जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने रोबोट को लेकर ऐसी रिसर्च की है, जिसे सुन हर कोई दंग रह जाएगा। नई रिसर्च के अनुसार अब रोबोट इंसान की स्किन को छूकर पता लगा सकता है कि इंसान के दिमाग में क्या चल रहा है। जेईईई एक्सेस जर्नल में प्रकाशित नए रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। नई रिसर्च ने पुरानी पारंपरिक भावना-विश्लेषण तकनीकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन तकनीकों में चेहरे की पहचान और वाणी विश्लेषण शामिल हैं। नए शोध का मानना है कि ये अक्सर गलत परिणाम दे सकते हैं। खासकर जब आडियो- विजुअल स्थितियां आदर्श नहीं होतीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि त्वचा की संवेदनशीलता वाला नया अध्ययन कई कामों को आसान कर सकता है। यह वास्तविक समय में भावना को पकड़ने के लिए एक गैर-आक्रामक तरीका प्रदान करता है। आसान शब्दों में कहें तो जैसे किसी अपराधी से सच उगलवाने के लिए नार्को जैसे टेस्ट किए जाते हैं। यह प्रक्रिया बेहद जटिल मानी जाती है। वहीं इस तकनीक के कारगर होने पर अपराध की जांच में आसानी होगी। वहीं अपराधियों से सच उगलवाने के लिए जटिल प्रक्रियाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। रिसर्च में 33 लोगों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए उन्हें भावनात्मक वीडियो दिखाए गए। इससे उनकी त्वचा की संवेदनशीलता यानी स्किन कंडक्टेंस को मापा गया। परिणामों ने विभिन्न भावनाओं के लिए विशिष्ट पैटर्न दिखाए। इनमें डर की प्रतिक्रियाएं सबसे लंबे समय तक चलने वाली देखी गई। जो एक चेतावनी तंत्र का संकेत देती हैं। परिवारिक संबंधों से जुड़ी भावनाएं जैसे खुशी और दुख में त्वचा का रिएक्शन सबसे अलग था। वहीं झूठ बोलने जैसे बातों के विश्लेषण में अलग परिणाम सामने आए। शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि व्यक्ति जिस मानसिक स्थिति में होता है उनसकी त्वचा वैसा ही रिएक्शन करती है। यानी त्वचा उसकी मानसिक स्थिति के अनुसार विद्युत धारा को संचारित करती है। यह आमतौर पर पसीने के स्राव और तंत्रिका गतिविधि के कारण बदलती रहती है। ये मानव भावना की विभिन्न अवस्थाओं का भी संकेत देती है। वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के परिणामों को भविष्य में भावनाओं को मापने वाली तकनीकों के विकास में सहायक माना। यह अन्य शारीरिक संकेतों के साथ मिलकर अधिक सटीक परिणाम दे सकती हैं। यह अध्ययन दर्शाता है कि भविष्य में रोबोट्स का मनुष्यों के साथ भावनात्मक रूप से संवाद करने का तरीका और भी परिष्कृत यानी बेहतर हो सकता है। यह शोध न केवल रोबोटिक्स के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है, बल्कि यह भावनाओं और मानव प्रतिक्रिया को समझने में भी एक नया कदम है। यह चिकित्सा, तकनीकी सहायता और मानव-मशीन इंटरफेस के लिए नई संभावनाओं की राह खोल सकता है। साथ ही जांच एजेंसियों के लिए भी यह तकनीक बेहद कारगर साबित हो सकती है।
वैज्ञानिकों ने रोबोट को लेकर बड़ी रिसर्च, स्किन छूकर जान लेगा भावनाएं
24-Dec-2024