44 मिनट में रेडियो तरंगों और एक्स-रे किरणें भेजता है खास तारा

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली खोज की है। उन्हें ऐसा अजीबो-गरीब तारा मिला है जो हर 44 मिनट में तेज रेडियो तरंगों और एक्स-रे किरणों की चमक भेजता है। लगभग 2 मिनट रहने वाली इन एक्स-रे और रेडियो तरंगों के पीछे क्या संदेश है वैज्ञानिक इसका पता लगाने में जुटे हैं।

एलियंस से जुड़े तारे की खोज 

वैज्ञानिकों ने एलियंस से जुड़े तारे की खोज की है। इस तारे की सबसे अजीब बात यह है कि यहां से हर 44 मिनट में तेज रेडियो तरंगों और एक्स-रे किरणों की चमक भेजी जा रही है। ये तरंगे और चमक 2 मिनट तक जीवित रहती हैं। यानी यह जिसके लिए भेजी जा रही है उसे देखने और समझने के लिए केवल दो मिनट का समय मिलता है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा कि इनको भेजने के पीछे एलियंस का हाथ है। वैज्ञानिक इसे खास संदेश भी मान रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह तारा आम पल्सर जैसा है। बता दें कि पल्सर का मतलब स्पंदित या न्यूट्रान तारा होता है। यह तारा हर 44 मिनट में दो मिनट की चमक बिखेरने के बाद बिल्कुल शांत हो जाता है। यह बात वैज्ञानिकों को हैरान कर रही है। नई तकनीक से लैस क्रेको नामक उपकरण से इसके दोहराए जाने वाले रेडियो संकेतों की पुष्टि हुई है। 

शोध में आई तारे की सच्चाई


शुरूआत में वैज्ञानिकों को लगा कि यह कोई मैग्नेटार यानि बहुत ही शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र वाला मरा हुआ तारा है। वैज्ञानिकों ने यह भी अनुमान लगाया कि ये कोई व्हाइट ड्वार्फ यानि मर चुके तारे का बफीर्ला रूप है। जब इस पर शोध किया गया तो बेहद चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। यह अध्ययन उस समय किया गया जब चंद्रा एक्स-रे आब्जर्वेटरी किसी और दिशा की ओर देख रही थी। संयोग से उसी समय इस तारे से रेडियो तरंगे और प्रकाश बाहर निकाला। जिससे तेज एक्स-रे ने चमक देख ली। वैज्ञानिकों का इस बारे में कहना है कि यह वैसे ही हुआ  है जैसे रेत के समुद्र में एक सिक्का मिल गया हो।

रहस्यमयी और शक्तिशाली तारा


अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि यह पहली बाहर है जब किसी तारे से तेज ऊर्जा वाली एक्स-रे किरणें आती देखी गई हैं। जो इसे और भी रहस्यमयी और शक्तिशाली बना रही हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ये एलियंस का खास संदेश है या कोई विशेष खगोलीय घटना है। जहां से ये तरंगें आ रही हैं, इस तारे का नाम है आस्कअप जे 1832-0911 है। यह धरती से करीब 15,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। साथ ही यह हमारी ही आकाशगंगा में मौजूद है।  

आकाशगंगा के कई अन्य रहस्य आएंगे बाहर 


ब्रह्मांड में होने वाली इन घटनाओं को वैज्ञानिक लॉन्ग पीरियड ट्रांजिएंट्स या एलपीटीएस कहते हैं। ये ऐसे तारे कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों के अंतराल में रेडियो तरंगें छोड़ते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है इस तारे के मिलने के बाद अंतरिक्ष और आकाशगंगा के कई अन्य रहस्य भी बाहर आएंगे। उनका अनुमान है कि इस रहस्यमयी तारे की तरह और भी कई ऐसे अनजाने तारे ब्रह्मांड में छिपे हो सकते हैं। जैसे-जैसे नई तकनीकें और टेलिस्कोप विकसित होंगे, अंतरिक्ष के ये रहस्य भी धीरे-धीरे खुलते जाएंगे। यह खोज न केवल एक नई पहेली को जन्म दे रही है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ब्रह्मांड में अब भी बहुत कुछ ऐसा है जो हमारी कल्पनाओं से परे है।