जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। इसरो ने चन्द्रयान-3 को लेकर बड़ी जानकारी दी है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार जिस शिवशक्ति पॉइंट पर चन्द्रयान-3 उतरा था वह जगह 3.7 अरब साल पुरानी है। वैज्ञानिकों ने हाई रिजॉल्यूशन रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग करके यह निर्धारित किया। इस खोज से चंद्रमा की भूगोलिक संरचना और उसके इतिहास के बारे में नई जानकारी मिली है। चंद्रयान 3 की सफलता ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का झंडा बुलंद कर दिया। इस अभियान से चंद्रमा के रहस्यों को उजागर होने की उम्मीद कई गुना बढ़ा दी है। चंद्रमा से जुड़ी जानकारियों की सीरीज में सबसे ताजी बात यह पता चली है कि चंद्रयान 3 ने 2023 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जहां कदम रखा, वो जगह लगभग 3.7 अरब साल पुरानी है। यह जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों ने ही दी है। चंद्रयान 3 की लैंडिग साइट के उम्र का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने हाई रेजोल्यूशन रिमोट सेंसिंग डेटासेट का इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों की टीम ने चंद्रयान 3 की लैंडिंग साइट शिव शक्ति का नक्शा बनाया है। इसमें इसरो की इलेक्ट्रो आप्टिक्स सिस्टम्स लैब, अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लैब और चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक शामिल हैं। साइंस डायरेक्ट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि भूगर्भीय नक्शा लैंडिंग क्षेत्र के भीतर तीन अलग-अलग प्रकार के भूभागों का स्थानिक वितरण दिखाता है। इनमें उबड़-खाबड़ इलाके, चिकने मैदान और कम ऊंचाई वाले चिकने मैदान शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार इन अलग-अलग भूगर्भीय इकाइयों की उम्र क्रेटर साइज फ्रीक्वेंसी डिस्ट्रीब्यूशन के आधार पर अनुमानित 3.7 अरब साल है। मशहूर साइंस मैगजीन नेचर में प्रकाशित लेख में वैज्ञानिकों ने कहा कि यह उसी युग का है जब पृथ्वी पर सबसे पहले सूक्ष्म जीवन रूप उभरने लगे थे। लैंडिंग साइट का भूगर्भीय नक्शा चांद के इतिहास के बारे में नई जानकारी देता है। यह शोध बेहद महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। 3.7 अरब साल की समयरेखा सौर मंडल की स्थितियों और पृथ्वी पर जीवन के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण तुलनात्मक डेटा देगा। मतलब ये जानकारी हमें सौर मंडल के शुरूआती दिनों और धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, ये समझने में मदद करेगी। ये निष्कर्ष चंद्रमा के निर्माण और भूगर्भीय विकास की हमारी समझ बढ़ाने में मदद करेंगे। मतलब हमें चांद कैसे बना, उस पर क्या-क्या गिरा और उसकी सतह कैसे बदली, ये सब समझने में मदद मिलेगी। बता दें कि चांद का दक्षिणी ध्रुव दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक रणनीतिक केंद्र है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां हमेशा अंधेरे में रहने वाले इलाके हैं। इन इलाकों में पानी की बर्फ हो सकती है। चंद्रयान 3 की खोजें नासा के आर्टेमिस मिशन के साथ मेल खाती हैं। जिसका लक्ष्य पास में अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है। इसरो के प्रज्ञान रोवर, जो चंद्रयान-3 का हिस्सा है, ने पहले इस क्षेत्र में सल्फर और अन्य वाष्पशील पदार्थों का पता लगाया था। यह डेटा इसके वैज्ञानिक मूल्य को रेखांकित करता है। चंद्रयान 3 की भूगर्भीय मैपिंग चंद्रमा के गतिशील अतीत के बारे में हमारी समझ को भी उजागर करती है।
3.7 अरब साल पुराना निकला शिवशक्ति पॉइंट
12-Feb-2025