धरती पर हमले का मिला संकेत, तेजी से आ रहा एलियन स्पेसशिप

जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। एलियन को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। तूफानी रफ्तार से एक एलियन स्पेसशिप को धरती की ओर आते देखा गया। वैज्ञानिक इसे पृथ्वी पर आक्रमण या उसके पूर्व की तैयारी का अनुमान जता रहे हैं। इस स्पेसशिप की रफ्तार 2 लाख 17 हजार किलोमीटर प्रति घंटे है।

सोलर सिस्टम से बाहर अजीबोगरीब चीज 

वैज्ञानिकों ने हाल ही में सोलर सिस्टम से बाहर एक अजीबोगरीब चीज देखी है। यह धरती की ओर 2 लाख 17 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है। यह दावा हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह कोई चट्टान नहीं बल्कि एलियन का स्पेसशिप हो सकता है। इसे 3 आई एटलस नाम दिया गया है। अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी नासा ने सबसे पहले इसे 1 जुलाई को देखा था। इसके बाद लगातार इस पर नजर रखी जा रही है। नासा ने बताया है कि 30 अक्तूबर को यह स्पेसशिप सूरज के सबसे करीब पहुंचेगा। नासा का कहना है कि प्रोजेक्शन के हिसाब से यह वस्तु धरती से 21 करोड़ किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। हमारे लिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, वैज्ञानिक पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आब्जेक्ट स्पेसशिप है या कोई धूमकेतु। वैज्ञानिक यह अनुमान भी जाहिर कर रहे हैं कि अगर यह एलियन स्पेसशिप है तो कहीं यह धरती पर आक्रमण तो नहीं करने वाला है।
सर्वे में दूरबीन में दिखा आब्जेक्ट

बता दें कि चिली के रियो हटर्डो स्थित एक सर्वे में दूरबीन में यह आब्जेक्ट नजर आया था। दुनिया भर के खगोलविद इस इंटरस्टेलर आब्जेक्ट पर शोध कर रहे हैं। यह हमारे सौर्य मंडल से बाहर का है और यह तीसरा ज्ञात इंटरस्टेलर आब्जेक्ट है। यही कारण है कि इसके नाम में 3 शामिल किया गया है। नासा ने बताया कि 3 आई एटलस किसी अन्य तारामंडल में बना है। यह धनु तारामंडल की दिशा से धरती की तरफ आ रहा है। हमारी मिल्की वे आकाशगंगा से गुजर रहा है। इसके कारण हमारे सोलर सिस्टम को नजर आ रहा है। दुनिया में सिर्फ तीसरी बार ऐसा हुआ है जब कोई रहस्यमय धूमकेतू सौरमंडल में घुसपैठ कर रहा है। इससे पहले 2017 और 2019 में भी इंटरस्टेलर आब्जेक्ट मिला था। बता दें कि इंटरस्टेलर आब्जेक्ट उन पिंडों को कहा जाता है जो बाहर से आते हैं और सौरमंडल से गुजरते हैं। इस दौरान किसी तारे के गुरुत्वीय प्रभाव में नहीं रहते। यह दुर्लभ खगोलीय घटना होती है। यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वैज्ञानिक इसे करीब 7 बिलियन वर्ष पुराना बता रहे हैं। यानी यह हमारे सोलर सिस्टम से करीब 3 बिलियन वर्ष पुराना है।
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का शोध

आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी इस बारे में अपनी शुरुआती रिपोर्ट पेश की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इंटरस्टेलर आॅब्जेक्ट हमारे सोलर सिस्टम से बार-बार गुजरते रहे हैं। इस बार का आब्जेक्ट पुराने मामलों से अलग है। इसकी पहचान करना और देखना काफी मुश्किल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी स्पीड बेहद तेज है। ऐसे में इसे उन्नत तकनीक और पावरफुल टेलीस्कोप से ही देखा जा सकता है।