जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। धरती से 10 अरब प्रकाशवर्ष भयानक घटना हुई है। यहां 100 सूरज जितने भारी दो ब्लैक होल आपस में टकरा गए। इसे ऐसा महाविस्फोट हुआ कि वैज्ञानिक भी कांप उठे। यह अब तक का सबसे बड़ा ब्लैक होल विलय माना जा रहा है।
टकराहट के बाद ब्रह्मांड में महाविस्फोट
दो ब्लैकहोल की टकराहट के बाद ब्रह्मांड में महाविस्फोट हुआ है। इस घटना ने पूरी अंतरिक्ष वैज्ञानिक बिरादरी को झकझोर करके रख दिया। अंतरिक्ष में पहली बार 2 बेहद बड़े ब्लैक होल के विलय की घटना दर्ज की ग्ई है। यह विलय पृथ्वी से करीब 10 अरब प्रकाश वर्ष दूर हुआ। जिससे अंतरिक्ष-समय में जबरदस्त हलचल हुई।इन तरंगों ने साबित किया कि 2 ब्लैक होल एक-दूसरे में मिलकर एक विशाल ब्लैक होल बन चुके हैं। यह अब तक देखी गई सबसे बड़ी खगोलीय घटनाओं में से एक है। विस्फोट वाले दोनों विशालकाय ब्लैक होल्स हमारे सूर्य से 100 गुना से भी ज्यादा बड़े देखे गए। इस टक्कर के दौरान पैदा हुईं गुरुत्वीय तरंगें धरती पर लगे हाई-टेक डिटेक्टरों तक पहुंचीं। यह अब तक दर्ज की गई सबसे भारी ब्लैक होल मर्जर घटना मानी जा रही है। अमेरिका के वाशिंगटन और लुइसियाना स्थित एलआइईजीओ यानी लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी डिटेक्टरों ने एक साथ कंपन महसूस किया। यह ब्रह्मांड में फैली स्पेस-टाइम यानी अंतरिक्ष-काल की मानी जा रही है। इसे वैज्ञानिक भाषा में रिंगडाउन फेज कहा जाता है।
103 और 137 सौर द्रव्यमान भार
अंतरिक्ष में जिन दो ब्लैकहोल में टक्कर हुई उनका भार क्रमश: 103 और 137 सौर द्रव्यमान था। एक-दूसरे में विलीन होने के बाद अब यह 265 सौर द्रव्यमान वाला ब्लैक होल बन चुका है। बता दें कि अब तक 300 से ज्यादा ब्लैक होल मर्जर रिकॉर्ड किए गए हैं। यह विलय इन सबसे बड़ा है। यहां सबसे हैरत वाली बात यह है कि विलय से पहले दोनों ब्लैक होल्स इतने तेजी से घूम रहे थे कि उनकी स्पिन धरती की तुलना में 4 लाख गुना ज्यादा थी। ये मर्जिंग ब्लैक होल्स संभवत: पहले से बने हुए मर्ज ब्लैक होल्स के बच्चे थे। यानी पहले ये एक ही ब्लैक होल से उत्पन्न हुए थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि इतनी अधिक मात्रा वाले ब्लैक होल्स का बनना सैद्धांतिक रूप से असंभव है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह घटना अब उन पुराने सिद्धांतों को चुनौती दे रही है।
देखने के लिए तकनीक का प्रयोग
बता दें कि वैज्ञानिक पहले इन ब्लैक होल्स को देखने के लिए ब्रह्मांड का प्रकाश सबसे अहम था। इसके बाद रेडियो तरंगों, और इन्फ्रारेड जैसी विद्युत चुंबकीय तरंगों के जरिए इन्हें देखा जाने लगा। अब हम उन घटनाओं को अच्छी तरह देख सकते हैं। इसके लिए एलआईजीओ और अन्य गुरुत्वीय तरंग डिटेक्टरों का प्रयोग किया जाता है। कार्डिफ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क हैनम ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। उनका कहना है कि ब्लैकहोल की टक्कर ब्रह्मांड की सबसे हिंसक घटनाएं हैं। ये अपने आस-पास के तारों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। वहीं प़ृथ्वी के बारे में उनका कहना है कि ब्लैकहोल की चमकीली किरणें जब धरती पर पहुंचती हैं तो कमजोर होती हैं। इनका कंपन एक प्रोटॉन की चौड़ाई से भी हजारों गुना छोटा होता है। वैज्ञानिक इस घटना का विवरण ग्लासगो में जीआर-अमाल्द सम्मेलन में पेश करेंगे। भविष्य में और भी शक्तिशाली डिटेक्टर लगाए जाएंगे, जो पूरे ब्रह्मांड में हो रहे हर ब्लैक होल मर्जर को पकड़ सकेगा। यह मर्जर न सिर्फ वर्तमान सिद्धांतों को चुनौती देता है, बल्कि अंतरिक्ष में शोध और अध्ययन के नए रास्ते खोल देगा।