प्रोजेक्ट 18 के तहत भारत बनाएगा नया युद्धपोत

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। इंडियन नेवी एक नया अध्याय रचने जा रही है। प्रोजेक्ट 18 के तहत भारत अपनी अब तक की सबसे बड़ी और सबसे अत्याधुनिक विध्वंसक युद्धपोत की सीरीज विकसित कर रहा है। यह एक साथ 144 मिसाइल से अटैक करेगी। इसके सामने न तो राफेल टिक पाएगा और न ही एफ-35। यह दुश्मनों के लिए अचूक ब्रह्मास्त्र होगा। 
ग्लोबल लेवल पर कई हिस्सों में संघर्ष]


ग्लोबल लेवल पर कई हिस्सों में सशस्त्र संघर्ष चल रहा है। मौजूदा समय में एक तरफ जहां दुनिया दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। दूसरी तरफ मारक हथियारों को बनाने की होड़ मची हुई है। रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास और के बाद थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सैन्य टकराव ने हर देश को डिफेंस को सिस्टम मजबूत करने के लिए मजबूर कर दिया है। भारत भी तेजी से सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। अब इंडियन नेवी प्रोजेक्ट-18 के तहत नेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर डेवलप करने में जुटी गई है। यह डिस्ट्रॉयर बेहद खतरनाक होगा। यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल समेत 144 मिसाइल से दुश्मन देश पर हमला कर सकता है। 
विध्वंसक युद्धपोत की सीरीज विकसित होग विकसित


बता दें कि प्रोजेक्ट 18 के तहत भारत सबसे विध्वंसक युद्धपोत की सीरीज विकसित कर रहा है। जो न केवल आकार में मौजूदा विशाखापट्टनम-क्लास से बड़ी होगी, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी कई गुना ज्यादा सक्षम होगी। करीब 13,000 टन वजनी यह युद्धपोत इतना विशाल होगा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार इसे क्रूजर श्रेणी में भी रखा जा सकता है। यह आकार और मारक क्षमता के लिहाज से भारतीय नौसेना का सबसे उन्नत और शक्तिशाली युद्धपोत होगा।  यह जहाज कुल 144 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम सेल्स से लैस होगा। यह किसी भी खतरे से बहुआयामी क्षमता के साथ निपट सकता है। इस जहाज के पिछले हिस्से में पीजीएलआरएसएएम मिसाइल तैनात की जाएगी। यह 250 किमी तक की रेंज में विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बना सकेगी। इसी तरह दूसरी सेल में लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज, क्रूज मिसाइल और स्वदेशी तकनीक से विकसित क्रूज मिसाइल लगाई जाएंगी। ये जल और भूमि लक्ष्य पर हमले में सक्षम होंगी। इसके अलावा जहाज में 8 स्लांट लॉन्चर भी लगाए जाएंगे। जिनका इस्तेमाल संभवत: हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 मिसाइलों के लिए किया जाएगा। इस डेस्ट्रॉयर की तैनाती से भारत की समुद्री शक्ति में बड़ा इजाफा होगा। प्रोजेक्ट 18 का सबसे खास पहलू इसकी उन्नत रडार और सेंसर प्रणाली है। इसे डीआरडीओ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिलकर विकसित किया है। इसमें चार बड़े रडार लगाए जाएंगे। जिनमें एस-बैंड प्राइमरी रडार, वॉल्यूम सर्च रडार और मल्टी-सेंसर मस्त शामिल हैं। यह प्रणाली 360-डिग्री निगरानी की क्षमता रखती है। साथ ही 500 किमी से भी ज्यादा दूर के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है। इसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के जटिल वातावरण में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
मेक इन इंडिया के तहत निर्माण

 

प्रोजेक्ट 18 पूरी तरह से मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित है। इसमें लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल का लक्ष्य रखा गया है। युद्धपोत में इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम, स्टील्थ फीचर्स, दो मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों की तैनाती और रेल-लेस हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग सिस्टम भी शामिल होंगे। इसके अलावा यह जहाज स्वायत्त जलयानों को तैनात कर पनडुब्बी रोधी और बारूदी सुरंग खोज अभियानों में भी सक्षम होगा।