जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 50 से ज्यादा शिप और 20 से ज्यादा हवाई जहाजों को निगलने वाले बरमूडा ट्रायंगल के डरावने सच से पर्दा उठ गया है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए यह जगह अभी तक रहस्य बनी हुई थी। अब इस डरावने राज से जुड़ा एक नया खुलासा सामने आया है। यह शोध वैज्ञानिकों को चौंका रहा है।
बरमूडा ट्रायंगल और बास स्ट्रेट ट्रायंगल
बरसों से बरमूडा ट्रायंगल और बास स्ट्रेट ट्रायंगल जैसे इलाकों के बारे में कहानियां सुनाई जाती रही हैं। इस रहस्यमयी जगहों पर आज तक कई हवाई और समुद्री जहाज गायब होते रहे हैं। अब आस्ट्रेलियाई साइंटिस्ट ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है। उनके अनुसार बरमूडा ट्रायंगल अटलांटिक महासागर में फ्लोरिडा, प्यूर्टो रिको और बरमूडा के बीच का त्रिकोणीय इलाका है। इसे डेविल्स ट्रायंगल भी कहते हैं। यहां 50 से ज्यादा जहाज और 20 हवाई जहाज गायब हो चुके हैं। लोग इसे समुद्री राक्षसों, एलियंस या अटलांटिस जैसे रहस्यों से जोड़ते हैं। आॅस्ट्रेलियाई साइंटिस्ट का दावा है कि ये रहस्य कोई जादू-टोना नहीं, बल्कि मौसम, इंसानी गलती और आंकड़ों का खेल है।
पिछले सौ सालों में कई जहाज और विमान गायब
वैज्ञानिकों के अनुसार इस इलाके में पिछले सौ सालों में कई जहाज और विमान गायब हुए हैं। फ्लाइट 19 जैसे हाई-प्रोफाइल केस ने इसे और रहस्यमय बना दिया। बता दें कि 1945 में फ्लाइट 19, यानी पांच अमेरिकी नौसेना के बमवर्षक विमान, बरमूडा ट्रायंगल में गायब हो गए थे। इस जहाज के लीडर लेफ्टिनेंट चार्ल्स टेलर को नेविगेशन की गलती का एहसास था। खराब मौसम और गलत दिशा में उड़ने से विमानों का ईंधन खत्म हो गया। रेडियो ट्रांसक्रिप्ट्स भी बताते हैं कि वे रास्ता भटक गए थे।
विशाल लहरों में डूबते हैं जहाज
वैज्ञानिक साइमन बॉक्सल का मानना है कि रोग वेव्स यानी विशाल लहरें जहाजों को डुबो देती हैं। ये लहरें 49 फीट तक ऊंची होती हैं। खराब मौसम कई जहाजों के गायब होने की प्रमुख वजह रहा है। उनके अनुसार यह कोई साजिश नहीं, बल्कि इंसानी गलतियां और प्रकृति का खेल है। उनका भी यही मानना है कि यहां कोई चमत्कारी वस्तु नहीं रहती है। यह मौसम और इंसानी गतिविध का परिणाम है। बता दें कि लोगों का मानना है कि समंदर या आसमान इन्हें निगल गया। किताबों और फिल्मों ने इन कहानियों को और बढ़ावा दिया। ये इलाका बहुत व्यस्त है, इसलिए हादसों की संख्या ज्यादा रहती है। लॉयड्स आॅफ लंदन के प्रोफेसर भी इस बात से सहमत हैं।उनका भी यही मानना है कि यहां कोई चमत्कारी वस्तु नहीं रहती है। यह मौसम और इंसानी गतिविध का परिणाम है। यहां हादसे दुनिया के अन्य हिस्सों जितने ही होते हैं।। एलियंस या अटलांटिस जैसे दावों का कोई सबूत नहीं है। वैज्ञनिकों का कहना है कि यहां चुंबकीय कंपास गलत दिशा दिखा सकता है। ये ट्रू नॉर्थ की ओर इशारा करता है। कोलंबस ने 1498 में इसकी शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार पुराने विमानों में तकनीकी खराबी थी, जिससे नेविगेशन में गलतियां होती थीं। नई तकनीक से दुर्घटनाओं पर लगाम लगी है।
बीच बास स्ट्रेट ट्रायंगल पर खुलासा
आस्ट्रेलिया और तस्मानिया के बीच बास स्ट्रेट ट्रायंगल भी ऐसा ही इलाका है। यहां भी कई जहाज और विमान गायब हुए हैं। 1978 में पायलट फ्रेडरिक वैलेंटिच का विमान यहां से लापता हो गया था। 1838 से 1940 तक कई जहाजों का मलबा तक नहीं मिला। खराब मौसम और तेज धाराएं इसके पीछे की वजह हैं। इंसानी गलतियां हादसों को बढ़ाती हैं। समुद्री राक्षस या एलियंस जैसे दावे सिर्फ कहानियां हैं, कोई सबूत नहीं हैं। 1978 में भी फ्रेडरिक वैलेंटिच का लाइट विमान बास स्ट्रेट में गायब हो गया था। 7 अगस्त 2025 को ग्रेगरी वॉन और किम वॉर्नर का विमान भी लापता हो गया था। उनके अनुसार तेज हवाएं और अस्थिर मौसम इन हादसों का कारण रहा।