डार्क एनर्जी को लेकर नई रिसर्च में डरावनी चेतावनी, वैज्ञानिकों ने बता दिया प्रलय का सम

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। डार्क एनर्जी को लेकर नई रिसर्च सामने आई है। इसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसमें हो रहा परिवर्तन  ही पृथ्वी के विनाश का कारण बनेगा। इसी के साथ ही वैज्ञानिकों ने धरती के अंत की तारीख भी बता दी है।
धरती के विनाश को लेकर अब तक कई शोध 

धरती के विनाश को लेकर अब तक कई शोध किए जा चुके हैं। कई अध्ययनों में इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग तो कई में भयानक बारिश और सुनामी को कारण बताया गया है। अब डार्क एनर्जी पर हुए नए शोध ने सभी को हैरान कर दिया है। बता दें कि डार्क एनर्जी एक ऐसी ताकत है जो ब्रह्मांड के लगभग 70 फीसदी हिस्से का निर्माण करती है। अब तक यह माना जाता था कि डार्क एनर्जी एक स्थिर शक्ति है, जो यूनिवर्स के एक्सपेंशन यानी विस्तार को तेज कर रही है। अब नए शोध में पता चला है कि यह समय के साथ बदल रही है। इसमें बदलाव को लेकर वैज्ञानिकों के चौंकाने वाला दावा किया है। इसने सबको हैरान कर दिया है। उनका कहना है कि ब्रह्मांड का अंत तय है। प्रलय के सयम न धरती बचेगी, न इंसान। 

10 अरब साल बाद शुरू हो सकता है विनाश

वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड का अंत करीब 10 अरब साल बाद शुरू हो सकता है।ये समय ब्रह्मांड की मौजूदा उम्र 13.8 अरब साल से भी कम है। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार ये अनुमान डार्क एनर्जी के बदलाव पर आधारित है। इस बदलाव के कारण ब्रह्मांड सिकुड़ना शुरू कर देगा। डार्क एनर्जी के बदलने की वजह से ब्रह्मांड बिग क्रंच में ढह सकता है। ये प्रक्रिया ब्रह्मांड को सिकोड़कर एक छोटे, गर्म बिंदु में बदल देगी। आकाशगंगाएं आपस में विलीन हो जाएंगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तबाही अनुमानित सालों से पहले भी हो सकती है। बता दें कि बिग क्रंच वो सिद्धांत है, जिसमें ब्रह्मांड का फैलाव रुककर सिकुड़ना शुरू हो जाता है। इस प्रकिया में सब कुछ एक बिंदु में समा जाता है। ये डार्क एनर्जी की गतिशीलता पर निर्भर करता है। 
डार्क एनर्जी पर हुए डीईएस।डीईएसआई सर्वे 

डार्क एनर्जी पर हुए डीईएस और डीईएसआई के सर्वे बताते हैं कि डार्क एनर्जी बदल रही है। पहले इसे स्थिर माना जाता था। इस प्रकिया में ब्रह्मांड का फैलाव हो रहा था। अब वैज्ञानिक कहते हैं कि ये समय के साथ कमजोर हो सकती है। ये बदलाव बिग क्रंच को जल्दी ला सकता है। बिग क्रंच में आकाशगंगाएं, तारे और ग्रह सब एक बिंदु में सिमट जाएंगे। ब्रह्मांड गर्म और सघन होकर पूरी तरह तबाह हो जाएगा। ऐसे में इंसानों या किसी जीव के बचने की कोई गुंजाइश नहीं होगी। ये प्रक्रिया पूरे ब्रह्मांड को खत्म कर देगी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 7 अरब साल बाद ब्रह्मांड अपने सबसे बड़े आकार पर होगा। इसके बाद ये सिकुड़ना शुरू कर देगा। ये प्रक्रिया करीब 10 अरब साल तक चलेगी। इस दौरान ब्रह्मांड धीरे-धीरे छोटा होता जाएगा। ये बिग क्रंच का आखिरी चरण होगा, जब सब कुछ खत्म हो जाएगा। ये अनुमान डार्क एनर्जी के डेटा पर आधारित है।  वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क एनर्जी का व्यवहार रबर बैंड जैसा है। यह जो फैलने के बाद सिकुड़ सकता है। ये बदलाव बिग क्रंच की भविष्यवाणी का आधार है। शोध के अनुसार ब्रह्मांड की मौजूदा उम्र 13.8 अरब साल है। फिलहाल माैजूदा समय में अभी ये फैल रहा है। वैज्ञानिकों को और डेटा की जरूरत है जिससे यह सिद्ध हो सके कि ब्रह्मांड की संरचना में और किन तत्वों का योगदान है। वैज्ञानिकों  के अनुसार ये रिसर्च भौतिकी के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।