जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। नेपाल में विरोध प्रदर्शनों के बीच हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां बांग्लादेश जैसे हालात हो चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद पर कब्जा कर लिया है। गुस्से को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी इस्तीफा देना पड़ा है। उन्होंने सेना के साथ बैठक के बाद यह फैसला लिया है। इसके पहले कई मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं।
नेपाल में बिगड़ते जा रहे हैं हालात
नेपाल में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। राजधानी काठमांडू समेत कई इलाकों में आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव की घटनाएं सामने आ रही हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास पर पहले प्रदर्शनकारियों ने कब्जा किया। उसके बाद तोड़फोड़ की और आग लगा दी। राष्ट्रपति के आवास से पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के नेता रघुवीर महासेठ और माओवादी अध्यक्ष प्रचंड के घरों पर भी हमला हुआ। गृहमंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री समेत पांच मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। लगातार बढ़ते दबाव के बीच पीएम ओली इलाज के नाम पर दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने उपप्रधानमंत्री को कार्यवाहक प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। नेपाल में सब कुछ वैसा हो रहा है जैसा बांग्लादेश में हुआ था। यहां भी तख्तापलट होने की पूरी संभावना है। हालात खराब होते देख केपी ओली ने शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। कर्फ्यू और सुरक्षा के सख्त इंतजाम भी विरोध प्रदर्शनों को रोक पाने में नाकायाब साबित हो रहे हैं।
जेन जेड प्रोटेस्ट बना क्रांति
जेन जेड प्रोटेस्ट ने एक क्रांति का रूप ले लिया है। इसके निशाने पर सरकार के मंत्री और नेता हैं। प्रदर्शनकारी पीएम ओली के इस्तीफे की मांग पर अड़े थे। वे फिर से राजशाही लाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि हालात को संभालने के लिए नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया। प्रतिबंध हटाने की घोषणा पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने की थी। इस ऐलान के बाद भी मंगलवार सुबह से प्रदर्शनकारी फिर से सड़कों पर उतर आए हैं। वे सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। तीन-तीन मंत्रियों के इस्तीफे और सोशल मीडिया बैन का फैसला वापस लेने के बाद भी सरकार विरोधी प्रदर्शन थम नहीं रहा है। बता दें कि नेपाल में बीते दिन शुरू हुए प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने संसद भवन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। जिसके बाद राजधानी काठमांडू समेत कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। सरकार ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना की तीन टुकड़ियों को सड़कों पर उतारा था और गोली मारने के आदेश दिए थे। प्रदर्शनकारियों पर हुई फायरिंग में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। सोमवार को पथराव में चार पत्रकार भी घायल हुए थे।
प्रदर्शनों के पीछे सोशल मीडिया पर बैन नहीं
बता दें कि इन प्रदर्शनों के पीछे केवल सोशल मीडिया पर बैन नहीं है। नेपाल का युवा भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और कुप्रशासन के खिलाफ पहले ही सुलग रहा था। सरकार ने जब 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह बैन लगा दिया तो फेसबुक, इंस्टा और यूट्यूब पर अपने सपने बुनने वाला ये युवा सड़क पर उमड़ पड़ा। नेपाल सरकार के इस काम ने प्रदर्शन में चिंगारी लगाने का काम किया। नेपाल के इन युवाओं को एक मंच पर लाने के लिए हामी नेपाल नाम का एक संगठन काम कर रहा था। इस संगठन के कर्ताधर्ता सुदन गुरुंग माने जा रहे हैं। सुदन गुरुंग ने युवाओं के गुस्से को पहचाना, इसे प्लेटफॉर्म दिया और पूरे नेपाल में इसको अलग-अलग नेटवर्क के जरिये पहुंचाया। एनजीओ के सोशल मीडिया पर 36 वर्षीय गुरुंग को एक एक्टिविस्ट बताया गया है। उन्होंने आपदा राहत, सामाजिक सेवाओं और आपातकालीन सहायता के लिए संसाधन जुटाने में एक दशक से अधिक समय बिताया है। उनका संगठन अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग लेता है। सुदन गुरुंग ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा था कि भाइयो और बहनों 8 सितंबर का दिन ऐतिहासिक होगा। आंदोलन पर सुदन गुरुंग ने कहा कि ये हमारा समय है, ये हमारी लड़ाई है, और ये हमसे, हम युवाओं से शुरू होता है।