भारत करेगा अंतरिक्ष की सुरक्षा, बॉडीगार्ड उपग्रहों का होगा निर्माण

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत अंतरिक्ष में उपग्रहों की सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड उपग्रह बनाने की योजना बना रहा। बॉडीगार्ड उपग्रह अंतरिक्ष में अहम मिशन से जुड़े उपग्रहों को किसी भी हमले से बचाने में मदद करेंगे। इस बड़ी योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना है।
कई मोर्चों पर चल रहा है युद्ध 

दुनिया के कई देश आज कई मोर्चों पर युद्ध की आग में जल रहे हैं। रूस-यूक्रेन का युद्ध दो साल से ज्यादा समय से खत्म नहीं हो पाया है। इजरायल और हमास के बीच चीजें ठीक नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब युद्ध का तरीका बदल जाएगा। बस फर्क सिर्फ इतना होगा कि यह युद्ध सिर्फ जमीन या आसमान में ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी लड़ा जा सकता है। दुनिया के कुछ बड़े देश भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्पेस वॉर की तैयारी करने में जुट गए हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में अपने जासूसी और सैन्य सैटेलाइट भेज दिए हैं। इतना ही नहीं इनके पास अब ऐसी टेक्नोलॉजी भी है जिससे वे दुश्मन के सैटेलाइट का खात्मा कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस लिस्ट में भारत का नाम भी शामिल है। इस लिस्ट में सबसे पहला नंबर अमेरिका का है। अमेरिका हमेशा से दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है। उसके पास एंटी-सैटेलाइट मिसाइल तकनीक है। यह मिसाइल सीधा अंतरिक्ष में मौजूद किसी उपग्रह को मारकर गिरा सकती है। 1985 में अमेरिका ने एक ट्रायल भी किया था। जिसमें मिसाइल दागकर सैटेलाइट को खत्म कर दिया गया था। इसके अलावा चीन समेत कई अन्य देश इस काम में लगे हैं।
भारत ने तैयार की प्रभावी रणनीति 

अंतरिक्ष के खतरे को देखते हुए भारत ने प्रभावी रणनीति तैयार की है। जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी चाहते हैं कि एक ऐसा बॉडीगार्ड उपग्रह बनाया जाए जो खतरों को भांप कर अंतरिक्ष में घूम रहे दूसरे उपग्रहों की रक्षा करने का काम करे। विशेषज्ञों का दावा है कि उपग्रह-सुरक्षा परियोजना मोदी सरकार की एक बड़ी योजना है। केंद्र सरकार इस योजना के तहत उपग्रहों की सुरक्षा के लिए 50 सुरक्षा उपग्रहों को तैयार करने के लिए 270 अरब रुपये खर्च कर सकती है। इस श्रेणी का पहला उपग्रह अगले साल लांच हो सकता है। भारत इस कार्यक्रम के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सैटेलाइट यानी एलआईडीआर लांच कर सकता है।खतरों का तुरंत पता लगाएगा उपग्रह

एलआईडीआर अंतरिक्ष में मौजूद खतरों का तुरंत पता लगाएगा। इस तकनीक और रडार से वैज्ञानिक मिशन से जुड़े उपग्रह को सुरक्षित करने का इंतजाम करेगा। अंतरिक्ष में पाकिस्तान के सिर्फ आठ, भारत के 100 से अधिक जबकि चीन के पास 930 उपग्रह भ्रमण कर रहे हैं। ये मामला बेहद संवेदनशील है। बता दें कि उपग्रहों ने पाकिस्तान के खिलाफ हाल ही में हुए संघर्ष में अहम भूमिका निभाई थी। एक पड़ोसी देश का उपग्रह भारतीय उपग्रह से करीब एक किलोमीटर दूर था जो जमीन से जुड़ी मैपिंग और निगरानी में जुटा था। इसी घटना के बाद भारत सरकार ने उपग्रहों की सुरक्षा पर जोर देना शुरू किया है। उम्मीद है कि इस तरह से दूसरे देशों की क्षमता पता लगाने की कोशिश हो सकती है।
कैपासिटी बिल्डिंग प्रोग्राम का बयान

इसरो के कैपासिटी बिल्डिंग प्रोग्राम आफिस के पूर्व निदेशक सुधीर कुमार एन का कहना है कि हमारे पास अभी निगरानी उपग्रह नही हैं। इनकी बेहद जरूरत है। परिक्रमा कर रहे उपग्रहों की रक्षा के लिए ऐसे कदम उठाना जरूरी हो चुका है। कुछ स्टार्टअप काम कर रहे हैं। भारत और अमेरिका के अधिकारी बार-बार चेता रहे हैं कि चीन की सेना अंतरिक्ष में बड़ा खतरा बनकर उभर रही है। बीजिंग ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को तेज कर दिया है। भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने जून में एक सेमिनार में यह दावा किया था।  पिछले 70 सालों में भारत और पाकिस्तान के बीच चार बार युद्ध हो चुके हैं। जंग के मैदान में तो पाकिस्तान को बार-बार मुंह की खानी पड़ी है, ऐसे में पाकिस्तान अपने दोस्त चीन के साथ मिलकर अंतरिक्ष में भारतीय सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा सकता है। इसी को देखते हुए भारत सरकार अब अंतरिक्ष में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटी हुई है।