जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत को एस -400 या एस-500 की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीआरडीओ ऐसा अस्त्र बना रहा है जो आसमान में ही दुश्मन के ड्रोन को कबाड़ में बदल देगा। सबसे बड़ी बात यह है कि ड्रोन का मार गिराने का काम सस्ते में हो जाएगा।
ड्रोन मिसाइल से भी ज्यादा खतरनाक
आज के समय में ड्रोन या यूएवी किसी भी मिसाइल या फाइटर जेट से भी ज्यादा खतरनाक और घातक हो चुका है। ड्रोन से किसी भी तरह का मानवीय नुकसान झेले बिना दुश्मन को गहरा जख्म दिया जा सकता है। ऐसे में ड्रोन अटैक को नाकाम करने की तकनीक डेवलप करना आवश्यक हो गया है। भारत इस काम में अन्य देशों से पीछे नहीं रहना चाहता है। बता दें कि आॅपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत पर दर्जनों की संख्या में ड्रोन से अटैक किया था। जिसे एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया गया था। ड्रोन को मार गिराने के मिसाइलें चलानी पड़ी थी। ये मिसाइलें काफी महंगी होती हैं। ऐसे में इससे सबक लेते हुए भारत अब ऐसी तकनीक डेवलप करने में जुटा है, जिससे ड्रोन को हवा में ही कबाड़ बना दिया जाए। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने इस दिशा में पूरी गंभीरता से काम तेज कर दिया है। डीआरडीओ ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जो दुश्मनों के ड्रोन के सेंसर को हवा में ही नाकाम बना देगा। इसके बाद वह ड्रोन किसी काम ही नहीं रहेगा।
डीआरडीओ बना रहा अस्त्र
ड्रोन को मात देने के लिए डीआरडीओ हाई-पावर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पेलोड का विकास कर रहा है। इससे दुश्मन के यूएवी के इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म यानी नेविगेशन, सेंसर और कम्युनिकेशन लिंक को निष्क्रिय किया जा सकता है। इंडिया डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह पेलोड 15 किलो से कम वजन में विकसित किया जा रहा है। इसे विभिन्न प्रकार के छोटे और मध्यम आकार के ड्रोन पर आसानी से सेट किया जा सकता है। यह हवा में तैनात किया जाएगा। यह दुश्मनों के ड्रोन पर इलेक्ट्रॉनिक वेव के जरिये असर डालकर उन्हें नियंत्रित या निष्क्रिय कर देगा। इसके लिए दुश्मन के ड्रोन को तबाह करने की जरूरत नहीं होगी। यह सिस्टम इलेक्ट्रो मैग्नेटिक ऊर्जा के जरिए ड्रोनों के जीपीएस रीसिवर, कम्युनिकेशन और कंट्रोल लिंक तथा इमेजिंग/लिडार जैसे सेंसर पैकेजों पर प्रभाव डालेगा। इससे दुश्मन के ड्रोन या स्वार्म डिसएबल हो जाएंगे। इस सिस्टम से घातक और विनाशकारी प्रभावों के बिना ड्रोन खतरों से निपटा जा सकेगा। डीआरडीओ का सिस्टम लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन होगा। यह एक साथ इतनी भारी ऊर्जा छोड़ेगा कि दुश्मन के ड्रोन पलभर में काम करना बंद कर देगा। बता दें कि इस प्रोजेक्ट में कई चुनौतियां भी आने वाली हैं। इसमें प्रभावी रेंज, लक्ष्य-विशिष्टता शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अलग-अलग ट्रायल किए जाएंगे।