नई दिल्ली। अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क के चांद पर घर बसाने के सपने को करारा झटका लगा है। उनकी कंपनी स्पेसएक्स द्वारा विकसित सबसे बड़ा रॉकेट स्टारशिप एक बार फिर फेल हो गया है। लॉन्चिंग के कुछ देर बाद ही रॉकेट अनियंत्रित हो गया और पृथ्वी के वातावरण में आते ही टुकड़े-टुकड़े होकर नष्ट हो गया।
पृथ्वी के वायुमंडल में आते ही नष्ट
एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स धरती से दूर दूसरे ग्रहों पर इंसानों को बसाने की परिकल्पना में जुटी है। इसके लिए स्पेसएक्स कई तरह के प्रयोग कर रही है। इसी क्रम में कंपनी ने दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप को भारतीय समयानुसार आज सुबह करीब 5 बजे टैक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया था। बिना क्रू के लॉन्च हुआ यह रॉकेट करीब 30 मिनट बाद अनियंत्रित होकर अंतरिक्ष में घूमने लगा। इसके बाद यह तय समय से पहले पृथ्वी के वायुमंडल में लौट आया और आसमान में ही नष्ट हो गया।
बूस्टर ने पानी में की हार्ड लैंडिंग
हालांकि, इस असफलता के बावजूद रॉकेट के बूस्टर ने अमेरिका की खाड़ी में पानी में हार्ड लैंडिंग की। लैंडिंग बर्न के दौरान एक सेंटर इंजन को जानबूझकर बंद किया गया ताकि बैकअप इंजन की क्षमता को परखा जा सके। स्पेसएक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि ऐसे टेस्ट में सफलता सीखने से मिलती है। इससे स्टारशिप को और अधिक बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। जिस दिन रॉकेट सफल हो जाएगा, हमारा मंगल ग्रह पर मानव जीवन बसाने का सपना साकार हो जाएगा।
उड़ान की तुलना में हुआ अधिक सुधा
टेस्ट के बाद मस्क ने दावा किया कि स्टारशिप निर्धारित शिप इंजन कटआफ तक पहुंच गया, इसलिए पिछली उड़ान की तुलना में इस बार बहुत अधिक सुधार देखा गया है। रिसाव के कारण कोस्ट और री-एंट्री फेज के दौरान मेन टैंक प्रेशर में कमी आई है। उन्होंने कहा कि अगला तीन लॉन्च तेजी से होगा। जिसे लगभग हर 3 से 4 हफ्ते में पूरा किया जाएगा। बता दें कि पिछली दो टेस्ट उड़ानों में रॉकेट के ऊपरी हिस्से में आग लग गई थी और मलबा गिरा था, जिससे काफी दिक्कतें आई थीं।
गेम-चेंजर होगा स्टारशिप रॉकेट
स्टारशिप रॉकेट को खासतौर पर दूसरे ग्रहों तक इंसानों और अन्य सामान को ले जाने के लिए बनाया गया है। इस व्हीकल की ऊंचाई 403 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है। इसमें 33 रैप्टर इंजनों वाला सुपर हेवी बूस्टर और छह इंजनों वाला स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट लगा है। यह एलन मस्क के मंगल मिशन और नासा के आर्टेमिस चंद्र मिशन का आधार है। मस्क ने दावा किया है कि यह रॉकेट मंगल पर बस्तियां बसाने में गेम-चेंजर साबित होगा। हालांकि, अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद बार-बार मिल रही असफलता प्रोजेक्ट पर सवाल खड़ा कर रही है।