भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूर्णता को प्राप्त, पीएम मोदी ने शिखर पर लहराया धर्मध्वज

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। पांच साल की निरंतर तपस्या, तकनीक और श्रम-साधना के बाद लगभग 1400 करोड़ रुपये की लागत से भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूर्णता को प्राप्त कर चुका है। राम मंदिर के शिखर पर पीएम मोदी ने केसरिया धर्म ध्वज फहराया। इसी के साथ सनातन धर्म के एक नए युग का भी आगाज हो गया।
अयोध्या राम मंदिर में ध्वजारोहण पूरा 

अयोध्या राम मंदिर में ध्वजारोहण पूरा हो गया। पीएम मोदी के बटन दबाते ही झंडा धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता हुआ मंदिर के शीर्ष पर विराजमान हो गया। जैसे-जैसे झंडा ऊपर चढ़ता गया पीएम मोदी टकटकी लगाए उसे देखते रहे। पीएम मोदी इन पलों में भावुक नजर आए।  ध्वजारोहण के समय सामने की कतार में साधु-संत बैठे हुए थे। वह भी भावुकता में अपने आंसू पोछते हुए नजर आए। इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के करीब आठ हजार लोग आमंत्रित किए गए थे। बता दें कि निर्धारित शुभ मुहूर्त में पीएम मोदी ने राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्मध्वज फहराया। जैसे ही केसरिया ध्वज पवन के संग लहराया, पूरा परिसर जय श्री राम के उद्घोष से गूँज उठा। पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। इसके साथ ही श्रद्धालुओं की भावनाएं उमंग में बदल गईं।

ध्वजारोह के मौके पर पीएम मोदी ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अभी गुलामी की इस मानसिकता ने डेरा डाला हुआ है। हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी की मानसिकता को हटाया। ये गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने राम को नकारा है। भारतवर्ष के कण कण में भगवान राम हैं, लेकिन, मानसिक गुलामी ने राम को भी काल्पनिक बता दिया। आने वाले एक हजार वर्ष के लिए भारत की नींव तभी मजबूत होगी, जब आने वाले 10 साल में हम मैकाले की गुलामी से छुटकारा पा लेंगे। 21वीं सदी की अयोध्या विकसित भारत का मेरुदंड बनकर उभर रही है। गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया। हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला है।बता दें कि पांच साल में लगभग 1400 करोड़ रुपये की लागत से भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूर्ण हुआ है। मंदिर का भूमि पूजन पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था। उस शुभ क्षण से लेकर आज तक निर्माण एक भी दिन नहीं रुका। बारिश, ठंड, कोरोना महामारी और तकनीकी चुनौतियां आईं लेकिन निर्माण कार्य में अविरलता जारी रही। निर्माण के दौरान कई बार धरातलीय बाधाएं सामने आईं। पाइलिंग किए गए खंभों पर जब भूकंप जैसे झटके दिए तो खंभों में दरार आ गई। इसके चलते इंजीनियरों को पूरी नींव की डिजाइन फिर से बनानी पड़ी। इसमें छह महीने ज्यादा लग गए। नई नींव में आरसीसी का उपयोग किया गया। नींव इस तरह तैयार की गई है कि यह हजारों वर्षों तक बिना क्षति के टिक सके।



मंदिर निर्माण में देश की कई विशेषज्ञ एजेंसियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईआईटी चेन्नई, आईआईटी रुड़की, आईआईटी मुंबई का विशेष योगदान रहा। इसके अलावा इसरो, इंडिया इंजीनियर्स लिमिटेड के विशेषज्ञों से लेकर टाटा और एलएंडटी जैसी अग्रणी निर्माण कंपनियों की मंदिर निर्माण में सहभागिता रही। तकनीकी दलों ने मंदिर को भूकंपरोधी बनाने में सहयोग दिया। मंदिर नागर शैली में बना है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल है। इसका निर्माण बिना लोहे और स्टील के बिना किया गया है। इससे संरचना की आयु लंबी रहेगी। मंदिर की कुल लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। इसमें 5 मंडप, 3 तल, और 392 खंभे हैं। प्रत्येक खंभे पर देव प्रतिमाओं की नक्काशी की गई है।
राममंदिर निर्माण में कई पड़ाव आए।  नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के हक में फैसला आया। इसके बाद  25 मार्च 2020 की सुबह रामलला टेंट से अस्थायी मंदिर में विराजमान हुए।  पांच अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया।  22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। 14 अप्रैल 2025 को मुख्य शिखर पर कलश की स्थापना पूर्ण हुई। पांच जून 2025 को प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना की गई।