जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अब भारत अपनी धरती से 700 किलोमीटर दूर दुश्मन के ठिकानों को पलभर में ध्वस्त कर देगा। आईटीआर से एक नहीं बल्कि दो खतरनाक मिसाइलों का परीक्षण कर भारत ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा दिया है। जिन दो मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया उनके नाम पृथ्वी-2 और अग्नि- 1 हैं। ये दोनों ही मिसाइलें दुश्मन के ठिकानों पर सटीकता और तेजी से वार करती हैं।
सैन्य ताकत को नया आयाम दे रहा भारत
सैन्य ताकत को नया आयाम देने में जुटा भारत अब हर दिन कोई न कोई प्रयोग कर रहा है। इस कड़ी में दो कम दूरी की स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-2 और अग्नि-1 का सफल परीक्षण किया। दोनों मिसाइलों को ओडिशा तट के पास स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज यानी आईटीआर से लांच किया गया। रक्षा सूत्रों ने इसके सफल परीक्षण की जानकारी दी। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इन प्रक्षेपणों ने सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को पूरा किया। ये परीक्षण सामरिक बल कमान की निगरानी में किए गए। जानकारी के अनुसार, अग्नि-1 मिसाइल का परीक्षण पहले अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। वहीं कुछ समय बाद पृथ्वी-2 मिसाइल को चांदीपुर स्थित आईटीआर के लांच पैड नंबर-3 से दागा गया।
700 किलोमीटर तक है मारक क्षमता
अग्नि-1 मिसाइल की मारक क्षमता 700 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल बेहद घातक मानी जाती है। सटीकता के साथ दुश्मन के ठिकानों पर वार करने वाली यह मिसाइल अपने साथ 12 टन के विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। साथ ही यह 1,000 किलो के परमाणु हथियार को भी अपने साथ ले जा सकती है। बता दें कि अग्नि 1 मिसाइल को उन्नत सिस्टम प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। इसे रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला और रिसर्च सेंटर इमरात ने मिलकर विकसित किया है। मिसाइल को हैदराबाद स्थित भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने पूरा किया है। इस मिसाइल को सबसे पहले साल 2004 में सेवा में लिया गया था। जमीन से जमीन पर वार करने वाली इस मिसाइल को सॉलिड प्रॉपलैंट्स की तर्ज पर विकसित किया गया है।
स्वदेशी तरीके से किया विकसित
पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल को स्वदेशी तरीके से विकसित किया है। पृथ्वी-2 मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है। पृथ्वी-2 500 से 1,000 किलोग्राम भार तक के हथियार ले जाने में सक्षम है। सतह से सतह पर साढ़े तीन सौ किलोमीटर मार करने वाली मिसाइल है। इसमें लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग किया गया है। मिसाइल में एडवांस गाइडेंस सिस्टम लगा है। यह अपने लक्ष्य को आसानी से मार गिरा सकता है। पृथ्वी मिसाइल को 2003 में सेना में शामिल किया गया था। यह नौ मीटर लंबी है। पृथ्वी डीआरडीओ द्वारा निर्मित पहली मिसाइल है। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम यह मिसाइल उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम से लैस है। जो इसे उच्च सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाता है। इसमें हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रेगमेंटेशन, थमोर्बेरिक, केमिकल वेपन और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन लगा सकते हैं।
कंपनियों को एक साथ दोहरी उपलब्धि
रक्षा मंत्रालय ने डीआरडीओ और मिसाइल को विकसित करने वाली कंपनियों को एक साथ दोहरी उपलब्धि के लिए बधाई दी है। संदेश में कहा गया है कि 24 घंटे में यह दूसरा महत्वपूर्ण सफल परीक्षण है। इससे पहले भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को बेहतर करने के मिशन में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। सेना ने लद्दाख सेक्टर में करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया था। यह एयर डिफेंस सिस्टम भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है।