जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर स्थिति बिल्कुल साफ हो चुकी है। इस बार एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं इंडिया ब्लॉक ने भी अपने उमीदवार का ऐलान कर दिया है। ऐसे में यह जंग सीपी राधाकृष्णन बनाम बी सुदर्शन रेड्डी हो चुकी है। इस रोचक जंग में यह जानना जरूरी है कि आखिर किस गठबंधन का पलड़ा कितना भारी है।
सीपी राधाकृष्णन का नाम घोषित
एनडीए ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सीपी राधाकृष्णन का नाम घोषित कर द्रविड पार्टियों को धर्मसंकट की स्थिति में डाल दिया है। दक्षिण की पार्टी होकर दक्षिण के कैंडिडेट का विरोध करना उनके लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदेह साबित हो सकता था। अब बी सुदर्शन रेड्डी का नाम पेश कर इंडिया ब्लॉक इस चाल से बाहर आ गया है। इससे यह तय हो चुका है कि इस बार उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत से ही होंगे। बता दें कि जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बी सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा की। खड़गे ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए बी सुदर्शन रेड्डी के नाम पर सभी विपक्षी दल एकमत हैं। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की बात करें तो उनका पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है। इनका जन्म 4 मई 1957 को तिरुपुर, तमिलनाडु में हुआ था। 16 साल की उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे। 1998 और 1999 में कोयंबटूर सीट से सांसद बने थे। 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। 2023 में झारखंड के राज्यपाल बने थे। मौजूदा समय में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।
इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी
दूसरी ओर इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी की बात करें तो उनका जन्म 8 जुलाई, 1946 को हुआ था। उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की है। बी. सुदर्शन रेड्डी का न्यायशास्त्र में समृद्ध करियर रहा है। 27 दिसंबर, 1971 को वे हैदराबाद में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में रिट और सिविल मामलों में प्रैक्टिस की। बी. सुदर्शन रेड्डी ने 1988-90 के दौरान उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के रूप में काम किया। उन्होंने 1990 के दौरान 6 महीने की अवधि के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी काम किया। 2 मई, 1995 को उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बने। बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग होगी। उसी दिन काउंटिंग भी होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। 25 अगस्त तक उम्मीदवारी वापस ली जा सकती है। यह चुनाव इसलिए हो रहा है क्यों कि जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत, त्यागपत्र, मृत्यु, पद से हटाए जाने या किसी अन्य कारण से उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए, तो इसे भरने के लिए जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए।
संख्या बल में एनडीए गठबंधन का पलड़ा भारी
जीत हार की बात करें तो वर्तमान स्थिति में संख्या बल में एनडीए गठबंधन का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। दोनों सदनों की संयुक्त क्षमता को अगर देखें तो वह 786 है। इसमें 6 सीटें रिक्त भी हैं। जिसमें 1 लोकसभा (बशीरहाट, पश्चिम बंगाल) में और पांच राज्य सभा, जिसमें चार जम्मू-कश्मीर और एक पंजाब में सीट रिक्त है। बता दें कि उपराष्ट्रपति के पद पर खड़े उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 349 वोटों की आवश्यकता है। ऐसे में वर्तमान में एनडीए की स्थिति अच्छी है। एनडीए के पास लोकसभा में 542 में से 293 सदस्य हैं। वहीं, राज्यसभा में 129 सांसद हैं। इसमें मनोनित सदस्यों का समर्थन भी शामिल है। इस स्थिति में एनडीए गठबंधन के पास कुल अनुमानित वोटों की संख्या करीब 422 है। यह संख्या बहुमत से ज्यादा है, ऐसे में देखा जाए तो एनडीए की जीत तय है।