नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने किया कमाल, 22 करोड़ किमी से भेजा संदेश

नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवरेंस मार्स रोवर ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रोवर ने 22 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह से नासा को ऐसा मैसेज भेजा है, जिससे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। रोवर अपने मिशन के दौरान ऐसी जगह पहुंच गया है जहां तक अभी कोई देश नहीं पहुंच सका है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का पर्सिवरेंस मार्स रोवर फरवरी 2021 से मंगल मिशन पर है। रोवर ने नासा के कंट्रोल सेंटर को भेजे मैसेज में बताया कि मैं जेजेरो क्रेटर के रिम तक पहुंच गया हूं। इस चढ़ाई को पूरा करने में मुझे लगभग 105 दिन लगे। यह चढ़ाई बेहद कठिन और फिसलन भरी थी। इस चढ़ाई में करीब 500 मीटर चढ़ाई ऐसी थी जो बिल्कुल खड़ी थी। लेकिन मैं कठिन काम करने के लिए बना हूं। मेरा 5वां विज्ञान अभियान, उत्तरी रिम पर शुरू होने वाला है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, रोवर ने मंगल ग्रह के एक ऐसे इलाके पर नजर डालने के लिए चढ़ाई की, जिसकी उसने पहले कभी जांच नहीं की थी। यह स्थान मंगल ग्रह पर पृथ्वी से लगभग 140 मिलियन मील दूर है। नासा से इसकी जानकारी पर्सिवरेंस मार्स रोवर के ऑफिशियल हैंडल से दी है। पर्सिवरेंस मार्स रोवर ने मंगल पर अभी तक चार अभियान सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। अब इसका पांचवां अभियान नॉर्दर्न रिम से शुरू होगा। इस स्थान को उत्तरी किनारा भी कहा जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, रोवर का रूट जेजेरो की रिम के दक्षिण-पश्चिमी भाग के उत्तरी भाग को कवर करेगा। इस अभियान के पहले साल में रोवर करीब 7 किलोमीटर की यात्रा करेगा। इस दौरान वह चार लोकेशन पर जाएगा और कई वहां के सैंपल जुटाएगा। रोवर के मिशन का एक प्रमुख हिस्सा एस्ट्रोबायोलॉजी है। यानी यह मंगल की सतह से ऐसे नमूने जमा करने की कोशिश करेगा जिनमें प्राचीन सूक्ष्म जीवन के संकेत हो सकते हैं। यह रोवर मंगल के भूगोल और जलवायु की भी जानकारी जुटाएगा। इसके डेटा से मंगल मिशन का रास्ता साफ होगा। बता दें कि नासा का पर्सिवरेंस रोवर मिशन मंगल ग्रह की खोज के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। जिसे 30 जुलाई 2020 को लॉन्च किया गया और 18 फरवरी 2021 को यह मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा था। इसका  डिजाइन नासा के क्यूरियोसिटी रोवर पर आधारित है, लेकिन इसमें कई उन्नत उपकरण और तकनीकें जोड़ी गई हैं। इसमें सुपरकैम, शेरलॉक, पिक्सल, एमओएक्सआईई और रिमफैक्स जैसे वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं। जो रॉक सैंपल के विश्लेषण, जैविक निशानों की पहचान और मंगल की सतह के नीचे छिपी संरचनाओं का पता लगाने में सक्षम हैं।