पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में बड़ी छलांग 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है। यह 3 साल के भीतर आसमान में गरजने लगेगा। इसको देखते ही दुश्मन देशों को पसीना आ जाएगा। भारत 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट को जल्द से जल्द आसमान में उड़ाने की योजना में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है। इस फाइटर जेट को विकसित कर रहे डीआरडीओ ने बड़ी घोषणा कर दी है। बता दें कि  इस फाइटर जेट को विकसित करने के काम में सात सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों ने रुचि दिखाई है। वे इसके विभिन्न कामों को लिए कांट्रेक्ट हासिल करना चाहती हैं। ऐसे में सरकार ने बिना देरी किए इन कंपनियों की क्षमताओं को मूल्यांकन के लिए दो टॉप गवर्मेंट पैनल गठित कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने इसके लिए रुचि पत्र आमंत्रित किया था। जिसके जवाब में इन कंपनियों ने भाग लिया है। ये भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रतिस्पर्धा में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शामिल है। इसके अलावा टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस, लार्सन एंड टुब्रो के साथ भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने रूचि दिखाई है।
दो चरणों में होगी मूल्यांकन प्रक्रिया 

मूल्यांकन प्रक्रिया दो चरणों में होगी। पहले चरण में एएमसीए के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति कंपनियों की तकनीकी और परिचालन क्षमताओं का आकलन करेगी। इसके बाद, उनकी रिपोर्ट रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाले एक उच्च-स्तरीय पैनल को भेजी जाएगी। यह प्रक्रिया अगले एक महीने में पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद सरकार शॉर्टलिस्ट की गई कंपनियों को रिक्वेस्ट फॉर कोटेशन जारी कर देगी। 
जे-20 को मिलेगा जवाब

बता दें कि चीन ने पहले ही अपने जे-20 पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर को तैनात कर चुका है। वहीं जे-35 स्टील्थ फाइटर लांच कर रहा है। इसे पाकिस्तान भी खरीदने की तैयारी कर रहा है। ऐसी में पड़ोसी दूेशों से मुकाबला करने के लिए भारत भी जल्द 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान लांच करने का काम तेज कर दिया है। बता दें कि कैबिनेट कमेटी आॅन सिक्योरिटी बैठक में इस प्रोग्राम के लिए लगभग 15,000 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली चुकी है। पहले प्रोटोटाइप के 2029 में पहली उड़ान भरने की उम्मीद है। वहीं 2034 तक विकास पूरा होने के बाद 2035 में उत्पादन शुरू होने की संभावना है। यानी केवल तीन साल में पहला देसी फिफ्थ जेन फाइटर जेट उड़ान भरने लगेगा।
पांचवी पीढ़ी का विमान बेहद ताकतवर 

भारत का पांचवी पीढ़ी का विमान बेहद ताकतवर होगा। इसको देखते ही चीन-पाकिस्तान समेत अन्य दुश्मनों की हेंकड़ी निकल जाएगी। एएमसीए एक सिंगल-सीट, ट्विन-इंजन लड़ाकू विमान होगा। जिसमें एडवांस्ड स्टेल्थ कोटिंग्स और इंटरनल वेपन बे होंगे। यह अमेरिकी और रूसी लड़ाकू विमानों जैसा होगा। यह विमान 55,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेगा और आंतरिक बे में 1,500 किलो हथियार ले जाएगा। बाहरी हिस्सों पर 5,500 किलो और 6,500 किलो अतिरिक्त ईंधन भी ले जाने की क्षमता होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विमान के दो वर्जन होंगे। पहला अमेरिकी जीई-14 इंजन से चलेगा, जबकि दूसरे वर्जन में भारत का खुद का विकसित इंजन लगाया जाएगा, जो इससे ज्यादा ताकतवर हो सकता है। इसको सुपरमैन्युवरेबल और मल्टीरोल दोनों कैटेगरी में डिजाइन किया जा रहा है। सुपरमैन्युवरेबल का मतलब है कि यह पारंपरिक तकनीकों से परे जाकर तेज और जटिल दिशा बदलने में सक्षम होगा। स्टेल्थ यानी इसे रडार और अन्य डिटेक्शन सिस्टम से ट्रैक करना बेहद मुश्किल होगा। वहीं मल्टीरोल का मतलब है कि यह विमान हवाई वर्चस्व, ग्राउंड स्ट्राइक और दुश्मन की एयर डिफेंस को नष्ट करने जैसे कई मिशन पूरे कर सकेगा। बता दें कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कोई तय परिभाषा नहीं है, लेकिन इनका आधार 21वीं सदी की हाई-टेक तकनीक है। इनमें एडवांस बैटलफील्ड सॉफ़्टवेयर होता है, जो पायलट को दुश्मन की गतिविधियों और युद्धक्षेत्र की रीयल-टाइम जानकारी देता है। इन विमानों में लो-प्रोबेबिलिटी-आॅफ-इंटरसेप्ट रडार और नेटवर्किंग सिस्टम भी होते हैं। जिससे यह फ्रेंडली यूनिट्स से जुड़े रहकर बेहतर कंट्रोल, कमांड और कम्युनिकेशन  क्षमता दिखा सकते हैं।