चहुंओर तबाही का मंजर, बाबा वेंगा की भविष्यवाणी से खौफ

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर भारत में भारी बारिश और बादलों के फटने ने हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर को तबाह कर दिया है। ये पिछले चार दशकों की सबसे भयावह बाढ़ बताई जा रही है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी चरम घटनाएं जो कभी 50 साल में एक बार होने की आशंका थी, अब लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसे बाबा बेंगा की भविष्यवाणी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

दुनियाभर में चर्चित हैं भविष्यवक्ता बाबा वेंगा 

अपनी भविष्यवाणियों के लिए भविष्यवक्ता बाबा वेंगा दुनियाभर में चर्चित नाम है। उनकी ज्यादातर भविष्यवाणी सच साबित हुई हैं। बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों के मुताबिक दुनिया के लिए आने वाला समय काफी कठिनाइयों से भरा रहने वाला है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर आर्थिक संकट गहरा सकता है। उनके मुताबिक साल 2025 में एक बड़ा आर्थिक संकट आ सकता है, जो कई देशों की आर्थिक स्थिति को खराब कर सकता है। उनकी इस भविष्यवाणी को लेकर लोगों में डर का माहौल है।  बाबा वेंगा की प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणियों को लेकर भी लोगों में दहशत का माहौल है। वर्तमान समय में दुनिया के कई हिस्सों में बाढ़ और बारिश ने तबाही मचा रखी है। भारत के ज्यादातर हिस्सों में इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति ने हाहाकार मचा रखा है।
ज्यादातर राज्यों में लगातार भारी बारिश

उत्तर भारत के ज्यादातर राज्य लगातार भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से तबाह हो गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने पहाड़ों को कीचड़ भरी नदियों और मैदान को विशाल समुद्र में बदल दिया है। मौसम विभाग ने सितंबर में 72 घंटों में 300-350 मिमी बारिश दर्ज की। यह सामान्य मौसमी औसत से लगभग तीन गुना थी। अधिकारियों और मौसम वैज्ञानिकों ने इसे पिछले चार दशकों में उत्तर भारत की सबसे भयावह बाढ़ बताया है। इस बाढ़ ने साल 1998 के पंजाब बाढ़ की यादों को ताजा कर दिया है। जब सिंधु जल सिस्टम की नदियों ने खेतों और कस्बों को डुबो दिया था। इस बार जलवायु परिवर्तन, अनियोजित शहरीकरण और जर्जर बुनियादी ढांचे ने इस प्रकृति के प्रकोप को बढ़ावा दिया है। इस बार भी सिंधु नदी प्रणाली की रावी, सतलुज, झेलम, चिनाब और ब्यास नदियां उफान पर हैं।

हिमाचल ने सहा भूस्खलन का सबसे पहला दंश

 भूस्खलन का सबसे पहले दंश हिमाचल प्रदेश ने झेला। यहां लगातार बादल फटने के कारण कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों की खड़ी ढलानें ढह गईं। चट्टानें-मलबा नदियों में बह गया। बाढ़ में 250 से ज्यादा सड़कें बह गई। अधिकारियों का अनुमान है कि 10,000 हेक्टेयर से ज्यादा बागवानी जमीन बर्बाद हो गई। इसी तरह जम्मू में चिनाब और झेलम नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। राजौरी और पुंछ में पुल टूट गए। जिससे कई गांव अलग-थलग पड़ गए। जम्मू-कश्मीर में 40,000 घर और 90,000 हेक्टेयर धान की फसलें बर्बाद हो गई। शुरुआती सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य को 6,500 करोड़ रुपये के आर्थिक नुकसान का अनुमान है।
पंजाब में लगातार बारिश और बाढ़ से हालात खराब 

पंजाब में लगातार बारिश और बाढ़ से हालात खराब होते जा रहे हैं। प्रदेश के सभी 23 जिलों में 1200 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। हालात को देखते हुए पंजाब सरकार ने पूरे राज्य को आपदा प्रभावित घोषित किया है। मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। सभी विभागों को अलर्ट पर रखा गया है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2025 के तहत सभी जिला मजिस्ट्रेटों और विभागों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। यहां नहर-नालों से घिरे पंजाब में तबाही का बड़ा मंजर देखने को मिला है। यहां भाखड़ा नांगल बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी से सतलुज नदी में उफान आ गया। इस पानी ने रोपड़, लुधियाना, जालंधर और फिरोजपुर में भीषण तबाही मचा दी। घग्गर और रावी ने स्थिति को और भी बदतर कर दिया। प्रदेश में 9000 करोड़ रुपये की फसलें नष्ट हो गईं।
आपदा से कृषि आय में कमी, पर्यटन में रुकावट 

विशेषज्ञों का कहना है कि इस आपदा से कृषि आय में कमी, पर्यटन में रुकावट और औद्योगिक ठहराव के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर महीनों तक असर पड़ेगा। उत्तर भारत में रुके हुए मानसून ने बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवाओं का एक कन्वेयर बेल्ट बनाया। वहीं पश्चिमी विक्षोभ ने इस प्रणाली में नई ऊर्जा का संचार किया। इसका नतीजा ये हुआ कि पहाड़ों में बादल फटने लगे और मैदानी इलाकों में मूसलाधार बारिश हुई। जिससे पहले से ही ग्लेशियरों के पिघलने से उफन रही नदियों ने भीषण रूप ले लिया। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी चरम घटनाएं जो कभी 50 साल में एक बार होने की आशंका थी, अब लगातार बढ़ती जा रही हैं। हिमालय, वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है। तेजी से बर्फ पिघल रही है। साथ ही वनों की कटाई, खनन और नदी तटों और बाढ़ के मैदानों पर बेतहाशा निर्माण ने धरती के प्राकृतिक आघात अवशोषक को नष्ट कर दिया है।