जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ यूरोप की भी बोलती बंद कर दी। भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को लेकर चिढ़े टंप को उन्हीं की भाषा में जवाब मिल गया है। विदेश मंत्रालय ने टंप को उन सामानों की लिस्ट सौंप दी जिसका अमेरिका रूस से आयात करता है। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने चुप्पी साधते हुए कहा कि हम रूस से आयात मामले की जांच कराएंगे। वहीं भारत से रिश्ते बिगाड़ने पर अमेरिका में ही ट्रंप का विरोध शुरू
हो गया है।
ट्रेड वॉर की ओर बढ़ रहें अमेरिका-भारत
अमेरिका और भारत अब ट्रेड वॉर की ओर बढ़ रहे हैं। ट्रंप ने पिछले हफ्ते भारत से आयात होने वाले सामान पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है। जिसे सख्त माना जा रहा था। इसके बाद चार अगस्त को ट्रंप ने फिर 25 फीसदी से बहुत ज्यादा टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इससे दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है। भारत से ट्रंप की नाराजगी के पीछे बहुत अधिक मात्रा में रूसी तेल खरीदना है। ट्रंप का कहना है कि इससे यूक्रेन में चल रही जंग के लिए फंड मिल रहा है। विदेशी मामलों के जानकारों को तब हैरानी हुई जब भारत ने ट्रंप के टैरिफ को बर्दाश्त न कर कड़े शब्दों में पलटवार किया। मोदी सरकार ने इसे पश्चिम का पाखंड बताते हुए अमेरिका की कलई खोल दी।
विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर सवाल उठाए थे। उस समय अमेरिका ने ही भारत को ऐसे आयात जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया था। अमेरिका का कहना था कि इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता बनी रहेगी। अब ट्रंप इसका विरोध कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने ट्रंप को आईना दिखाया कि अमेरिका अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड खरीदाता है। इसके अलावा ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, और फर्टिलाइजर्स के साथ-साथ केमिकल्स का आयात जारी रखे हुए है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे में भारत को निशाना बनाना अनुचित और अव्यावहारिक है। किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
यूरोप को भी दिया जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ भारत ने यूरोप को भी जवाब दिया है। बयान में कहा गया है कि 2024 में रूस के साथ वस्तुओं में द्विपक्षीय व्यापार 67.5 बिलियन यूरो था। इसके अलावा, 2023 में सेवाओं में व्यापार का अनुमान 17.2 बिलियन यूरो था। यह भारत और रूस के कुल व्यापार से काफी अधिक है। भारत का कहना है कि अगर अमेरिका और यूरोप रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं तो वे हमें कैसे रोक सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे दोहरे मापदंडों को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने दी प्रतिक्रिया
अब भारत के आरोपों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिक्रिया दी है। जिसमें कहा गया कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। मैं इसकी जांच करूंगा। दूसरी ओर ट्रंप का अमेरिका में ही विरोध शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्रस्ताव की तीखी आलोचना की। हेली ने चेताया कि इस कदम से भारत-अमेरिका के रिश्तों में खटास आ सकती है। जो इस समय बेहद महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। उन्होंने ट्रंप को चेताया कि वे चीन जैसे दुश्मन देश को छूट न दें और भारत जैसे सहयोगी से रिश्ते न बिगाड़ें। निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ व्यापार को लेकर अमेरिका ने 90 दिन की टैरिफ की छूट दी है। वहीं भारत पर सख्ती दिखाई जा रही है। बता दें कि निक्की हेली लंबे समय से भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों की पक्षधर रही हैं। उनका मानना है कि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों के साथ मजबूत साझेदारी जरूरी है।