हमला हुआ था। इस पर कैप्टन ओलिवियर द बजर्ड लेवास्सेर की अगुवाई में समुद्री लुटेरों ने हमला किया था। इस दौर को इतिहासकार समुद्री डकैती के स्वर्ण युग के रूप बताते रहे हैं। इतिहासकार इसे उस युग का सबसे कुख्यात हमला मानते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे इतिहास में समुद्री लुटेरों की सबसे बड़ी लूट में से एक माना जाता है। 
खोजने में पुरातत्वविदों को लगे 16 साल 

इस जहाज को खोजने में पुरातत्वविदों को 16 साल लगे। इस ऐतिहासिक जहाज के मलबे को मेडागास्कर के उत्तर-पूर्वी तट पर नोसी बोराहा द्वीप के पास अंबोडीफोटात्रा की खाड़ी में पाया था। जहाज के मलबे की जगह से 3300 से ज्यादा कलाकृतियां निकाली गई हैं। इनमें धार्मिक मूर्तियों, सोने की सिल्लियां, मोती और खजाने से भरे संदूक शामिल हैं। बेशकीमती खजाने में एक हाथीदांत की पट्टी मिली है। जिस पर सोने के अक्षरों में आईएनआरआई लिखा है। यह लैटिन शब्द लेसस नाजरेनस रेक्स लुडायोरम का संक्षिप्त रूप है। जिसका अर्थ है कि नाजरेथ का यीशु, यहूदियों का राजा। ब्राउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ब्रैंडन ए. क्लिफोर्ड और मार्क आर. एगोस्टिनी ने भी इस जहाज के बारे में अपने अनुमान जाहिर किए। उन्होंने इस माल को समुद्री डाकुओं के मानकों के हिसाब से भी एक अद्भुत खजाना बताया। उनका अनुमान है कि आज की मुद्रा में अकेले इस माल की कीमत 108 मिलियन पाउंड से ज़्यादा हो सकती है। इतिहासकारों के अनुसार जब नोसा सेन्होरा डो काबो जहाज पर हमला हुआ था तो उस काल में पुर्तगाल का भारत और यूरोप के बीच प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों पर नियंत्रण हुआ करता था। इन मार्गों के जरिए उपनिवेशों से लूट का माल पुर्तगाली मुख्यभूमि तक पहुंचता था। मसालों और कीमती पत्थरों के अलावा, जहाज़ गुलाम लोगों को भी ले जाता था। जिन्हें पूरे साम्राज्य में बंदरगाहों और खदानों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। बेशकीमती चीजों से लदे ये जहाज समुद्री डाकुओं के हमलों का मुख्य लक्ष्य हुआ करते थे।