जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। 7 सितंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण बेहद खास होने वाला है। यह पहली बार है जब इसे बाढ़ और भूस्खलन के कहर से जोड़कर देखा जा रहा है। पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा की रात जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं, तब चंद्र ग्रहण लगता है। यह साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। इस बार लोगों को ब्ल्ड मून के दर्शन होंगे।
चंद्र ग्रहण खगोलीय, धार्मिक और ज्योतिषीय तीनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका सीधा प्रभाव देश-दुनिया की गतिविधियों से लेकर पूजा-पाठ और व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है। हिंदू धर्म में इसे अशुभ अवधि के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसके आरंभ से समापन तक कई नियमों का पालन किया जाता है। वहीं खगोलशास्त्रियों के लिए यह आकाशीय घटनाओं को समझने का अवसर होता है। इसी तरह ज्योतिष में इसका असर 12 राशियों और 27 नक्षत्रों पर पड़ता है, जिससे कुछ जातकों को लाभ, तो कुछ की परेशानियां बढ़ने लगती हैं। 7 सितंबर को इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इसका दृश्य भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार, 7 सितंबर को साल का आखिरी चंद्रग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगा। इसका समापन 8 सितंबर की अर्धरात्रि 1 बजकर 26 मिनट पर होगा। 7 सितंबर को दिखने वाला चंद्र ग्रहण एकदम लाल दिखेगा, जिसे ब्लड मून के नाम से भी जाना जाता है। चंद्र ग्रहण का पहला स्पर्श रात 8 बजकर 59 मिनट पर होगा। इस ग्रहण के अंतिम स्पर्श रात 2 बजकर 24 मिनट पर होगा। यानी भारत में संपूर्ण ग्रहण काल की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट की रहेगी। चंद्र ग्रहण के सबसे महत्वपूर्ण और पीक टाइमिंग की बात की जाए तो ये रात 11 बजकर 42 मिनट पर अपने चरम पर होगा।इस बार भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा। यह कुंभ राशि और पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। खगोलविदों के अनुसार, चंद्र ग्रहण पृथ्वी की स्थिति के कारण होता है। पृथ्वी जब वह सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है। ज्योतिषविदों के अनुसार जब भी किसी पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण लगता है तो वह ज्योतिष के नजरिए से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। पूर्णिमा
तिथि पर राहु-चंद्रमा का योग चंद्र ग्रहण की स्थिति को पैदा करता है। यह सूर्य सिद्धांत में भी वर्णित है। ज्योतिषविदों के अनुसार जब भी ऐसी ग्रहों की स्थिति का निर्माण होता है तो प्राकृतिक आपदाओं की प्रबल संभावनाएं रहती हैं। चंद्र ग्रहण के कारण जल सैलाब का सबसे अधिक प्रकोप रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा जल का कारक होता है। ऐसे में बाढ़, भारी वर्षा या जल सैलाब का खतरा अधिक देखने को मिलता है। पहाड़ों में विशेष रूप से इसका प्रकोप होता है। चंद्रमा वनस्पतियों के भी स्वामी हैं। इसलिए, पहाड़ी क्षेत्रों में इस प्रकार की आपदाएं ज्यादा घटित होती हैं। रिपोर्ट में भी यह बात सिद्ध हो चुकी है कि इस बार हिमाचल में सबसे ज्यादा आपदाएं आई। यहां रिकॉर्ड 50 बार से ज्यादा बादल फटे हैं। वहीं भारी भूस्खलन की 133 घटनाएं भी दर्ज की गई।
चंद्रगहण से पहले बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब में हुआ है। पौंग बांध के कैचमेंट एरिया में अब तक के इतिहास की सबसे अधिक वर्षा ने पंजाब को बाढ़ की स्थिति में पहुंचाया है। राहत की बात यह है कि अब मौसम विभाग ने अगले तीन-चार दिनों तक भारी वर्षा की संभावना से इंकार किया है। मुंगेशपुर ड्रेन ओवरफ्लो होने के कारण दिल्ली की सीमा से सटे गांवों में छह फीट तक पानी भरा है। 3000 लोग घरों में कैद हैं। फरीदाबाद के शिव एनक्लेव 3 से लापता हुए ससुर सागर और दामाद बंटी का शव जलभराव में डूबा मिला है। भले ही नदियों का बहाव कम होने लगा है लेकिन तेज बहाव से तटबंध और ड्रेनें लगातार टूट रही हैं। शुक्रवार को यमुनानगर के टापू कमालपुर में सुबह होने से तीन दिन में लगाए गए मिट्टी के कट्टे बह गए। इसी तरह दिल्ली में यमुना का जलस्तर काफी बढ़ गया है। कुरुक्षेत्र में नैसी गांव के पास एक और स्थान पर तटबंध टूट गया है, जिससे दर्जनों गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। सिरसा के गांव झोरड़नाली के पास कच्चा तटबंध टूट गया। हिसार में भी पातन, गुराना, कैमरी के पास घग्गर ड्रेन टूट गई। रोहतक के सांपला में भी शुक्रवार को पाकस्मा-गांधरा ड्रेन ओवरफ्लो हो गया। हरियाणा के कई अन्य इलाकों में भी जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मानसून के मौसम में अब तक सामान्य से 48 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। इससे कुल 8,66,927 एकड़ कृषि भूमि को नुकसान हुआ है। वहीं, राज्य सरकार ने फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर जिलों में मकान ढहने से मारे गए 11 लोगों के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 44 लाख रुपये की अनुग्रह सहायता भी जारी की है।