बेंगलुरु शहर में देखी गई दुर्लभ खगोलीय घटना 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से नैनीताल और बेंगलुरु शहर में दुर्लभ खगोलीय घटना देखी जा रही है। एक धूमकेतु शहर में सबेरे के शुरूआती घंटों में दिखाई दे रहा है। इसे देखकर शहर के लोगों में अचरज के साथ खुशी का भाव है। इसकी तस्वीरें भी लोग कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। नैनीताल शहर के आसमान में रोमाचंक और शानदार नजारे को एक फोटाग्राफर ने अपने कैमरे में कैद किया। इस अद्वितीय घटना में धूमकेतु को नैनीताल के आकाश से गुजरते हुए देखा गया। इस धुमकेतु के बारे में खगोलविदों ने बताया कि यह सूर्य के बेहद नजदीक से गुजरने वाला है। यह 2024 में सबसे चमकीले खगोल पिड़ों में से एक हो सकता है। दूसरी ओर बेंगलुरु शहर के आकाश में जिस धूमकेतु को देखा गया है, वह धूमकेतु सी/2023 ए3 त्सुचिंशान-एटलस है। 9 जनवरी, 2023 को चीन के पर्पल माउंटेन आब्जर्वेटरी के जरिये इसे खोजा गया था। इसे एक महीने बाद दक्षिण अफ्रीका में एस्टेरॉइड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम से देखा गया था। इसके बाद इसका नामकरण किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक धूमकेतु सी/2023 ए3 एक नॉन-पीरियाडिक धूमकेतु है। बेंगलुरु स्थित खगोल भौतिकविद् आर.सी. कपूर के अनुसार इसका अर्थ है कि वे हमारे सौर मंडल के बाहरी सदस्य हैं। प्रोफेसर कपूर ने कहा कि यह धूमकेतु 27/28 सितंबर की मध्यरात्रि को सूर्य से 5.6 करोड़ किलोमीटर की दूरी से गुजरा था। उनका कहना है कि यह अक्टूबर के पहले कुछ दिनों में सुबह के समय दिखता रहेगा। बेंगलुरु के आकाश में धूमकेतु की तस्वीरें भी शौकिया फोटोग्राफरों और खगोल विज्ञान उत्साही लोगों ने कैद की है। खगोल विज्ञान के शौकीन और उसमें काफी रुचि रखने वालों ने सुबह 5 से 5.30 बजे के बीच धूमकेतु की तस्वीरें कैद की थीं। इस बारे में लोगों का कहना है कि 28 सितंबर की सुबह जब वे आकाश के साफ होने की जांच करने के लिए उठे तो खुशी का ठिकाना न रहा। यह खगोलविदों के साथ-साथ आम जनता के लिए भी अविस्मरणीय आकाशीय घटना है। यह अंतरिक्ष की विशालता और सुंदरता की याद दिला रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके अध्ययन से अंतरिक्ष के कई राज बाहर आ सकते हैं। इसके निर्माण में बर्फ, गैस और धूल शािमल है। यह धूमकेतु अक्टूबर के इस हफ्े सुबह का पिंड बना रहेगा। प्रोफेसर कपूर ने कहा कि 12 अक्टूबर को इसे सूर्यास्त के तुरंत बाद पश्चिमी आकाश में देखा जा सकेगा। यह तब पृथ्वी से अपने निकटतम बिंदु पर गुजर रहा होगा। जब इसे बिना किसी दूरबीन की सहायता के नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है।