अमेरिका के हवाई द्वीप पर सोना उगल रही है धरती 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के हवाई द्वीप पर धरती सोना उगल रही है। पृथ्वी की कोर से पिघलकर ये बेशकीमती धातु बाहर आ रही है। ज्वालामुखीय चट्टानों के अध्ययन में वैज्ञानिकों को ये चौंकाने वाले सबूत मिले हैं। इसके बाद अनुमान लगाया है कि कोर में बहुत ज्यादा सोना मौजूद है।

हर किसी को अच्छा लगता है सोना
धरती के कुछ सबसे कीमती खनिजों में से एक है सोना। खूबसूरत और चमकता हुआ पीला सोना हर किसी को अच्छा लगता है। हर कोई चाहता है कि वो सोने के आभूषण पहने हों। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या धरती के पास इतना सोना है भी कि हर किसी के पास ये चमकती मिल जाएगी। इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के अंदर सोने का पूरा भंडार छिपा हुआ है, जो सामने आ जाए तो जिस सोने की कीमत एक काफी कम हो जाएगी।

रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे 
अमेरिका के हवाई द्वीप पर हमारी धरती सिर्फ सोना ही नहीं बल्कि और भी कई कीमती धातुएं उगल रही है। वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अध्ययन में पाया है कि धरती अपनी कोर से सोना और दूसरी कीमती धातुओं को बाहर उगल रही है। साइंस अलर्ट की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि पृथ्वी का 99.99 प्रतिशत से अधिक सोना और कीमती धातुएं 3000 किमी की ठोस चट्टान के नीचे दबी हुई है। ये बेशकीमती संसाधन 4.5 अरब साल पहले हमारी पृथ्वी के निर्माण के बाद से ही इसके अंदर बंद पड़े हैं। हाल ही में जर्मनी की गॉटिंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के दल को अमेरिका के द्वीपीय राज्य हवाई की ज्वालामुखीय चट्टानों के अध्ययन के दौरान ये जानकारी मिली है। इस अध्ययन को नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल 
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने ट्रस तत्वों का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया। इस दौरान वैज्ञानिकों का बेशकीमती धातु रूथेनियम आइसोटोप का असामान्य रूप से उच्च स्तर पाया, जो पृथ्वी के मेंटल की तुलना में इसके कोर में अधिक प्रचलित है। इससे पता चलता है कि बाहर ज्वालामुखी का जो लावा निकला है वह पृथ्वी के भीतर कोर में बना है। गॉटिंगेन विश्वविद्यालय में भू-रसायन विशेषज्ञ निल्स मेसलिंग का कहना है कि पहले नतीजे आने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने सचमुच सोना खोज लिया है। उन्होंने कहा कि हमारे डेटा ने पुष्टि की कि कोर से जो सामग्री पृथ्वी के ऊपरी मेंटल में लीक हो रही है, उसमें सोना और अन्य कीमती धातुएं शामिल हैं। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि पृथ्वी का कोर पहले की तुलना में अलग-थलग हो रही है। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान कोर की सामग्री सतह पर पहुंच रही है। इसने भविष्य में वैज्ञानिक शोधों के लिए नए अवसरों की संभावना बढ़ाई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि रूथेनियम आइसोटोप्स कोर-मेंटल संपर्क का अध्ययन करना अब आसान हो जाएगा।

चट्टानों में रुथेनियम नामक धातु की जांच 
बता दें कि वैज्ञानिकों ने हवाई की ज्वालामुखीय चट्टानों में रुथेनियम नामक एक धातु की जांच की। जिसे आइसोटोप 100 आरयू कहते हैं। इसकी मात्रा कोर में मैंटल यानी धरती की ऊपरी परत की तुलना में ज्यादा होती है। शोध में पाया गया कि सतह की चट्टानों में भी इस आइसोटोप की मात्रा अधिक थी, जो दिखाता है कि ये चट्टानें सीधे कोर और मैंटल की सीमा से निकली हैं।  अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर मैथियास विलबोल्ड ने निष्कर्षों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब हम यह भी साबित कर सकते हैं कि अति-उच्च तापमान वाली मेंटल सामग्री की विशाल मात्रा कोर को प्रभावित करती है। इस प्रक्रिया के द्वारा ही हवाई जैसे महासागरीय द्वीप बनते हैं। 

दो हिस्सों में बंटा है धरती का कोर 
अगर हम सोने की बात करें तो धरती में जिस जगह से यह सोना व अन्य सामग्री आ रही है वो पृथ्वी की सतह से काफी दूर है। ये सारी सामग्री धरती के कोर यानि आंतरिक भाग से आ रही है। यह धरती की सतह से लगभग 2900 किलोमीटर नीचे स्थित है। बता दें कि धरती का कोर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। पहला है बाहरी कोर जो लगभग 2900 से 5150 किलोमीटर की गहराई पर स्थित है। वहीं दूसरा है आंतरिक कोर जो कि 5150 किलोमीटर से 6371 किलोमीटर की गहराई पर स्थित है।