जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। एससीओ बैठक के बाद टैरिफ पर ट्रंप के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि शंघाई सहयोग संगठन समिट के बाद भारत ने अमेरिका के लिए टैरिफ घटाने का प्रस्ताव भेजा है। ट्रंप ने कहा कि भारत ने बहुत देर बाद यह फैसला लिया है। ट्रंप के दावों पर अभी भारत की प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं टैरिफ को लेकर अमेरिका में विरोध तेज हो गया है। कई नेताओं ने उनकी आलोचना की है। इसी तरह जर्मनी ने भी ट्रंप को अपने तेवर दिखा दिए हैं।
समिट के तुरंत बाद ट्रंप का बयान
शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ समिट के तुरंत बाद अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के लिए टैरिफ घटाने का प्रस्ताव भेजा है। ट्रंप ने इसे देर से लिया गया लेकिन अहम कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध एकतरफा रहे हैं। उनके अनुसार भारत अमेरिकी कंपनियों को अपने बाजार में घुसने नहीं देता क्योंकि उसने अब तक सबसे ज्यादा टैरिफ लगाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार में अमेरिकी सामान की हिस्सेदारी बेहद कम है, जबकि भारत अमेरिका को भारी मात्रा में सामान बेचता है। दिलचस्प बात यह है कि यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने एससीओ समिट में रूस और मध्य एशियाई देशों के साथ ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने पर जोर दिया। ऐसे में अमेरिका की ओर से यह दबाव साफ करता है कि वॉशिंगटन दक्षिण एशिया में भारत की आर्थिक भूमिका को नए नजरिए से देख रहा है।
अमेरिकी सामान पर टैरिफ घटाने को तैयार
ट्रंप ने दावा किया कि अगर भारत अमेरिकी सामान पर टैरिफ घटाने को तैयार होता है तो इसका सबसे बड़ा असर हाई-टेक, मेडिकल इक्विपमेंट में दिखाई देगा। भारत इन सेक्टरों में अमेरिका से आयात बढ़ा सकता है। वहीं अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का रास्ता खुल जाएगा। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इस समय भारत, चीन और रूस के समीकरण पर सबकी नजरें हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने पीएम मोदी के चीन दौरे और एससीओ शिखर सम्मेलन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। बोल्टन ने कहा कि मोदी का यह दौरा पश्चिमी देशों के लिए बुरी खबर है, क्योंकि इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद थे। बोल्टन ने कहा कि पश्चिम ने दशकों तक भारत को सोवियत संघ यानी रूस की कोल्ड वॉर छाया से बाहर निकाला है। अमेरिका, जापान और आॅस्ट्रेलिया के साथ मिलकर क्वाड जैसे सुरक्षा मंच बनाए, ताकि भारत चीन और रूस से दूरी बनाए। अब टैरिफ के कारण हालात उलटे दिख रहे हैं। इसी तरह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी ट्रंप की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ट्रंप परिवार पाकिस्तान में व्यापार करना चाहता है। ऐसे में पाकिस्तान से डील करने के लिए भारत के साथ अच्छे रिश्ते को दांव पर लगा दिया। भारत के साथ खराब रिश्ते हमारे सहयोगी देशों पर भी असर डालेगा। हमारे सहयोगी देश हम पर भरोसा करना छोड़ देेंगे। उन्हें ऐसा लगेगा कि जो आज भारत के साथ हा रहा है वहीं उनके साथ भी होगा।
जर्मनी ने ट्रंप और दुनिया को दिखाया आईना
टैरिफ वॉर के बीच जर्मनी ने ट्रंप और दुनिया को आईना दिखा दिया। जर्मनी ने बता दिया कि भारत की ताकत और अहमियत को नजरअंदाज करना असंभव है। जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल आज बेंगलुरु पहुंचे। वाडेफुल ने भारत को हिन्द-प्रशांत में एक अहम साझेदार बताया। उन्होंने ट्रंप की परवाह किए बिना कहा कि दोनों देशों के रिश्ते राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति सभी स्तरों पर बेहद करीबी हैं। उन्होंने भारत की वैश्विक भूमिका पर जोर देते हुए कहा, भारत की आवाज जो दुनिया में सबसे ज्यादा सुनी जाती है। इसका कारण सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र है। साथ ही इंडो-पैसिफिक के रणनीतिक क्षेत्र में भारत की अहम भूमिका है। इसलिए मैं वार्ता के लिए भारत आया हूं।