भारत ने बदले युद्ध के तरीके, चीन पाक की आएगी सामत

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। लद्दाख और कश्मीर में भारत ने युद्ध के तरीके बदल दिए हैं। सेना के नए ब्रह्मास्त्र से चीन-पाकिस्तान के होश उड़ जाएंगे। साथ ही भारतीय सीमा पर दुश्मन देश नजर उठाकर नहीं देख पाएंगे। भारत ने फुलप्रुफ तैयारी के साथ इस योजना को धरातल पर उतारना भी शुरू कर दिया है। कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी कि जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों को सेना ने मार गिराया। इस बारे में सेना का कहना था कि आॅपरेशन में मानव रहित वाहन, ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का इस्तेमाल किया है। जिससे त्वरित और सफल परिणाम मिल सका है। बता दें कि भारतीय सेना ने 3 साल के भीतर एआई को पूरी तरह अपनाने का लक्ष्य तय किया है। इससे डेटा विश्लेषण, समस्याओं की मॉडलिंग और इसे लागू करने की समयसीमा काफी कम हो जाएगी। अब नतीजा सबके सामने है। सेना और सुरक्षा बलों ने कई तरह से एआई को अपना बिग ब्रदर बना लिया है। लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी और कश्मीर में पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा एलओसी की निगरानी एआई आधारित ड्रोन, विमान और रोबोटिक डॉग्स भी करने लगे हैं। ये ऐसी रक्षा दीवार साबित हो रहे हैं कि दुश्मन भी हमला करने से पहले 100 बार सोचेगा।  इंडियन आर्मी अपनी शक्ति और युद्ध की क्षमताओं को लगातार बढ़ाने की दिशा में काम रही है। इसमें खास है एआई तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। जिससे भारतीय सेना मानव रहित टैंक, हवाई यान और अधिक से अधिक क्षमताओं वाले रोबोटिक हथियारों से लैस होगी। इसके प्रयोग से सेना अपने आपरेशन को बेहतर तरीके से कर सकेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से कम समय में डेटा विश्लेषण, मॉडलिंग और सिमुलेशन के क्षेत्र में सूक्ष्म और दीर्घ स्तर पर सटीक आॅपरेशन संचालित करने में मददगार साबित होगी। वर्तमान में एआई को कमांड और नियंत्रण, खुफिया जानकारी के क्षेत्र में शामिल किया जा रहा है। निगरानी, रसद, स्वास्थ्य सेवा, सूचना युद्ध, साइबर युद्ध, प्रशिक्षण और सिमुलेशन, स्वायत्त प्रणालियों और घातक स्वायत्त हथियारों में शामिल किया जा रहा है। तकनीकों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में किया जा सकेगा। साथ ही दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।  सेना में एआई के फायदे की बात करें तो इससे सिस्टम सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन फुटेज एवं अन्य डाटा स्रोतों से तेजी से एवं सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं। इससे खुफिया जानकारी का विश्लेषण करना और वास्तविक समय में निर्णय लेना आसान हो जाता है। आटोमेटिक ड्रोन एवं वाहनों का उपयोग सीमा सुरक्षा, निगरानी व आपूर्ति के लिए किया जा रहा है। ये मशीनें खतरनाक परिस्थितियों में मानव सैनिकों की जगह ले सकती हैं। एआई आधारित साइबर सुरक्षा प्रणाली तेजी से साइबर हमलों का पता लगा सकते है और उन्हें रोक सकते हैं। ये प्रणाली खतरों की पहचान करने, उनका विश्लेषण करने एवं उन्हें रोकने में अधिक सक्षम होते हैं।  एआई का उपयोग लॉजिस्टिक्स एवं आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में भी किया जा रहा है। इससे आपूर्ति शृंखला के सुचारू संचालन में मदद मिलती है और सैनिकों को समय पर आवश्यक संसाधन उपलब्ध होते हैं। एआई का उपयोग चिकित्सा सेवाओं में भी किया जा रहा है, जिससे घायल सैनिकों को तेजी से और प्रभावी उपचार मिल सकता है। एआई से लैस स्वचालित हथियार प्रणाली लक्ष्य की पहचान एवं सटीक हमलों में सहायक होते हैं। ये प्रणाली निर्णय लेने की प्रक्रिया को तीव्र एवं अधिक कुशल बना सकते हैं।