जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। जेम्स वेब टेलिस्कोप ने ब्रह्मांड में की गजब की खोज की है। वैज्ञानिकों ने टेलिस्कोप की मदद से 5 करोड़ सूरज जितना भारी ब्लैक होल का पता लगाया है। माना जा रहा है कि यह ब्लैक होल गैलेक्सी बनने से पहले ही पैदा हो गया था। ब्रह्मांड की शुरूआत को समझने की कोशिश में वैज्ञानिकों को एक नई रोशनी मिली है। जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने एक लाल बिंदु जैसी चमक को अपने कैमरे में कैद किया है। यह बिग बैंग के करीब 600 मिलियन साल बाद की है। यानी ब्रह्मांड के निर्माण से पहले से यह रोशनी लगातार अंतरिक्ष में चमकती रहती है। बता दें कि बिग बैंग एक वैज्ञानिक सिद्धांत है। जो बताता है कि लगभग 13.8 अरब साल पहले, ब्रह्मांड एक अत्यंत छोटे, गर्म और घने बिंदु से शुरू हुआ और तेजी से फैला। जिससे आज का विशाल ब्रह्मांड बना। इस घटना को महाविस्फोट कहा जाता है। और इसके बाद से ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है। यह विस्तार आज भी जारी है जिसके चलते ब्रह्मांड आज भी फैल रहा है। इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है।
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने कैद की तस्वीरें
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने कैद की गई इस लाल रौशनी को वैज्ञानिकों ने क्यूएसओ 01 नाम दिया है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट इग्नास जुओजबैलिस की टीम का कहना है कि क्यूएसओ 01 असल में एक ब्लैक होल है। इसकी ताकत 5 करोड़ सूर्यों के बराबर है। अगर ये खोज पूरी तरह सही साबित होती है तो ये ब्रह्मांड के शुरूआती ब्लैक होल बनने के सबूतों पर पहला शोध होगा। अब तक माना जाता रहा है कि ब्रह्मांड की शुरूआत में तारों, आकाशगंगाओं और ब्लैक होल्स का जन्म हुआ था। वैज्ञानिकों के लिए अब तक ये सारी जीचें अबूझ पहेली बने हुए थे। अब जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने इन सवालों का जवाब खोजने का काम तेज कर दिया है। बता दें कि इस टेलिस्कोप को ऐसी दूर की और रेडशिफ्टेड रोशनी देखने के लिए बनाया गया है। यहां यह जानना जरूरी है कि रेडशिफ्ट का मतलब है रोशनी का फैलकर लाल रंग की ओर खिसक जाना। यह पूरी प्रक्रिया ब्रह्मांड के फैलाव की वजह से होती है। वैज्ञानिकों ने सैकड़ों ऐसे लाल बिंदु देखे हैं। वे इसी लाल रोशनी से पता लगा रहे हैं कि आखिरकार अंतरिक्ष में अभी कितने और ब्लैक होल हैं जो छिपे हुए हैं। वे इस पर लगातार अध्ययन भी कर रहे हैं।
जल्द पकड़ में आ गई रोशनी
क्यूएसओ 01 इसलिए जल्द पकड़ में आ गई क्योंकि ये एक ग्रेविटेशनल लेंस की वजह से साफ दिखाई दे रही थी। यानी ब्लैक होल और अंतरिक्ष के बीच मौजूद एक विशाल गैलेक्सी क्लस्टर की वजह से इसकी रोशनी ज्यादा बढ़ गई। इस रोशनी का बारीकी से अध्ययन करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि क्यूएसओ 01 का द्रव्यमान तारों के समूह से मेल नहीं खाता। इसकी घुमाव की गति और हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम से निकला आंकड़ा बताता है कि यह वास्तव में एक विशाल ब्लैक होल है। इस अध्ययन में सबसे अहम जानकारी यह मिली कि अंतरिक्ष में मौजदू यह ब्लैक होल बहुत बड़ा है। यह 5 करोड़ सूरज जितना भारी है। माना जा रहा है कि यह ब्लैक होल गैलेक्सी बनने से पहले ही पैदा हो गया था। इसके आसपास की गैलेक्सी बेहद छोटी है। यानी ब्लैक होल ज्यादा साफ नजर आ रहा है। इससे ये संकेत मिलता है कि शायद शुरूआती ब्रह्मांड में पहले ब्लैक होल बने और फिर उनके आसपास गैलेक्सी ने आकार लिया। इस खोज से एक बात तय हो चुकी है कि आने वाले समय में छोटे-छोटे लाल बिंदु हमें ब्रह्मांड के जन्म के बारे में बड़ी और चौंकाने वाली जानकारी देने वाले हैं।