जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। यूपी के रुहेलखंड नहर विभाग को खुदाई के दौरान चौंकानी वाली वस्तु हाथ लगी है। इसे देखकर हर कोई हैरान है। यह कोई मामूली वस्तु नहीं बल्कि 100 साल पुरान एंटिक ट्रैक्टर है। यह डीजल से नहीं बल्कि भाप से चलता था।
खेतों की जुताई और नहर बनाने के काम में प्रयोग
कोयले से बनने वाली भाप से चलने वाले इंजन को कई लोगों ने देखा होगा। करोड़ों लोगों ने इस ट्रेन में सवारी की होगी। अब इस भाप के इंजन से जुड़ी खोज ने सबको चौंका दिया है। हैरान करने वाली यह खोज उत्तर प्रदेश के बरेली में हुई है। रुहेलखंड नगर विभाग को खुदाई में ऐतिहासिक चीजें मिली हैं। झाड़ियों और घास उसके नीचे छुपा पड़ा अंग्रेजों का 100 साल पुराना भाप से चलने वाला ट्रैक्टर मिला है। उस समय इसका प्रयोग खेतों की जुताई और नहर बनाने के काम में किया जाता था। अब इस ट्रैक्टर की साफ-सफाई और रंग-रोगन करके कैंट स्थित नहर विभाग के निरीक्षण भवन में रखे जाने की तैयारी है। बता दें कि अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिंह के चार्ज संभालने के बाद आफिस के पीछे पड़े भाग में सफाई कराई। इसी खुदाई के दौरान वहां कई सारी चीजें मिली है।
भारत में इस तरह के आए थे 8 ट्रैक्टर
इस बारे में इतिहासकारों का कहना है कि अंग्रेजी सरकार के दौरान भारत में इस तरह के 8 ट्रैक्टर आए थे। यह उसी में से एक ट्रैक्टर है। रुहेलखंड नगर खंड-3 के सहायक अभियंता अजीत कुमार का कहना है कि डिवीजन आॅफिस के पीछे घास-फूस में एक लोहे की आकृति पड़ी मिली थी। पहले लगा कि यह कोई कबाड़ होगा। पास जाकर देखा तो सब चौंक गए। यह अंग्रेजों के असली इंजीनियरिंग का चमत्कार था। उन्होंने तत्काल अधिशासी अभियंता नवीन कुमार को इसकी जानकारी दी। खुदाई हो पाती इससे पहले ही नवीन कुमार का तबादल हो गया। इसके बाद नए अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र के पदभार संभालने के बाद इसकी जानकारी दी गई। सूचना में बताया गया कि यहां ट्रैक्टरनुमा आकृति है। उन्होंने मामले में दिलचस्पी दिखाते हुए खुदाई की अनुमति जारी कर दी। काम शुरू होने के बाद इस दुर्लभ धरोहर को क्रेन की मदद से मिट्टी और घास-फूस हटा कर निकलवाया गया। अधीक्षण अभियंता त्रयंबक त्रिपाठी और अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिंह ने इसकी विस्तार से जानकारी दी।
पहले कहीं भी नहीं पाए गए ऐसे ऐसे ट्रैक्टर
दोनों अधिकारियों ने कहा कि यह ट्रैक्टर दुर्लभ है। इसके पहले कहीं भी ऐसे ट्रैक्टर नहीं पाए गए हैं। अंग्रेजों के जमाने में गेहूं खेतों की गहरी जुताई, अनाज की थ्रेशिंग और नहर-सड़क निर्माण में इसका प्रयोग होता था। इसके अलावा भारी सामान ढोने जैसे कामों में भी इस्तेमाल में लाया जाता था। उन्होंने कहा कि अभी योजना है कि इस इंजन को पहले पूरी तरह साफ-सुथरा किया जाएगा। इसके बाद रंग-रोगन करके इसे रुहेलखंड नहर के कैंट स्थित निरीक्षण भवन में प्रदर्शनी के तौर पर लगाया जाएगा।