जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। आरएसएस ने हरियाणा और महाराष्ट्र वाला दांव दिल्ली में चल दिया है। भाजपा को संघ का पूरा समर्थन मिल रहा है। जिसने 50 हजार से अधिक बैठके की हैं। संघ की सक्रियता से आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर हो गई है। इस बार दिल्ली में भी हरियाणा जैसा परिवर्तन दिखाई दे सकता है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की परेशानी बढ़ना तय है। दिल्ली में चुनाव प्रचार थम चुका है। अब पांच फरवरी को मतदान होगा। चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद तीनों प्रमुख दलों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। भाजपा संगठन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज और केजरीवाल-आतिशी सरकार की एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के दम पर जीत का दावा किया है। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि उनकी 55 सीटें आ रही हैं, महिलाओं ने साथ दिया तो यह संख्या 60 भी हो सकती है। कांग्रेस ने अपनी मजबूत वापसी की दावेदारी की है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल के साथ बीते 10 सालों का एंटी इंकम्बेंसी है। इस कारण भाजपा इस चुनाव को अपने लिए सुनहरा मौका मान रही है। यही कारण है कि पार्टीपूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है। इस मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी पूरा समर्थन मिल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक संघ ने इस चुनाव में विभिन्न इलाकों में 50 हजार से अधिक बैठकें की है। उसने राजधानी के हर एक मतदाता तक पहुंच बनाने की रणनीति बनाई है। हरियाणा जैसी रणनीति को धार देने के लिए संघ ने संघ ने राजधानी को आठ विभागों में बांटा है। अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है। आठ विभागों के कार्यकर्ताओं ने राजधानी के वोटरों को शिक्षित करने के लिए ये बैठकें की हैं। यह काम मतदाताओं को वोट डालने के लिए जागरूक करना है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही संघ ने योजना बना ली थी। दिल्ली मुख्यायल में मौजूदा पदाधिकारियों से भी एक्टिव रहने को कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसारप नगर, जिला और विभाग हर स्तर पर नियमित तौर पर मीटिंग आयोजित हुई। साथ ही मतदाताओं का फीडबैक लिया गया। बता दें कि संघ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में भी ऐसी सक्रियता दिखाई थी। चुनावी विश्लेषको का भी मानना है कि इन दोनों राज्यों में संघ की सक्रियता की वजह से भाजपा को शानदार जीत मिली। अब वह दिल्ली में भी वही रणनीति अपना रही है। ऐसे में देखना होगा कि संघ की ये सक्रियता दिल्ली विधानसभा चुनाव में क्या असर डालती है। दूसरी ओर केजरीवाल की मुफ्त बिजली-पानी की योजना उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। माना यही जा रहा था कि उनकी इन्हीं योजनाओं के कारण कोई दूसरा दल 2015 और 2020 के चुनावों में उनके आसपास भी नहीं फटक पाया। लेकिन इस बार भाजपा ने किसी भी सेक्टर के मतदाताओं को लुभाने में कोई कमी नहीं रख छोड़ी है। पार्टी ने हर वर्ग को लुभाने के लिए बड़े चुनावी वादे किए हैं। भाजपा को अनुमान है कि जिस तरह केंद्र सरकार ने बजट में मध्य वर्ग को 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया है, इससे दिल्ली का लगभग 40 लाख मतदाता वर्ग प्रभावित होगा। इन परिवारों में यदि दो मतदाता भी हों तो यह दिल्ली के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करने वाला निर्णय साबित हो सकता है।जिस तरह अंतिम समय में आकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चुनाव में कांग्रेस के लिए वोट मांगे हैं, उससे कांग्रेस कई सीटों पर मजबूत हो गई है। चुनाव विश्लेषक मान रहे हैं कि कांग्रेस ओखला, सीमापुरी, समयपुर बादली, सीलमपुर और चांदनी चौक जैसी सीटों पर मजबूत लड़ाई लड़ रही है। दूसरी सीटों पर भी कांग्रेस अच्छा वोट हासिल कर सकती है। इससे कांग्रेस को दिल्ली में वापसी का मौका मिल सकता है।
आप को चारो खाने चित्त करने के लिए संघ का दमदार प्लान
04-Feb-2025