जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रहस्य खोज निकाला है, जो इतिहास को बदल देने वाला है। पोलैंड में अद्भुत सेरेमिक युग का पिरामिड खोजा गया है। यह मिस्र के पिरामिड से भी पुराना माना जा रहा है। यह अपने भीतर बहुत से रहस्य छिपाए हुए है।
खुदाई से उठता है रहस्यों से पर्दा
अब से हजारों साल पहले क्या हुआ होगा, ये सोचना मुश्किल है। पुराने रहस्यों से पर्दा तभी उठता है जब खुदाई या जांच के दाैरान पुरानी वस्तुएं सामने आती हैं। इससे यह पता चलता है कि आज से पहले इतिहास में क्या हुआ था। अब पोलैंड में एक पिरामिड की खोज हुई है। ये कोई आम पिरामिड नहीं था, बल्कि इसके अंदर इतिहास का बड़ा रहस्य दबा हुआ है। यह गीजा के महान पिरामिड से भी पुराना बताया जा रहा है। खुदाई के दाैरान जब 5500 साल पुराना इतिहास बाहर आया तो पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस ओर खींचे चले आ रहे हैं।
पोलिश पिरामिड में अनोखी कब्रें मिली
पोलिश पिरामिड में अनोखी कब्रें मिली हैं। यह पहली बार सेरेमिक युग की फनेलबीकर संस्कृति द्वारा बनाए गए लंबे, भूमिगत कब्रों का एक नया सबूत है। यह खोज अदम मिकिएविच विश्वविद्यालय की टीम ने किया है। खोजकर्ताओं ने नियमित फील्डवर्क के दौरान एडवांस रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कर यह सफलता हासिल की है। शुरुआती खोज के बाद रिसर्चर्स ने एरियल लेजर स्कैनिंग के बाद इन कब्रों को पहचान की है। ये कब्रें जनरल डेज़ाइडरी क्लैपोव्स्की लैंडस्केप पार्क में मिली हैं। इनका आकार लंबा और ट्रैपेजॉइट है यानि पूर्व दिशा में ये ज्यादा चौड़ी और ऊंची है। वहीं पश्चिम में जाकर पतली हैं। देखने में ये किसी तीर की तरह हैं। कुछ कब्रें 200 मीटर तक लंबी हैं। इन कब्रों की ऊंचाई 4 मीटर से अधिक नहीं है। इसके बावजूद इनका विशाल और अनोखा आकार इन्हें रहस्यमयी बनाता है। बता दें कि पहले भी पोलैंड के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में ऐसी कब्रें मिल चुकी थीं, लेकिन यह पहली बार है कि जब 5500 साल से पुराना स्ट्रक्चर इस फील्ड में पाया गया है।
विशाल पत्थरों से ढकी कब्रें
इन कब्रों की छत आमतौर पर छोटे-छोटे खोखे तथा विशाल पत्थरों से ढकी हैं। वहीं कुछ पत्थर 10 टन तक के हैं। ऐसे में वैज्ञानिक इस बात से हैरान कि आज के हजारों साल पहले कैसे इन भारी पत्थरों लाकर यहां शिफ्ट किया गया होगा। इन कब्रों के प्रवेश द्वार पर भी बड़े पत्थर रखे गए हैं। इसमें से कुछ पत्थर टूटे हुए भी पाए गए हैं। संरक्षण विशेषज्ञ आर्टुर गोलिस का मानना है कि ये पत्थर सदियों पहले स्थानीय लोगों ने अन्य कामों में इस्तेमाल के लिए तोड़ लिए होंगे। इसके बावजूद इनको पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सका। गोलिस का मानना है कि इस जगह पर महान लोगों का अंतिम संस्कार होता था। जिन्हें खड़ी या सीधी मुद्रा में दफनाया जाता था। इनके शव के साथ कुल्हाड़ी और मिट्टी के बर्तन भी रखे पाए गए हैं। यहां पर मिलने वाली कुल्हाड़ी और दूसरे बर्तनों जैसी कलाकृतियां फनेलबीकर संस्कृति के अध्यात्मिक और दैनिक जीवन से जुड़ी अहम जानकारियां जरूर देंगी। इस पिरामिड को लेकर कई अनसुलझे रहस्य हैं जिन पर वैज्ञानिकों का काम करना होगा। सवाल है कि आखिर इन विशाल संरचनाओं का निर्माण कैसे किया गया होगा? प्राचीन समय में बड़े पत्थरों को उठाने के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया होगा? ममी को संरक्षित करने के लिए काैन सी विधि अपनाई गई थी।