जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीएजीएस तोप अब शूट-एंड-स्कूट के फॉर्मूले पर दुश्मन को चोट देगी। जीपीएस से लैस यह तोप दुश्मनों पर गोलों की बाैछार करेगी। भारत की इस तोप की मारक क्षमता 80 किलोमीटर तक होग। दुनिया की सबसे खतरनाक आर्टिलरी गन मानी जा रही है।
तोपखाने की ताकत होगी मजबूत
भारतीय सेना अपनी तोपखाने की ताकत को और मजबूत करने के लिए तेजी से काम कर रही है। इस दिशा में एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम को विकसित करने फैसला किया है। एटीएजीएस पूरी तरह स्वदेशी है। यह आधुनिक तोप 155 मिमी/52 कैलिबर की है। इसे फरवरी 2027 तक सेना में शामिल करने की योजना है। एटीएजीएस से निकलने वाले गोले दुश्मन पर मिसाइल की तरह बरसेंगे। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ तोप की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए खास तरह के गोला-बारूद विकसित कर रहा है। वर्तमान में यह गन 48 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर वार कर सकती है। वहीं डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे विशेष गोलों की रेंज 80 किलोमीटर तक होगी। आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट एआरडीई शाखा विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद पर काम कर रही है।
2027 तक 307 तोपों का ऑर्डर
एटीएजीएस भारतीय सेना के तोपखाने को आधुनिक बनाने का एक बड़ा कदम माना जा रहा है। फरवरी 2027 तक सेना को एटीएजीएस किस्म की 307 तोपे मिल जाएंगी। सेना ने इसका ऑर्डर भी दे दिया है। सेना में इसके शामिल होने से देश की सैन्य ताकत बढ़ेगी। यह तोप भविष्य में सीमाओं पर दुश्मनों को करारा जवाब देगी। डीआरडीओ ने इसे भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ मिलकर बनाया है। रक्षा मंत्रालय ने 307 एटीएजीएस गन के साथ 327 हाई-मोबिलिटी का ऑर्डर दिया है। इसमें इ्रसके लिए 6,900 करोड़ रुपये का सौदा किया। एटीएजीएस एक आधुनिक 155 मिमी और 52 कैलिबर की टोड तोप है। जिसे भारतीय सेना के लिए डिज़ाइन किया गया है।
2013 में हुई थी प्रोजेक्ट की शुरुआत
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2013 में हुई थी। जिसका मकसद सेना की पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी तोपों को बदलना है। एटीएजीएस को आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के तहत विकसित किया गया है। इसका 65 प्रतिशत भाग स्वदेशी हैं। पोखरण के फील्ड फायरिंग रेंज में 2017 में इसका पहला परीक्षण किया गया था। इसने 48 किमी की रिकॉर्ड दूरी हासिल की। यह 85 सेकंड में 6 गोले दाग सकती है। इसके अलावा 2.5 मिनट में यह 10 गोले दागने की क्षमता रखती है। सामान्य फायरिंग में यह प्रति घंटा 60 गोले दाग सकती है।
पूरी तरह ऑटोमैटिक गन लेइंग
यह पूरी तरह ऑटोमैटिक गन लेइंग और गोला-बारूद हैंडलिंग सिस्टम से लैस है। इसमें इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, मझल वेलोसिटी रडार और बैलिस्टिक शामिल हैं। यह सटीक निशाना लगाने में भी सक्षम है। इसका वजन 18 टन है। इसे हाई-मोबिलिटी वाहनों से खींचा जा सकता है। यह उस पुरीनी तोप की तरह है जसे और पहाड़ी इलाकों में आसानी से चलाया जा सकता है। इस तोप को बैरल, मझल ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम और गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म भी भारत में बना है। यह भविष्य में लॉन्ग रेंज गाइडेड म्यूनिशन्स को प्रोग्राम और फायर करने में सक्षम है। यह टैंक सटीक और गहरे हमले की क्षमता रखता है।