जेम्स वेब टेलीस्कोप की नई खोज ने वैज्ञानिकों को किया हैरान, ब्रह्मांड के शैतान की तबाही का खुला राज

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप की नई खोज ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। वैज्ञानिकों ने एक चलायमान ब्लैक होल की खोज की है। इस ब्रह्मांड के शैतान ने तबाही मचा दी है। यह ब्लैकहोल जहां से गुजरा वहां पर उसने पूरी गैलेक्सी को चीर दिया। इससे अरबों तारे तबाह हो गए।
दूरस्थ आकाशगंगा में हुई खोज

वैज्ञानिकों ने एक दूरस्थ आकाशगंगा में गैस और डस्ट की एक विशाल कॉस्मिक ट्रेल देखी है। यह निशान किसी विशाल ब्लैक होल के गुजरने से बना है। यह खोज एनजीसी-3627 नाम की स्पाइरल गैलेक्सी में हुई है, जो लियो नक्षत्र में स्थित है। यह घटना पृथ्वी से लगभग 31 मिलियन लाइट ईयर यानी प्रकाश वर्ष दूर रिकॉर्ड की गई है। यह कॉस्मिक ट्रेल अब तक देखे गए किसी भी ट्रेल से कहीं ज्यादा साफ और विशाल है। जिस क्षेत्र से ब्लैकहोल गुजरा वह करीब 20,000 लाइट ईयर लंबा और सिर्फ 650 लाइट ईयर चौड़ा है। 
नानजिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने किया शोध

चीन की नानजिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स में से एक मेंगके झाओ ने बताया कि यह निशान फांग्स सर्वे के दौरान सामने आया है। यह सर्वे ब्रह्मांड में गैस, स्टार फॉर्मेशन और गैलेक्सी स्ट्रक्चर को समझने के लिए किया गया था। इस दौरान यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस टेलीस्कोप से अंतरिक्ष से कई डेटा जुटाया गया है। जेम्स वेब टेलीस्कोप के डेटा से पता चला कि यह ट्रेल धूल के कणों से भरी है। वहीं शोध में पाया गया कि इसमें कार्बन मोनोआॅक्साइड की भी भरमार है। यानी यह केवल एक रोशनी की लकीर नहीं, बल्कि एक गहरे कॉस्मिक डिस्टरबेंस का सबूत है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह ट्रेल किसी बड़े कॉम्पैक्ट आॅब्जेक्ट के गुजरने से बनी है। सबसे ज्यादा संभावना सुपरमैसिव ब्लैक होल की है। थ्योरी के अनुसार जब ऐसा ब्लैक होल किसी गैलेक्सी के बीच से गुजरता है, तो उसकी ग्रैविटेशनल फोर्स आसपास की गैस और डस्ट को विस्थापित कर देती है। जिससे एक लंबा निशान बन जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया इस घटना से कई तारे टूटकर बिखर गए। अनुमान है कि यह ब्लैक होल करीब 1 करोड़ (10 मिलियन) सूर्यों जितना भारी था। यह 300 किमी प्रति सेकंड की स्पीड से गुजरा। जो अब तक के सबसे तेज स्पेसक्राफ्ट से भी 50 फीसदी ज्यादा स्पीड है। वहीं दूसरा अनुमान यह भी है कि यह कोई ड्वार्फ गैलेक्सी का घना न्यूक्लियस यहां से गुजर सकता है। झाओ ने का मानना है कि हमारे पास अभी इतना डेटा नहीं है कि हम दोनों में फर्क कर सकें। 
हमेशा नहीं होती ऐसी घटनाएं 

गणनाओं के अनुसार ऐसी घटनाएं हमेशा नहीं होती हैं।यह करीब 2 करोड़ साल पहले बनी थी। इसमें जो गैस पैटर्न दिख रहे हैं, वे बताते हैं कि जब यह ब्लैक होल या ड्वार्फ गैलेक्सी वहां से गुजरी, तो उसने गैलेक्सी के डिस्क को सचमुच चीर दिया था। यह ट्रेल दोनों स्पाइरल आर्म्स से बिल्कुल अलग दिशा में है। मानो किसी ने गैलेक्सी के शरीर पर एक तेज धार से निशान खींच दिया हो। वैज्ञानिकों ने यह भी संभावना जताई है कि इस ट्रेल के पीछे वे रहस्यमयी लिटिल रेड डॉट्स भी हो सकते हैं। यह हाल के वर्षों में दिखे हैं। ये छोटे, रेड शिफ्ट वाले, हाई-डेंसिटी आब्जेक्ट्स हैं जो शायद मिनी-ब्लैक होल या गैलेक्सी के शुरूआती रूप है। मेंगके झाओ और गुआंग-जिंग ली अब इस कॉस्मिक निशान की आगे स्टडी करेंगे और सर्वे के डेटा में ऐसे और ट्रेल्स ढूंढेंगे। उनका मानना है कि गैलेक्सी डिस्क्स में अक्सर विशाल डार्क आब्जेक्ट्स घूम रहे हैंजो ब्रह्मांड की संरचना को लगातार बदल रहे हैं।