वैज्ञानिकों को एक नए ग्रह के मिले संकेत, अब 10 हो सकती है संख्या

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों को एक नए ग्रह के संकेत मिले हैं। वैज्ञानिक इसे लगातार जानने की कोशिश कर रहे हैं। यह नेपच्यून के पार छिपा ग्रह माना जा रहा है। नई खोज से अंतरिक्ष का सबसे बड़ा राज खुल जाएगा। इससे सौर मंडल के ग्रहों की गिनती बदल सकती है। विज्ञान की नई खोज ने सबको चौंका दिया है। 

अंतरिक्ष को लेकर वैज्ञानिक करते हैं खोज 

अंतरिक्ष को लेकर वैज्ञानिक अक्सर खोज करते रहते हैं। उनके कई शोध चौंकाने वाले होते हैं। वैज्ञानिक ऐसी भी कई खोज करते हैं जिससे दुनिया भर के लोग अनभिज्ञ रहते हैं। अब वैज्ञानिकों ने एक रहस्यमयी दुनिया के बारे में जानकारी दी है। उनका मानना है कि हमारे सौर मंडल के बाहरी क्षेत्र में एक नई दुनिया हो सकती है। यह नेपच्यून से आगे छिपा है। वैज्ञानिक इसे ग्रह बता रहे हैं। यह नई खोज अंतरिक्ष की थ्योरी बदल सकती है। बता दें कि इससे पहले 9 ग्रहों की बात हो रही थी। अब इस नए ग्रह ने वैज्ञानिकों की हलचल बढ़ा दी है। 

चुंबकीय शक्ति से ग्रहों का पता चला


अध्ययनकर्ताओं को नए ग्रह के संकेत उस समय मिले जब नेपच्यून के पार बफीर्ले पिंडों की कक्षाओं में कुछ छोटी-छोटी गड़बड़ियां दिखी। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने कहा कि ये गड़बड़ियां किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण की वजह से हो रही हैं। ऐसे में इस नए ग्रह का अनुमान लगाया गया। यह ग्रह पृथ्वी और बुध ग्रह के आकार का हो सकता है। ये ग्रह सूरज से ज्यादा दूर नहीं है। अगर हम प्लेनेट 9 की बात करें तो यह अनुमान लगाया गया है कि यह ग्रह पृथ्वी से 10 गुना बड़ा है। यह सूर्य से 300 गुना दूर चक्कर लगाता है। यह ग्रह  बुध और पृथ्वी के आकार का हो सकता है। यह इन तीनों ग्रहों के नजदीक भी है। इस ग्रह को लेकर शोधकर्ताओं ने कहा है कि ये कुइपर बेल्ट को प्रभावित कर सकता है। बता दें कि कुइपर बेल्ट प्लूटो जैसे बफीर्ले पिंडों से भरा एक क्षेत्र है। वैज्ञानिकों ने इस नए ग्रह को वाई नाम दिया है। अगर यह सच हुआ, तो हमारे सौर मंडल में ग्रहों की संख्या 9 से बढ़कर 10 हो सकती है।

खगोलशास्त्री जोंटी हॉर्नर की खोज

नए ग्रह के बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि ये पिंडों की कक्षा को भले ही प्रभावित कर सकता है लेकिन इसकी संभावना केवल 2 से 4 प्रतिशत है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नया ग्रह अलग कक्षीय चिह्न पर आधारित है।  जिससे यह संभावना बढ़ जाती है कि ग्रह नौ और वाई ग्रह दोनों एक ही समय में अस्तित्व में हो सकते हैं। इसकी उत्पत्ति को लेकर दक्षिणी क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री जोंटी हॉर्नर का कहना है कि नेपच्यून के बाद के अधिकांश क्षेत्र का अभी तक पता नहीं चला है। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि वाई ग्रहजहां आज है वहीं पर बना रहेगा। ये भी कहा जा रहा कि ग्रह शायद सौर मंडल के शुरूआती दौर में बड़े ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण से बाहर की ओर धकेला गया हो। यह आंतरिक सौर मंडल से बिखरा हुआ हो सकता है।

रुबिन वेधशाला खोलेगी कई राज

नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि वेरा रुबिन वेधशाला नाम का एक नया टेलिस्कोप जल्द ही इस ग्रह की तलाश करेगा। वो ये पता लगाएगा यह ग्रह किस स्थिति में है। अगर यह ग्रह होगा तो इसकी पुष्टि आने वाले सालों में की जाएगी। इसे आगामी लिगेसी सर्वे आफ स्पेस एंड टाइम द्वारा संभवत: पता लगाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि नेपच्यून के पार का क्षेत्र अभी अनदेखा  है। ग्रह वाई और प्लैनेट 9 की खोज से लगता है कि और भी ग्रह छिपे हो सकते हैं। कुइपर बेल्ट और उससे आगे के क्षेत्र में कई रहस्य बाकी हैं। नई तकनीकों और टेलिस्कोप से ये धीरे-धीरे सामने आएंगे। अगर ग्रह  की पुष्टि हुई, तो यह सौर मंडल की समझ को बदल देगा। यह हमें बताएगा कि हमारा सौर मंडल कैसे बना और विकसित हुआ। साथ ही, कुइपर बेल्ट जैसे क्षेत्रों के बारे में नई जानकारी मिलेगी। भले ही यह ग्रह न हो, फिर भी इस खोज से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। वैज्ञानिक अब वेरा रुबिन वेधशाला के डेटा का इंतजार कर रहे हैं। अगर ग्रह  मिला, तो यह सौर मंडल का 10वां ग्रह हो जाएगा। यह खोज अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाने की एक और कड़ी बनेगी।