जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। रक्षा वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। नए हल्के जोरावर टैंक का सफल फील्ड परीक्षण किया गया है। रेगिस्तान में हुए परीक्षण में टैंक ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया है। यह टैंक बहुत ऊंचाई वाले इलाकों में आसानी से चल सकता है। वहीं टैंक की गोलाबारी की क्षमता भी बहुत अच्छी पाई गई है। इससे दुश्मनों की खैर नहीं होगी। भारतीय लाइट टैंक के डेवलपमेंटल फील्ड फायरिंग ट्रायल का पहला चरण सफल रहा। फील्ड ट्रायल ने टैंक ने रेगिस्तानी इलाकों में सेट किए गए टारगेट को धुएं में उड़ा दिया। साथ ही टैंक ने तय टारगेट पर सटीकता से निशाना साधा। यह टेस्ट रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओे ने पूरा किया। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद यह टैंक दुश्मन के होश उड़ा देगा। इस टैंक को काम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट ने तैयार किया है। बता दें कि डीआरडीओ की ही एक शाखा है। इसके साथ लार्सेन एंड टुब्रो और सैकड़ों छोटे उद्योगों ने मदद की है। बता दें कि चीन ने हिमालय में 500 हल्के टैंक तैनात कर रखे हैं। उनका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना के लिए जोरावर टैंक बनाया गया है। ऊंचाई वाले इलाकों में यह ड्रोन इतना करागर है कि ड्रोन कोे आसानी से निशाना बना सकता है। इसके अलावा एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और गोले भी दाग सकता हैं। साथ ही इस टैंक में मशीनगन को सेट कर अंधाधुंध फायरिंग की जा सकती है। दुश्मन इस टैंक की ताकत देखकर मैदान छोड़कर भाग जाएंगे। यह हिमालय पर तैनात चीन के टाइप-15 टैंकों की धज्जियां उड़ा देगा। यह टी-72-टी-90 या अन्य टैकों जितना भारी नहीं है। इसलिए इस टैंक को हेलिकाप्टर से उठाकर आसानी से चीन सीमा के पास पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा यह खुद पहाड़ों पर चढ़ सकता है। भारतीय सेना इस टैंक को लद्दाख में चीन सीमा के पास तैनात करने की तैयारी में है। बता दें कि जोरावर को पंजाबी भाषा में बहादुर कहते हैं। खूबियों के अनुसार ही इस टैंक का नामकरण किया गया है। यह एक आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल है। इसे इस तरह से बनाया गया है कि इसके कवच पर बड़े से बड़े हथियार का असर न हो। इसके अंदर बैठा सैनिक सुरक्षित रहेगा। इसकी मारक क्षमता बेहद घातक है। यह एंफिबियस है। यानी जमीन पर चल सकता है, साथ ही नदियों में तैर सकता है। किसी भी तरह के जलस्रोत को पार कर सकता है। इसका वजन मात्र 25 टन है। इसमें 105 मिलिमीटर की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल भी लगा सकते हैं। भारतीय सेना ने पहले 59 जोरावर का आर्डर दिया है। कुल मिलाकर सेना ऐसे 354 टैंक खरीदेगी। इसके बाद इन टैंकों को चीन की सटी सीमा यानी लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर तैनात किया जाएगा। इन्हें चलाने के लिए सिर्फ तीन लोगों की जरूरत होगी। इसकी नली 120 एमएम की है। आटोमैटिक लोडर है, यानी गोले अपने आप लोड होंगे। इसमें रिमोट वेपन स्टेशन भी है। जिसके ऊपर 12.7 एमएम की हैवी मशीन गन लगाई जा सकती है। जोरावर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन इंटीग्रेशन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम, हाई डिग्री आफ सिचुएशनल अवेयरनेस जैसी तकनीके भी है। इसमें मिसाइल फायरिंग की क्षमता भी है। इससे ड्रोन्स को मार गिराने के यंत्र और वॉर्निंग सिस्टम भी लगे हैं। इलेक्ट्रिकल गन कंट्रोल सिस्टम लगा है। यह माइनस 10 डिग्री से लेकर 42 डिग्री की चढ़ान या ढलान पर उतर सकता है। इसकी अधिकतम गति 65 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसमें लेजर वॉर्निंग सिस्टम भी लगा है।
हल्के जोरावर टैंक का सफल फील्ड परीक्षण
14-Sep-2024