जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 6 करोड़ साल पहले धरती पर आई तबाही को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। यह जानकारी डायनासोरों को मारने वाले एस्टेरायड पर आई है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये पत्थर सौर मंडल के नहीं बल्कि बाहर से आए थे। इन पत्थरों ने धरती पर तबाही ला दी थी। अक्सर अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं पर वैज्ञानिक शोध करते रहते हैं। इस पर उनके विचार और लेख अक्सर प्रकाशित होते रहते हैं। अब जिस एस्टेरायड ने धरती से डायनासोरों को खत्म किया था उस पर नए अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह एस्टेरायड बृहस्पति ग्रह के बहुत पीछे से आया था। इस एस्टेरायड ने मेक्सिको के यूकाटन प्रायद्वीप पर 6 करोड़ 60 लाख साल पहले विशालकाय गड्ढा कर दिया था। जिसकी वजह से डायनासोरों की पूरी प्रजाति खत्म हो गई थी। इसके अलावा धरती पर मौजूद सभी जीवों की 75 फीसदी आबादी खत्म हो गई थी। यह एक प्रलय जैसा था। पूरी दुनिया में मलबा फैल गया था। वहीं इसके पृथ्वी से टकराने की वजह से सुनामी भी आई थी। स्टडी में दावा किया गया है कि यह एस्टेरायड हमारे सौर मंडल के बाहर से आया था। वैज्ञानिकों ने प्राचीन मलबे की स्टडी करके यह पता किया कि एस्टेरायड किस चीज का बना था। शोध में पता चला कि यह एस्टेरायड काबोर्नेसियस था। यानी सी-टाइप कार्बन। मतलब ये कि इसमें कार्बन की मात्रा बहुत ज्यादा थी। जर्मनी स्थिति यूनिवर्सिटी आॅफ कोलोन के जियोकेमिस्ट मारियो फिशर गोड्डे और उनके साथियों ने यह स्टडी की है। मारियो ने बताया कि वह एस्टेरायड हमारे सौर मंडल में मौजूद एस्टेरायड से मिलान नहीं खाता है। यह बाहर से आया था। इसी ने डायनासोरों की जिंदगी खत्म कर दी। यह स्टडी हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है। शोध के अनुसार इस एस्टेरायड की टक्कर के बाद से क्रिटेसियस काल खत्म हो गया था। धरती पर इसके टकराने से विशाल चिक्सूलूब क्रेटर बना था। यह 180 किलोमीटर चौड़ा, 20 किलोमीटर गहरा था। ऐसे में सोचकर ही डर लगता है कि एक कार्बन एस्टेरायड की टक्कर कितनी खतरनाक हो सकती है। इससे जो मलबा उड़ा आज वो क्ले बनकर कई जगहों पर जमा है। जिसमें इरिडियम, रूथेनियम, ओसमियम, रोडियम, प्लेटिनम और पैलेडियम मिल रहा है। ये सारे धातु धरती पर दुर्लभ हैं। वहीं एस्टेरायड्स में इसका मिश्रण मिलना आम बात है। क्ले में मौजूद रूथेनियम की मात्रा की जांच की तो पता चला कि इस धातु के सात आइसोटोप्स हैं। तीन तो टक्कर से निकले मलबे में मिले। ये आइसोटोप्स इस बात की पुष्टि करते हैं कि टकराने वाला एस्टेरायड कार्बन से भरा हुआ था। वैज्ञानिकों के अनुसार रूथेनियम से भरे हुए एस्टेरायड हमारे सौर मंडल में कम मिलते है। इसमें जो आइसोटोप्स मिले हैं, वो सौर मंडल के बाहर से आए किसी एस्टेरायड के लगते हैं। सी-टाइप एस्टेरायड सौर मंडल के सबसे प्राचीन पदार्थ हैं। ये धीरे-धीरे सौर मंडल के अंदर आए जो आमतौर पर मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच बने एस्टेरायड बेल्ट में घूमते रहते हैं।
डायनासोरों को मारने वाले एस्टेरायड पर बड़ा खुलासा
17-Aug-2024