तारे को निगल रहा था ब्लैक होल, अचानक जो हुआ, चौंक गए वैज्ञानिक

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में ऐसा दृश्य देखा जो बेहद चौंकाने वाला है। पहली बार  एक तारा ब्लैक होल की पकड़ से दो बार छूट गया। यह किसी विशालकाय जानवर के जबड़े से शिकार छूटने जैसा है।

अंतरिक्ष में देखी गई घटना

खतरनाक शिकारी से कोई छोटा जानवर अगर एक बार बचकर निकल जाए तो यह घटना उसकी किस्मत मानी जाती है। वहीं अगर दूसरी बार बचकर निकल जाए तो यह आश्चर्यजनक माना जाता है। अब यही घटना अंतरिक्ष में भी देखी गई है। यहां सब कुछ निगल जाने वाले बड़े ब्लैक होल की पकड़ से एक तारा दो-दो बार बच निकला है। ये कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। वैज्ञानिकों ने पहली बार ब्रह्मांड में ऐसी घटना को रिकॉर्ड किया है। एक सुपरमैसिव ब्लैक होल से दो बार टकराकर यह तारा खत्म नहीं हुआ। ये अविश्वसनीय खोज इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल टीम के साइंटिस्ट्स ने की है। यह रिसर्च एस्ट्रोफिजिकल जनरल लेटर्स में प्रकाशित हुई है।
ज्वारीय विघटन की घटना 

शोध के अनुसार पहली बार अंतरिक्ष के एक हिस्से में ज्वारीय विघटन की घटना देखी गई। बता दें कि यह खगोलीय घटना है जिसमें एक तारा, सुपरमैसिव ब्लैक होल के बहुत करीब से गुजरता है। जिससे ब्लैक होल के ज्वारीय बलों द्वारा वह तारा अलग हो जाता है और विघटित हो जाता है। इस प्रक्रिया में तारे का मलबा ब्लैक होल के चारों ओर एक चमकदार डिस्क बनाता है, जिससे तीव्र प्रकाश और विकिरण का उत्सर्जन होता है। अब तक माना जाता था कि जब कोई तारा ब्लैक होल के इतने पास जाता है तो उसका पूरा वजूद खत्म हो जाता है। अब अवीव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इअयर आकार्वी और उनकी टीम ने जो देखा, उसने सबको हैरान कर दिया। उन्होंने देखा कि ब्लैक होल के करीब जाने के बाद भी एक तारा पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ, वो दोबारा लौट आया। वैज्ञानिक इसे अविस्मरणीय और अद्भुत घटना मान रहे हैं। बता दें कि ये तारा एक सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों ओर घूम रहा था। इसका आॅर्बिट 700 दिनों का है। हर बार जब ये तारा ब्लैक होल के पास आता है, उसका कुछ हिस्सा ही नष्ट होता है। अब तक ये पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। इस खोज ने वैज्ञानिक जगत में हलचल मचा दी है। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि पिछले दस सालों से वैज्ञानिक जिन सिद्धांतों पर काम कर रहे थे क्या वे पूरी तरह सही या गलत हैं।
क्या होते हैं ब्लैक होल

बता दें कि ब्लैक होल वो जगह है जहां ग्रैविटी इतनी ज्यादा होती है कि प्रकाश तक बचकर नहीं जा सकता है। ये सुपरमैसिव ब्लैक होल गैलेक्सी के सेंटर में होते हैं। हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के बीच में भी एक ब्लैक होल है, जो सूरज से लाखों गुना भारी है। जब कोई तारा इनके पास जाता है, तो ब्लैक होल का गुरुत्व उसे फाड़ देता है। तारा टूटता है और उसका मलबा ब्लैक होल की तरफ गिरने लगता है। इसी दौरान एक जबरदस्त विस्फोट होता है। वैज्ञानिक इसी ब्लैक होल की थ्योरी पर काम करते हैं। प्रोफेसर आकार्वी का मानना है कि अब हमें इसकी व्याख्या नए तरीके से करनी होगी। हम सोचते थे कि तारा पूरी तरह खत्म हो जाता है, लेकिन हो सकता है वह बचकर वापस आ जाता है। अगर इस गुत्थी को सुलझा लिया जाएगा तो ये समझ हमें ब्लैक होल नेचर के और करीब ले जाएगी। वैज्ञानिक अब 2026 का इंतजार कर रहे हैं। जब तारा फिर से अपने आर्बिट से निकलकर ब्लैक होल के पास आएगा। तब क्या वह फिर बच पाएगा? या इस बार ब्लैक होल पूरा काम तमाम कर देगा।